Big step in border security: सीमा सुरक्षा में बड़ा कदम: भारत बनाएगा एंटी-ड्रोन यूनिट, गृहमंत्री अमित शाह ने दी जानकारी
Big step in border security:बीएसएफ के 60वें स्थापना दिवस पर जोधपुर पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही एक व्यापक एंटी-ड्रोन यूनिट बनाएगा, क्योंकि आने वाले दिनों में मानव रहित हवाई वाहनों का खतरा गंभीर होने वाला है.
Big step in border security: जोधपुर: भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक बड़ी योजना के तहत एंटी-ड्रोन यूनिट का गठन करने जा रहा है। यह घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के 60वें स्थापना दिवस के अवसर पर जोधपुर में की। उन्होंने बताया कि बढ़ते ड्रोन खतरों से निपटने के लिए सरकार रक्षा अनुसंधान संगठनों और डीआरडीओ के साथ मिलकर काम कर रही है। शाह ने यह भी कहा कि भारत की सीमाओं पर ड्रोन गतिविधियों को रोकने के लिए तकनीकी और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।
ड्रोन से बढ़ता खतरा और समाधान की तैयारी
गृहमंत्री ने कहा कि मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन) का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान सीमा पर, जहां ड्रोन का उपयोग हथियारों, नशीले पदार्थों और अन्य अवैध सामग्री की तस्करी के लिए किया जा रहा है। शाह ने बताया कि भारत ने इस साल अब तक 260 से अधिक ड्रोनों को मार गिराया है या बरामद किया है, जो 2023 के मुकाबले दोगुना है। इनमें से सबसे अधिक घटनाएं पंजाब में हुई हैं, जबकि राजस्थान और जम्मू में इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम रही।
उन्होंने कहा कि पंजाब सीमा पर “लेजर युक्त ड्रोन रोधी गन-माउंटेड” तंत्र के प्रयोगात्मक परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। इससे ड्रोन का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने में 3% से 55% तक की सफलता हासिल हुई है। शाह ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले दिनों में यह खतरा और गंभीर हो सकता है। इसे देखते हुए एक व्यापक एंटी-ड्रोन यूनिट का गठन किया जा रहा है, जो देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात होगी।
सीमाओं की सुरक्षा के लिए व्यापक योजनाएं
गृहमंत्री ने यह भी बताया कि भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लगती अपनी सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए “व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली” (CIBMS) लागू कर रहा है। यह प्रणाली निगरानी, संचार और प्रतिक्रिया तंत्र के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करती है। असम के धुबरी क्षेत्र में इसे नदी सीमा पर प्रयोग के तौर पर तैनात किया गया है, जहां शुरुआती परिणाम सकारात्मक रहे हैं। हालांकि, इसे और बेहतर बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिए बड़ी मात्रा में बजट आवंटित किया है। इसमें सीमाओं पर बाड़ लगाने, सड़क निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 48,000 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से सीमांत गांवों को नई दिशा
सीमा सुरक्षा के साथ-साथ सीमावर्ती गांवों के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शाह ने बताया कि मोदी सरकार ने “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” के तहत उत्तरी सीमावर्ती गांवों में कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा है। यह कार्यक्रम पलायन को रोकने में मदद कर रहा है और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को सुधार रहा है।
शाह ने कहा, “हमने इसे 3,000 गांवों में प्रयोगात्मक आधार पर लागू किया है, और इसे पूरे देश के सीमावर्ती गांवों में विस्तार देने की योजना है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कार्यक्रम सीमाओं की सुरक्षा में भी सहायक होगा, क्योंकि यह सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने में मदद करेगा।