Uttarakhand News UCC: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) लागू होने की चर्चा तेज हो गई है, धामी सरकार विधानसभा में इस पर प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। इससे पहले यूसीसी पर बनी एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को धामी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इसके विधानसभा से पास होने के बाद उत्तराखंड, गोवा के बाद यूसीसी लागू करने वाला देय़श का दूसरा राज्य बन जाएगा। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) को लेकर कई दिनों से चल रही अटकलों और चर्चाओं पर उस समय विराम लग गया, जब इस पर एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को उत्तराखंड कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही इसे विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश करने का रास्ता भी साफ हो गया।दरअसल, यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) के ड्राफ्ट को मंजूरी देने के लिए, 24 घंटे के भीतर दूसरी बार धामी कैबिनेट की बैठक हुई।सीएम आवास में 1 घंटे चली कैबिनेट बैठक में रिपोर्ट को हूबहू मंजूरी मिली… यानी रिपोर्ट को सभी सिफारिशों के साथ बिना किसी संशोधन के स्वीकार किया गया।
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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि कैबिनेट बैठक के दौरान आज यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई। हम इसे कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। बताया जा रहा है कि अब इसे 6 फरवरी यानी कल विधानसभा में पेश किया जा सकता है। इसके बाद इसे लोकसभा चुनाव से पहले ही कानून के रूप में उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है।इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने एक्स पर पोस्ट कर यूसीसी को मोदी के विजन से जोड़ा और इसे संकल्प से सिद्धि तक ले जाने का वादा भी किया… उन्होंने लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” को साकार करते हुए राज्य में सबको समान अधिकार प्रदान करने हेतु हम सदैव संकल्पित रहे हैं और आज हम यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) के माध्यम से इस संकल्प को सिद्धि की ओर ले जा रहे हैं।हालांकि ड्राफ्ट कमेटी की पूरी रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है>लेकिन उसमें जो अहम सिफारिशें की गई हैं, उसके मुताबिक 18 साल से पहले किसी भी धर्म में लड़कियों की शादी नहीं होगी। शादी के बाद उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। साथ ही तलाक के लिए पति पत्नी के अधिकार समान रहेंगे। इसके अलावा बहुविवाह, हलाला-इद्दत पर पाबंदी लगाई जाएगी। पारिवारिक संपत्ति में लड़कियों को लड़कों के बराबर हिस्सा मिलेगा। इसमें लिव इन डिक्लेरेशन को जरूरी बताया गया है। साथ ही इसकी सूचना माता पिता को भी देनी होगी।उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने की तैयारी ने कांग्रेस को दुविधा में डाल दिया है.।वहीं बीजेपी यूसीसी को एक देश में एक विधान की जरूरत बता रही है।
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आपको बता दें कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के अलावा यूसीसी बीजेपी का तीसरा बड़ा कोर एजेंडा रहा है। 1989 के मेनिफेस्टो में पहली बार बीजेपी ने इसका वादा किया था। उसके 35 साल बाद उत्तराखंड की बीजेपी सरकार इसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है।