अनुप्रिया ,संजय और राजभर की तिगड़ी से बढ़ेगी बीजेपी की चुनौती
इस बार के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चुनावी चुनौती बीजेपी के सामने है। बीजेपी के साथ जिस तरह से ओमप्रकाश राजभर ,संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल जुड़े हैं उससे साफ़ है कि पूर्वांचल में सीटों के बंटवारे में बीजेपी के सामने कई चुनौतियाँ आएँगी। बता दें कि बीजेपी के सहयोगी ये तीनो नेता खास जाति समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं और इनका चुनावी गणित भी ठीक ठाक है। ये पार्टियां भले ही बहुत सी सीटें नहीं जीत पाती है लेकिन बहुत सीटों पर असर तो डालती है। सीटों पर असर डालने के लिहाज से ही बीजेपी ने इन पार्टियों को अपने साथ रखा है। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में ये तीनो पार्टियां अपनी हिस्सेदारी की बात भी कर रही है।
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अनुप्रिया पटेल काफी समय से बीजेपी की सहयोगी है और मंत्रिमंडल में भी शामिल है। पिछले लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया की पार्टी दो सीटों पर विजय रही लेकिन इस बार वह पांच सीटों की मांग कर रही है। लेकिन दिक्कत है कि वह जिन सीटों की मांग कर रही है उन्हों सीटों पर राजभर ,संजय निषाद की भी नजर है। अनुप्रिया पटेल अभी मिर्जापुर से सांसद है। अब उनकी नजर प्रतापगढ़ ,आंबेडकर नगर ,फतेहपुर और जालौन सीट पर भी है। अनुप्रिया की पार्टी का तर्क है कि इन सीटों पर उनकी जातीय समीकरण काफी मजबूत हैं। वह पटेल समाज से आती हैं और यूपी में इस समुदाय के करीब चार फीसदी वोट हैं। अब बीजेपी की परेशानी ये है कि क्या अनुप्रिया पटेल वाली अपना दल को पांच सीटें दे पाएंगी ?अगर देती है तो गठबंधन के अन्य दल भी इसी तरह की मांग करेंगे।
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.उधर यूपी की राजनीति में संजय निषाद और उनकी पार्टी भी एक ताकत है। कुछ इलाकों में संजय निषाद की काफी पकड़ है और संजय निषाद हार -जीत में महत्वपूर्ण भुमका निभाने की स्थिति में हैं। यह बात और है कि संजय निषाद की राजनीति कभी स्थिर नहीं रही। वे हमेशा पाला बदलते रहे हैं। लेकिन इतना सच है कि निषादों के वोट पर उनकी पकड़ आज भी बरकरार है। संजय निषाद खासकर 2022 से बीजेपी के साथ हैं। 2022 के विधान सभा चुनाव में संजय निषाद ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 6 सीटों पर जीत हासिल की। यही से संजय निषाद का भाव बढ़ता चला गया। पहले वे बीजेपी के साथ लडे थे लेकिन अब वे अपनी पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ने की बात कही है। अभी हाल में ही उन्होंने ऐलान किया है कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे निषाद ने कहा है कि 2019 के चुनाव में बीजेपी को जिन सीटों पर हार हुई थी वह सभी सीट हमें दी जाए। हम जीत कर दिखाएंगे। खबर के मुताबिक निषाद 37 सीटों को चिन्हित किया है और उन सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी क्या इतनी सीटें निषाद को दे पाएंगी ? बता दें कि यूपी में निषादों के 18 फीसदी वोट हैं और खासकर पूर्वांचल समाज का बड़ा असर है। करीब 150 से ज्यादा विधान सभा सीटों पर इस समाज का असर देखा जाता है।
उदार हाल में ही बीजेपी के साथ राजभर की राजनीति भी कुछ अलग तरह की है। वे भी कई इलाकों में ख़ास असर रखते हैं। वे भी पांच से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। बता दें कि राजभर पूर्वी यूपी में ख़ास असर रखते हैं और वे भले ही कई सीटों पर जीत न दिला सकें लेकिन हरा तो सकते हैं। ऐसे में अब बीजेपी की चौनौती ये है कि वह राजभर को कितनी सीट दे पाएगी ? याद रहे बीजेपी के साथ आये ये तीन नेताओं की पकड़ पूर्वी यूपी में ही है। और अगर ये तीनो पार्टियां सीटों की मांग पर अड़ जाती है तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है।