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Budget 2024: अंतरिम बजट में मोदी सरकार का तोहफा! टैक्‍सपेयर के लिए खुशखबरी ,जानें बजट के 10 बड़े अपडेट!

Budget 2024 Live News Updates - News Watch India

Union Budget 2024 News Updates! वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ ही घंटों में बजट पेश करेंगी। यह budget कई मायनों में अहम है। इसे लोकसभा चुनाव से पहले पेश किया जा रहा है। ऐसे में लोगों ने इससे काफी ज्‍यादा उम्‍मीद लगा रखी है। इनमें इंडिविजुअल टैक्‍सपेयर्स भी शामिल हैं। उन्‍हें इस budget से कई तरह की राहत की आस है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ घंटों में बजट पेश करने वाली हैं। आम चुनाव से पहले पेश हो रहे इस बजट से सभी को बड़ी आस है। अंतरिम बजट सत्ता में मौजूद पार्टी के लिए लोकलुभावन स्‍कीमों के जरिये वोटरों को आकर्षित करने का एक मौका होता है। 2019 में आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में भी ऐसा देखने को मिला था। इंडिविजुअल टैक्‍सपेयर्स की भी इस बजट पर नजरें हैं। वो चाहेंगे कि सीतारमण अपने पिटारे से उनके लिए कुछ बड़ी राहतें निकाल कर दें। उनकी सीतारमण से क्‍या उम्‍मीदें रहेंगी? आइए, यहां देखते हैं।

  1. इनकम टैक्‍स स्लैब में बदलाव

    टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार Individual income tex स्लैब में बदलाव करेगी। देश में दो इनकम टैक्स की व्यवस्था है। पुरानी और नई। पुरानी व्यवस्था वाले टैक्स स्लैब में 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्‍स नहीं है। 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 5%, 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की आय पर 20%, 20 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक की आय पर 30% और 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्‍स है। वहीं, नई व्यवस्था वाले टैक्स स्लैब में 7 लाख रुपये तक की आय टैक्‍स फ्री है। 7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 3%, 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 15%, 15 लाख रुपये से 25 लाख रुपये तक की आय पर 25% और 25 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्‍स है।
  2. स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन लिमिट में बढ़ोतरी

    टैक्सपेयर्स को स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन ल‍िम‍िट में बढ़ोतरी की उम्मीद है। अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट 50,000 रुपये है। यह लिमिट सभी करदाताओं के लिए समान है। चाहे उनकी आय कितनी भी हो। स्टैंडर्ड डिडक्शन एक निश्चित राशि है जो करदाता की टैक्‍सेबल इनकम से घटा दी जाती है। इससे करदाता का टैक्‍स कम हो जाता है। 2024 के बजट में सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट को बढ़ाने की संभावना जताई है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इसे 75,000 रुपये तक बढ़ा सकती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ उठाने के लिए टैक्‍सपेयर को अपने IT Return में इसकी जानकारी देनी होगी।

    NPS निवेश में 50,000 रुपये तक टैक्‍स ब्रेक


    आयकर अधिनियम की धारा 80CCD(1B) के तहत एनपीएस में निवेश पर अतिरिक्त 50,000 रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है। लेकिन, यह छूट सिर्फ पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था पर लागू है। नई पर नहीं। टैक्सपेयर्स उम्मीद करते हैं कि सरकार पुरानी व्‍यवस्‍था के लिए भी इसे लागू करे। व्यक्तिगत निवेशक NPS में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं। इस राशि पर उन्हें धारा 80CCD(1) के तहत टैक्स छूट मिलती है। यानी इस राशि को उनकी कर योग्य आय से घटा दिया जाता है।

    टैक्‍स व्‍यवस्‍था को सरल बनाने का बंदोबस्‍त

    टैक्‍सपेयर चाहेंगे कि टैक्‍स व्‍यवस्‍था को आसान बनाया जाए। दो टैक्‍स व्यवस्था होने कारण किसी भी व्यवस्था को चुनने के लिए करदाता को अपनी आय और निवेश के बारे में सोचना पड़ता है। यह फैसला लेना आसान नहीं होता है। इससे कई टैक्‍सपेयर्स में उलझन होती है। इसके कई कारण हैं। पहला, दोनों व्यवस्थाओं में टैक्स स्लैब और टैक्स दरें अलग-अलग हैं। दूसरा, दोनों व्यवस्थाओं में उपलब्ध टैक्स ब्रेक भी अलग-अलग हैं। तीसरा, दोनों व्यवस्थाओं में टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया भी अलग-अलग है। उम्‍मीद रहेगी कि इसका कुछ बंदोबस्‍त किया जाएगा।

    CAPITAL GAS TAX को आसान करने की व्‍यवस्‍था

    सरकार सभी तरह लॉग्‍न-टर्म कैपिटल एसेट के लिए यूनिफॉर्म होल्डिंग पीरियड के बारे में विचार कर सकती है। कैपिटल गेंस टैक्स की दरें जटिल हैं। विभिन्न प्रकार के कैपिटल गेंस पर अलग-अलग दरें लागू होती हैं। यह समझना मुश्किल होता है कि किसी विशेष कैपिटल गेंस पर कितना टैक्स देना होगा। कैपिटल गेंस टैक्स का कैलकुलेशन भी कठिन है। कैपिटल गेंस टैक्स की गणना करने के लिए करदाताओं को कई चीजों का ध्‍यान रखना पड़ता है। इसमें खरीद मूल्य, बिक्री मूल्य, पूंजीगत लाभ की अवधि और अन्य कारक शामिल हैं।

    हाउस प्रॉपर्टी खरीदने के लिए TDS नियम हों आसान

    धारा 194IA के तहत 50 लाख रुपये से अधिक की लागत वाली अचल संपत्ति की बिक्री पर विक्रेता को खरीदार से बिक्री मूल्य का 1% TDS काटना होता है। टीडीएस का भुगतान लेनदेन की तारीख से 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। टीडीएस का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से करना जरूरी है। हालांकि, NRI से खरीदारी करने पर नियमों में जटिलता है।
  3. घर खरीदारों पर कम हो tex का बोझ

    घर खरीदने वालो को आयकर अधिनियम की धारा 80C और 80EE के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है। धारा 80C के तहत घर खरीदारों को अपने होम लोन के मूलधन पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है। यह छूट करदाता की कर योग्य आय से घटाई जाती है। धारा 80EE के तहत पहली बार घर खरीदने वाले करदाताओं को अपने होम लोन के ब्याज पर 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त छूट मिलती है। यह छूट भी करदाता की कर योग्य आय से घटाई जाती है। धारा 80C और 80EE के तहत टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें हैं। घर की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। होम लोन की राशि 35 लाख रुपये से ज्‍यादा नहीं हो। करदाता को घर खरीदने के समय किसी भी अन्य घर का मालिक नहीं होना चाहिए। टैक्‍सपेयर उम्‍मीद करेंगे कि इसमें कुछ राहत मिले।
  4. life insurance प्रोडक्‍टों के प्रीमियम पर टैक्‍स छूट बढ़े

    Life insurance premium पर टैक्स छूट का लाभ आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत मिलता है। इस धारा के तहत करदाता को अपने जीवन बीमा प्रीमियम पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है। यह छूट करदाता की कर योग्य आय से घटाई जाती है।
  5. सेक्‍शन 80C की लिमिट बढ़ने की आस

    सेक्शन 80C के तहत लिमिट बढ़नी चाहिए क्योंकि यह करदाताओं को अपने पैसे का निवेश करने और अपनी वित्तीय भविष्य की योजना बनाने में सहायता करती है। सेक्शन 80C के तहत कई तरह के खर्च पर TEXT छूट मिलती है। इनमें जीवन बीमा प्रीमियम,
    पेंशन योजनाएं, होम लोन का मूलधन, शिक्षा शुल्क इत्‍यादि शामिल हैं। इतनी सारी चीजें होने के कारण इसकी लिमिट बहुत जल्‍दी खत्‍म हो जाती है। सेक्शन 80C के तहत लिमिट को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये या इससे अधिक किया जा सकता है। इससे करदाताओं को अपने पैसे का निवेश करने और अपनी वित्तीय भविष्य की योजना बनाने के लिए अधिक अवसर मिलेंगे।
  6. saving account इंटरेस्‍ट डिडक्‍शन की लिमिट बढ़े

    बचत खाते के ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ आयकर अधिनियम की धारा 80TTA के तहत मिलता है। इस धारा के तहत करदाता को अपने बचत खाते के ब्याज पर 10,000 रुपये तक की छूट मिलती है। यह छूट करदाता की कर योग्य आय से घटाई जाती है। इसे बढ़ाने की जरूरत है।
Prachi Chaudhary

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