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क्या बिहार का कास्ट सर्वे पांच राज्यों के चुनाव को प्रभावित करेगा?

बिहार समाचार (Bihar Caste Survey Report 20223): बिहार में कास्ट सर्वे के आंकड़े आते ही सियासी बवाल मच गया है। जो पार्टी चुनाव में हिस्सा ले रही है उनकी हालत क्या होगी उसके बारे में तरह-तरह की बातें की जा रही है। भारत में चुनाव कहने के लिए तो विकास के नाम पर होते हैं लेकिन अभी तक सच यही है कि बिहार समेत पूरे देश का जो तानाबाना है वह जाति के इर्द गिर्द ही घूमता है। जाति इस देश का सच है और जातियों के बिना यहां कोई राजनीति नहीं होती। बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर जातिगत जनगणना कराई है। इस पर बिहार सरकार ने पांच सौ करोड़ खर्च किये हैं। अब जब सोमवार को हर जाति के आंकड़े सामने आ गए तो राजनीतिक तूफ़ान मच गया। अब इसकी मांग हर राज्यों में की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बिहार के इस कास्ट सर्वे का असर चुनावी पांच राज्यों पर पड़ेंगे? फिर लोकसभा चुनाव में भी इस सर्वे के क्या असर पड़ेंगे?

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बिहार के मुख्यमंत्री ने तो कहा है कि अब जब सर्वे के आंकड़े आ गए है उसके मुताबिक ही सामाजिक और विकास के काम किये जायेंगे। लेकिन यही सच है? क्या केवल विकास के लिए ही यह सर्वे किये गए हैं? सच तो यही है कि इस सर्वे के जरिये राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश है और अगर इस सर्वे का असर पड़ा तो निश्चित तौर पर देश की राजनीति तो बदलेगी ही राजनीति से लेकर समाज के हर क्षेत्र में भी इसका व्यापक असर पड़ सकता है।

पांच राज्यों के चुनाव जल्द ही होने हैं। इन चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला है। कहने को तो और पार्टियां इन राज्यों में चुनाव लड़ती दिख रही है लेकिन मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होना है। बड़ा सवाल यही है कि बिहार के कास्ट सर्वे को सामने रखकर क्या कांग्रेस इन पांचो राज्यों में कोई बड़ा खेल कर सकती है? राहुल गांधी काफी समय से कास्ट जनगणना की बात कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि देश का एक्सरे जरुरी है ताकि पता चल सके कि समाज के भीतर कौन सी जाति कितनी है और उनके आर्थिक हालत कैसे हैं। जब तक यह पता नहीं चल जाता विकास की योजनाए नहीं बन सकती। जाहिर है बिहार के इस सर्वे का इन पांच राज्यों पर भी असर पड़ेंगा। वहां के लोग अपनी जाति और आर्थिक हालात की जानकारी चाहेंगे ताकि अपनी हिस्सेदारी लें सके।

बता दें कि पांच राज्यों के साथ ही बिहार और यूपी को भी शामिल कर लिया जाए ताे इन राज्यों में लोकसभा की 185 सीटें आती है। पिछले चुनाव में बीजेपी को इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन का मौका मिला था। 185 में से 165 सीटों पर बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी की जीत हासिल ही थी। लेकिन अब समय बदल गया है। बीजेपी को ये सीटें तब मिली थी जब बीजेपी अधिकतम सीटें जीत गई थी। लेकिन अब ऐसा संभव नहीं लगता। अब नए समीकरण और गठबंधन भी तैयार हो गए हैं। सबके अपने दावे हैं और समीकरण भी। बता दें कि बिहार कास्ट गणना के एक बात और भी सामने आयी है कि बिहार में हिन्दुओं की आबादी करीबी 82 फीसदी है। ऐसे में बीजेपी आगे क्या करेगी यह काफी अहम है। बीजेपी के पास राम मंदिर का मुद्दा अभी भी बाकी है। ऐसे में बीजेपी हिन्दू बनाम मुस्लिम का कार्ड खेल सकती है लेकिन यह खेल कितना सफल होगा अभी कहना मुश्किल होगा। यह भी साफ़ है कि बीजेपी को भी अन्य जातियों का अभी तक वोट मिलते रहे हैं ऐसे में यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि एक झटके में पिछड़ी और दलित जातियां बीजेपी से निकल जाएगी। लेकिन यह बात तो साफ है कि बीजेपी की मुश्किल बढ़ेगी।

अगर बिहार की बात करें तो साफ़ है कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जदयू भी थी। तब जदयू के 16 और बीजेपी के 17 सांसद चुनकर आये थे। लोक जन शक्ति पार्टी के भी 6 सांसद जीत कर आये थे। एक सीट कांग्रेस को मिली थी। अब कास्ट गणाना के बाद बिहार की तस्वीर कितनी बदलेगी यह देखना बाकी है। यही यूपी का भी है।

सबसे बड़ी बात तो यही है कि बिहार की गणना में पिछड़ी और ओबीसी का आंकड़ा 63 फीसदी के करीब है। ऐसे में एक बात तो तय है कि अब देश की राजनीति में इसी समाज का दबदबा होगा। इसके बाद करीब 19 फीसदी अनुसूचित जातियां है। ऐसे में अब जहां भी चुनाव होंगे इन्हें ध्यान में रखकर ही सीटें बांटी जाएगी। जहां भी इसके मुताबिक सीटें नहीं बटेंगी उस पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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