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उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण के राज्यों में भी राजनीति की आधार है जाति ,कर्नाटक में जातियों की परिक्रमा कर रही पार्टियां

Karnataka Latest News Update: कहावत है कि जाति न पूछो साधु की ।लेकिन राजनीति में यह कहावत फिट नहीं बैठती ।उत्तर भारत की राजनीति तो जातियों के पीछे ही चलती है ।जातियों की राजनीति ही क्षेत्रीय दलों को स्थापित किया है ।हालत ये है कि जिस जाति की आबादी ज्यादा उस जातीय नेता की पूछ सबसे ज्यादा ।अखिलेश यादव हों या फिर लालू यादव ।मायावती हों या सुभासपा पार्टी ।फिर रालोद की राजनीति हो या फिर जीतन राम और मुकेश सहनी की पार्टी ।नीतीश कुमार की राजनीति हो या या फिर चिराग से लेकर उपेंद्र कुशवाहा की नई पार्टी ।सब जातियों को बांधे हुए हैं और और खुद को नेता कहला रहे हैं ।इनमे से कोई भी पार्टी ऐसी नही है जिनका आधार पूरे भारत में हो ।लेकिन खेल चल रहा है ।चुनाव होते हैं और जातियां जीत भी जा रही है ।(Latest News Election)


दक्षिण भारत का भी यही हाल है । कह सकते हैं कि दक्षिण के कुछ राज्यों में तो जाति का खेल उत्तर भारत से भी ज्यादा गहरा है ।कर्नाटक को ही देख लीजिए । (Caste Debate News)
कर्नाटक में दलितों की आबादी करीब 20 फीसदी है । दलितों का कोई बड़ा नेता नही है इसलिए यह वोट सभी दलों में बंट जाता है ।यह बात और है इन दलित वोट का बड़ा हिस्सा अब तक कांग्रेसन को मिलता रहा है। बीजेपी के पास भी दलित वोट हैं। और कुछ वोट जेडीएस के पास भी जाता रहा है ।हालाकि यह बड़ा वोट बैंक है लेकिन यह बंटता रहा है। अगर कोई दलित नेता इस वोट को पकड़ना चाहे तो वह कामयाब हो सकता है लेकिन अभी तक ऐसा नही हुआ। कर्नाटक में मुसलमानो की आबादी भी 16 फीसदी के पास है। अभी तक ये बोट कांग्रेस और जेडीएस के खाते में जाते रहे हैं। पिछले चुनाव में कुछ मुस्लिम वोट बीजेपी के पास भी गए थे लेकिन बहुत ही कम। बीजेपी हमेशा मुस्लिम को दूर ही रखती रही है और हिंदू वोट पर उसकी पकड़ रही है ।


इसी तरह से लिंगायतों की संख्या करीब 14 फीसदी है। इस वोट पर पिछले कई सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है । बीजेपी आज भी इस वोट बैंक पर यकीन करती है लेकिन इसमें सेंध भी लगा है ।इस चुनाव में बहुत से लिंगायत नेता कांग्रेस से जुड़े हैं और यही बीजेपी की परेशानी है ।फिर की लिंगायत मठ भी कांग्रेस के समर्थन में आए गए है ।बीजेपी की मुश्किलें यहीं से शुरू हुई है। उधर बोकलिंगा समुदाय की आबादी भी करीब 14 फीसदी है ।इस वोट बैंक का बड़ा हिस्सा तो जेडीएस के पास है लेकिन बाकी हिस्सा पर कांग्रेस का कब्जा है ।इस बार इस समुदाय में कांग्रेस की भारी पैठ बढ़ी है । इसके साथ ही सूबे में करीब 20 फीसदी पिछड़ी आबादी है ।इस पिछड़ी आबादी का बड़ा हिस्सा कुरुबा समुदाय का है ।यह कोई सात फीसदी है । पिछड़ी जातियां अभी तक सभी दलों को वोट देती रही है लेकिन इस बार कांग्रेस ने इस समुदाय में बढ़त बना लिया है । हालाकि पिछड़ी जातियों का एक बड़ा हिस्सा भले ही कांग्रेस के पास है लेकिन बीजेपी भी कई सालों में इस समाज के लिए बहुत कुछ किया है और माना जा राजा है कि इस बार बीजेपी को इसका लाभ मिल सकता है ।लेकिन एक सच यही है कि यह वोट सम्पूर्ण रूप से किसी पार्टी के साथ नही जुड़ा है।


सूबे की पूरी राजनीति लिंगायत और बोकलालिंग के इर्द गिर्द घूमती है ।यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी इन जातियों पर ही फोकस किए हुए हैं ।अगर लिंगायत वोट में कांग्रेस सेंध लगा देती है तो बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती है । बीजेपी इस बार बोकलालिंगा में भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन यह समाज जेडीएस के ज्यादा नजदीक है ।

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इस चुनाव में बीजेपी ने बोकलालिंगा को 47 सीट पर टिकट दिया है । उधर कांग्रेस ने भी 43 सीटों पर विक्कलिंगा समुदाय के लोगों को उतारा है कांग्रेस के शिवकुमार भी इसी समाज सेआते हैं ।जेडीएस ने इस समाज के 45 लोगों को टिकट दिया है । फिर बीजेपी ने लिंगायत समाज से आने वाले 68 लोगो को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने 52 लोगों को टिकट दिया है । अब देखना ये है कि जातियों की यह लड़ाई किसके पक्ष में जाती है ।अगर लिंगायत बीजेपी से नही हटती है तो बीजेपी का खेल सफल भी हो सकता है । (PM Modi Latest Update)

Akhilesh Akhil

Political Editor

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