Vikram Pragyan News: खबर सामने आई है कि चंद्रमा पर गए अपने विक्रम और प्रज्ञान (Vikram Pragyan ) सो गए हैं, अब जनता के मन में ये सवाल उठ रहे है कि क्या ये फिर से जागेंगे? इस तरह के सवाल मन में आना वाजिब भी है क्योंकि इससे इनके आगे का रास्ता तय होगा। यदि ये 14 दिन के बाद नहीं जागे तो हमेशा के लिए भारत के दूत बनकर वहीं रह जाएंगे। यदि उठे तो भारत के लिए अच्छी खबर सामने लाते रहेंगे।
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चंद घंटे पहले ही ISRO ने बताया है कि Chandrayaan-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह पर अपना काम पूरा कर लिया है और अब स्लीप मोड में चला गया है। ISRO ने कहा, ‘रोवर को अब सुरक्षित रूप से ‘पार्क’ (खड़ा) किया गया है और निष्क्रिय (स्लीप मोड) अवस्था में सेट किया गया है। APXS और LIBS पेलोड बंद हैं। इन पेलोड से आंकड़े लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर भेजे जाते हैं।’ इसका मतलब यह हुआ कि अगले 14 दिन तक विक्रम और प्रज्ञान (Vikram Pragyan ) से कोई संपर्क नहीं हो पाएगा। प्रार्थना कीजिए कि 22 सितंबर को जब फिर से चांद की सतह पर सूरज निकले तो अपने दोनों ‘हीरो’ उठ खड़े हों। दरअसल, चांद पर 14 दिन धूप और 14 दिन की रात होती है। अब वहां अंधेरा छा गया है और उन्हें निष्क्रिय कर दिया गया है। इससे पहले इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया था कि रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं। रोवर की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है।
ISRO ने बताया है कि चंद्रयान (Chandrayaan-3) का रिसीवर चालू रखा गया है। अपने कार्य के दूसरे चरण के लिए इसके सफलतापूर्वक फिर से उठने की उम्मीद है! अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह हमेशा के लिए भारत के ‘लुनार एंबेसडर’ के रूप में वहीं रहेगा। #Pragyan सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है।
रोवर ने काम पूरा किया
जानकारी के मुताबिक बता दें चंद्रमा की सतह पर जहां विक्रम लैंडर उतरा था, उस शिव शक्ति पॉइंट से Pragyan रोवर 100 Mtr तक चल चुका है। लेकिन दोनों अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित और चार्ज हैं। यदि 22 सितंबर को सूर्योदय होने के बाद वे सो कर उठे तो ISRO का एक और एसाइनमेंट पूरा करने के लिए तैयार रहेंगे। 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंडर के उतरने के बाद रोवर और विक्रम की फोटो सामनें आती रही हैं। कभी दोनों की दिलचस्प (Vikram Pragyan ) बातचीत देश को पता चलती, तो कभी रोवर बच्चों की तरह ‘याहूहहूहू’ स्टाइल में डांस करते दिखाई देते। लेकिन अब 14 दिनों का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन social media पर लोग कह रहे हैं कि सब अच्छा होगा अपने दोनों दूत (Vikram Pragyan ) फिर से जागेंगे।
12 दिन में अंधेरा कैसे हो गया? इस सवाल के जवाब में chandrayaan-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वारमुथूवेल ने रिपोर्ट को बताया कि हम पहले के 2 और अंतिम के 2 दिनों को गिन नहीं सकते हैं। 22 अगस्त को लुनार डे शुरू हो गया था और दूसरे दिन के अंतिम में सतह पर उतरे थे। सिस्टम को चालू रखने के लिए सूरज के एलिवेशन यानी सोलर एनर्जी मिलते रहने की आवश्यकता होती है। 6 डिग्री एलिवेशन एंगल की आवश्यकता होती है तभी सोलर पैनल काम करने के हालत में होंगे। इससे नीचे गया तो वहां अंधेरा छा जाएगा। बिल्कुल वैसा ही हुआ। 10 दिनों में 14,400 mtr के दौरान प्रज्ञान (Pragyan ) 1 सेमी प्रति सेकेंड की स्पीड से आगे बढ़ता रहा। रास्ते में अड़चनें आई और उसे पार भी किया।
यह भी जान लीजिए कि प्रज्ञान का ऑपरेशन पूरी तरह से ऑटोनॉमस नहीं है। जी हां, इसके लिए कमांड धरती से भेजा जाता है। इसने 4 मीटर व्यास वाले गड्ढे और 10 सेमी गहरे गड्ढे से खुद को बचाया था। अब भारत की नजरें 22 सितंबर की तारीख पर टिकी हैं। अगले 14 दिन चांद (Chandrayaan-3) पर अपने विक्रम और प्रज्ञान (Vikram Pragyan ) को बेहद ठंडे मौसम का सामना करना पड़ेगा।