बिजनौर: यूपी की बिजनौर पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है। जो बच्चों की खरीद-फरोख्त कर,उन्हे बाल मजदूरी कराने वालों के हाथों बेच देता था। पुलिस ने इनके चंगुल से 12 बच्चों को मुक्त कराया है.
चेहरे पर मासूमियत आंखों में आंसू तस्वीर उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की हैं.जिस उम्र में इन बच्चों के हाथों में कलम और किताब होनी चाहिए थी. उस उम्र इनसे मजदूरी कराई जा रही है.इनके हाथ में फावड़ा और पीठ पर बोझा डालने की तैयारी की जाती है.लेकिन भला हो उत्तर प्रदेश पुलिस का जिसे समय रहते इस गैंग की भनक लग गई.और तुरंत कार्रवाई करते हुए इस गैंग के चंगुल से इन बच्चों को मुक्त करा लिया.
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दरसल, मुखबिर द्वारा पुलिस को सूचना मिली थी कि,एक पिकअप वैन में बाल मजदूरी कराने वाला एक गैंग, बच्चों को तस्करी के लिये ले जा रहा है.सूचना के बाद पुलिस ने वैन का पीछा किया तो,पुलिस के होश उड़ गए. वैन से 12 नाबालिग बच्चे और 12 युवक बरामद किए. साथ ही पुलिस ने गैंग के तीन लोगों को भी गिरफ्तार किया है.पुलिस की पूछताछ में इस गैंग ने कबूल किया कि, ये लोग इन बच्चों के माता-पिता की गरीब का फायदा उठाते थे और इन बच्चों को अच्छी नौकरी के नाम पर अपने साथ ले जाते थे.जिसके बाद बिहार,झारखंड जैसे इलाके में इन्हें बाल मजदूरी कराने के लिये बेच दिया जाता था. फिलहाल पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
एसपी सिटी प्रवीन रंजन सिंह के मुताबिक, इन सभी को बाल श्रम विभाग के हवाले कर दिया है. जिससे इनके परिवार का पता लगाकर इन बच्चों को उन्हे सौंप जा सके.बाल श्रम अधिकारी का कहना है कि.ऐसे बंधुआ मजदूरों के ठेकेदार इनको खरीदकर मजदूरी कराने वालों को बेच देते थे.
पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 3 आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज कर लिया है.फिलहाल पुलिस मानव तस्करी के पूरे गैंग के नेटवर्क को खंगालने में लगी हुई है. हालांकि, इस मामले में पुलिस अपना होमवर्क जरूर कर रही है. लेकिन ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि, आखिर कब तक ये बच्चें इन सौदागरों के हाथ चढ़ते रहेंगे. आखिर बाल-मजदूरी पर रोक कब लगेगी ? इन नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कब तक होता रहेगा?