मोबाइल फोन से बच्चों को हो रही है ‘साइलेंट’ बीमारियां
जाने-अनजाने हम अपने छोटे बच्चों को प्यार-प्यार में ऐसी लत लगा देते हैं, जो बाद में उन्हें रोगग्रस्त बना देती है। माता पिता ही बच्चों में पैदा होने वाले ‘साइलेंट’ बीमारियों’ के लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन जब तक मां-बाप को अपनी गलती का अहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इन दिनों अधिकांश बच्चों में फोन देखने की आदत रोग की हद तक पहुंच चुकी है।
आजकल मां-बाप, चाचा, बुआ, मौसी प्यार दिखाते हुए बच्चों के हाथों में अपना स्मार्ट फोन थमा देते हैं। शुरु में वे बच्चे को अपनी पसंद का वीडियो, गेम अथवा फनी वीडियो दिखाते हैं, जिससे बच्चा खुश हो जाता है। बच्चे को शुरू में रोज़-रोज़ वीडियो दिखाने पर यह उसकी आदत में शुमार हो जाता है और धीरे- धीरे वह मोबाइल फोन देखने का आदी हो जाता है।
आज तीन-चार साल का छोटा बच्चा बड़ी सरलता से स्मार्ट फोन चलाना सीख जाता है। वह खुद अपनी पसंद के वीडियो गूगल पर ढूंढकर देखने लगता है। मां-बाप गर्व करते हैं कि उनका बच्चा बहुत एक्टिव और होशियार है। इसी खुशफहमी के चलते वे उसे फोन देखने की बीमारी लगा देते हैं। फोन देखना उसकी आदत में शामिल हो जाता है। कभी जब हम उसे फ़ोन नहीं देते तो वह फोन लेने की ज़िद करने लगता है। तब समझ लेना चाहिए कि आपने उसे फोन देखने का रोगी बना दिया है।
ऐसा बच्चा मना करने के बावजूद मौका पाते ही आपका फोन ले लेता है। याद रहे कि यदि कोई बच्चा फ़ोन न मिलने पर नाराज़ हो जाए, रोने लगे, पैर पटकता हुआ दूसरे कमरे में भाग जाए, तो समझ लीजिए कि उसे फोन देखने की लतऐसी बीमारी का रूप ले चुकी है, जिसका इलाज केवल मनोविज्ञान में है।
चिकित्सकों का कहना है कि छोटे बच्चों में फोन देखने की लत के कारण आँखों की रोशनी कम होने और ड्राईनेस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इस लत के कारण ही बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुझान कम होता है। ये बच्चे रचनात्मक गतिविधियों से दूर भागते हैं। वे स्वभाव से चिड़चिड़े और ज़िद्दी हो जाते हैं।
ऐसी स्थिति के लिए बच्चे नहीं, बल्कि अभिभावक जिम्मेदार होते हैं। बच्चों को प्यार जरूर करें, लेकिन उनके हित में कड़े निर्णयलेने से भी नहीं हिचकना चाहिए। इसलिए जहां तक हो सके, पांच साल के कम के बच्चों को स्मार्ट फोन की पहुंच से दूर रखें, ताकि उनका स्वाभाविक रुप से मानसिक व शारीरिक विकास हो सके और वे अनचाही बीमारी की चपेट में आने से बच सकें।