Political News: दबाव की राजनीति कितनी कारगर होती है इसे नीतीश कुमार खूब जानते हैं। वे जानते हैं कि किसको कैसे लाइन पर लाना है। वे यह भी जानते हैं कि कब कौन सी राजनीति को आगे बढ़ाना है और किस नेता को साधना है। हालांकि नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के किसी भी नेता से कोई बैर नहीं है। वे सबके हैं और सब उनके ही है। लेकिन फिर भी जब अपने मान- सम्मान की बात आती है तब कोई भी अपनी बात को आगे बढ़ाने से नहीं चुकता। यह बात भले ही दबाव के जरिये ही क्यों न हो। वह कांग्रेस के साथ भी हैं और साथ रहेंगे भी लेकिन अपनी बात रख कर वे आगे बढ़ रहे हैं। उनके मन में कोई दल परिवर्तन की बात नहीं है। वे कोई इंडिया छोड़कर एनडीए के साथ नहीं जा रहे हैं लेकिन भला स्वांग रचने में जाता ही क्या है ? अगर स्वांग रचने से कोई लाभ मिल जाए और भविष्य सवंर जाए तो इसमें हर्ज ही क्या है ?
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नीतीश कुमार निश्चित तौर पर कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। दिल्ली की इंडिया बैठक में उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें संयोजन बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ऊपर से ममता बनर्जी ने उनके खेल को और भी ख़राब कर दिया। खड़गे का नाम पीएम उम्मीदवार के रूप में ममता ने उछाला और नीतीश परेशान हो गए। इसके बाद पिछले एक पखवारे से यही सब चलता रहा। जदयू की बैठक हुई और उस बैठक में न सिर्फ नीतीश ने खुद ही पार्टी की बागडोर का संभाला बल्कि कांग्रेस पर वार भी किया था। उन्होंने यह कह दिया कि कांग्रेस उनके द्वारा किये गए कामो की चर्चा नहीं कर रही है। जबकि बीजेपी उनके काम को अपने काम से जोड़ लेती है। इससे पहले भी नीतीश कुमार ने विधान सभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस पर तंज किया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का ध्यान इंडिया गठबंधन से ज्यादा पांच राज्यों के चुनाव पर है। जहीर इन सभी बातों को जदयू की बैठक में प्रेसर पॉलिटिक्स के रूप में देखा गया।
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अब जो भीतर से खबर निकल कर आ रही है उसके मुताबिक इंडिया गठबंधन में दो संयोजक बन सकते हैं। एक उत्तर भारत से और दूसरे दक्षिण भारत से। लेकिन यहां सवाल तो नीतीश कुमार को लेकर है। नीतीश कुमार ने ही इंडिया गठबंधन का शक्ल दिया है इसमें कोई दो राय नहीं है। नीतीश कुमार पिछले साल कई नेताओं से जाकर मिले और सबको पटना बुलाया। सब आये भी और फिर बीजेपी के खिलाफ एक गठबंधन का शक्ल बना। नीतीश निश्चित रूप से इसके हीरो हो सकते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि गठबंधन में उन्हें संयोजक का पद मिलेगा। बिहार में उन्हें उनकी पार्टी के लोग पीएम उम्मीदवार के रूप में भी देखने लगे।
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हालांकि गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी अभी किसी को संयोजक बनाने जे फेर में नहीं थी लेकिन अब माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को जल्द ही संयोजक का पद दिया जा सकता है। इसके साथ ही उत्तर भारत में उनके हवाले ही सभी रणनीति दी जा सकती है। एक जानकारी यह भी मिल रही है कि 14 जनवरी से जब राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा की शुरुआत करेंगे उससे पहले नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जा सकता है। खबर ये भी है कि कांग्रेस की बिहार इकाई के साथ कांग्रेस आला कमान की बात हो रही है इसके साथ ही खड़गे और राहुल गाँधी खुद भी नीतीश के संपर्क में हैं। जानकारी यह भी आ रही है कि कांग्रेस ने संयोजक के लिए उन्हें कह भी दिया है। जाहिर है नीतीश कुमार संयोजक बनते हैं तो इंडिया गठबंधन को लाभ मिलेगा। वह इसलिए कि कम से कम उत्तर भारत में आज नीतीश से बड़ा नेता कोई भी नहीं है। उनके दमन पाक साफ़ हैं और उनकी रणनीति अचूक भी होती है। ऐसे में नीतीश कुमार को आगे करने में किसी को कोई आपत्ति नहीं है।