6th phase Voting percentage Delhi LokSabha 2024: लोकसभा चुनाव अब कगार पर हैं। आज 25 मई को दिल्ली के महामुकाबले में वोटिंग है। राज्य में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) भारत गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ रही हैं।
वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनौती देने की पूरी कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ भाजपा का उत्साह भी हाई है। पार्टी एक बार फिर 2019 की तर्ज पर दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत का दावा कर रही है। तो आइए जानते हैं दिल्ली की सातों सीटों के सियासी समीकरण, किस सीट पर किसका पलड़ा भारी और कौन कमजोर?
दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं, जिनके नाम नई दिल्ली, चांदनी चौक, पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली हैं। भारत गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आम आदमी पार्टी के साथ आने से कांग्रेस को मजबूती मिली है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां भाजपा को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं। हालांकि, इस बार भाजपा ने उत्तर-पूर्व सीट को छोड़कर दिल्ली की सभी सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं।
1. उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट
उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट राज्य की सभी सीटों में सबसे हॉट सीट बन गई है। बीजेपी ने इस सीट के लिए एक बार फिर मनोज तिवारी पर भरोसा जताया है। वह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के गायक और सुपरस्टार हैं। वह लगातार दो बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं। वह बिहार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन दिल्ली की राजनीति में अपनी पहचान बना रहे हैं। मनोज तिवारी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को टिकट दिया है।
यही वजह है कि दिल्ली की इस लोकसभा सीट पर दो पूर्वांचलियों के बीच की लड़ाई में बाहरी का मुद्दा भी हावी रहा। इस सीट पर ज्यादातर वोटर पूर्वांचल के हैं। बिहार से आने वाले कन्हैया कुमार ने छात्र राजनीति से शुरुआत की थी, लेकिन अब वह देश की राजनीति में भी अपनी जगह बना चुके हैं। राहुल गांधी को भी उन पर पूरा भरोसा है कि वह इस चुनाव में मनोज तिवारी के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
बीजेपी ने लगातार तीसरी बार मनोज तिवारी को टिकट दिया है। मनोज तिवारी भी बिहार से आते हैं। मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार में एक बात कॉमन है कि दोनों ने ही राजनीति की शुरुआत दिल्ली से की है। इससे इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
उत्तर पूर्व संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। उत्तराखंड पूर्वांचल के लोग भी यहां बड़ी संख्या में रहते हैं। पिछले चुनाव में दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित कांग्रेस की उम्मीदवार थीं, जबकि बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी मैदान में थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। आपको बता दें कि उत्तर पूर्व संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 10 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से अधिकतर विधानसभा क्षेत्र AAP के कब्जे में हैं। यह दिल्ली के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक है।
2. नई दिल्ली लोकसभा सीट
नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी की बांसुरी स्वराज और AAP के सोमनाथ भारती के बीच कड़ी टक्कर है। बांसुरी स्वराज बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी हैं। इस बार बीजेपी ने मीनाक्षी लेखी का टिकट काटकर बांसुरी स्वराज को इस सीट से मैदान में उतारा है। वहीं AAP ने मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती को टिकट दिया है। दोनों पेशे से वकील हैं।
आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन के कारण यहां समीकरण बदल गए हैं, इसलिए दोनों दलों के सामने वोट प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती होगी। नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 10 सेंबी सीटें आती हैं, जिनमें से पटेल नगर और करोल बाग आरक्षित विधानसभा क्षेत्र हैं, बाकी 8 विधानसभा क्षेत्रों में मिश्रित संस्कृति के मतदाता हैं। दिल्ली कैंट क्षेत्र में ज्यादातर भारतीय सेना के लोग रहते हैं। यहां कुछ पुराने गांव भी बसे हैं। नई दिल्ली क्षेत्र के अंतर्गत मालवीय नगर और ग्रेटर कैलाश दो ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनकी सीमा साउथ दिल्ली लोकसभा सीट से सटी हुई है।
3. पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट
पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर पूर्वांचल के मतदाता बड़ी संख्या में हैं। 2019 के चुनाव में यहां से भाजपा उम्मीदवार प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है। पार्टी ने प्रवेश वर्मा का टिकट काटकर महिला उम्मीदवार कमलजीत सहरावत को दिया है। वहीं, आप ने पूर्वांचल से ताल्लुक रखने वाले पूर्व सांसद महाबल मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर उनकी पहले से ही पकड़ है।
महाबल मिश्रा बिहार से आते हैं। पश्चिमी दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहार के लोग भी रहते हैं। ऐसे में इस सीट पर वोटरों को लुभाने के लिए दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चाल चली है। इस बार मुकाबला कड़ा होगा इस लोकसभा क्षेत्र में 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें जनकपुरी, तिलक नगर, सुभाष नगर, राजौरी गार्डन, मादीपुर, हरिनगर, उत्तम नगर, द्वारका, नजफगढ़, विकास पुरी इन सभी 10 विधानसभा सीटों पर आप के विधायक हैं।
4. चांदनी चौक लोकसभा सीट
चांदनी चौक सीट दिल्ली और देश भर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। पिछले दो लोकसभा चुनावों से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है। बीजेपी नेता डॉ. हर्षवर्धन यहां से सांसद थे, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। इस बार बीजेपी ने प्रवीण खंडेलवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव हैं। चांदनी चौक व्यापारियों का गढ़ माना जाता है, ऐसे में प्रवीण खंडेलवाल की इस इलाके में मजबूत पकड़ बीजेपी को फायदा पहुंचा सकती है। उनका मुकाबला इंडिया अलायंस के उम्मीदवार जेपी अग्रवाल से है। वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जेपी अग्रवाल लोकसभा में उत्तर पूर्वी दिल्ली चांदनी चौक का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे में इन नेताओं के बीच मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। चांदनी चौक लोकसभा सीट के अंतर्गत 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, ये सभी सामान्य सीटें हैं। इस लोकसभा सीट पर 20.34 फीसदी मुस्लिम हैं। वहीं, यहां अनुसूचित जाति के 21.14 फीसदी लोग रहते हैं।
5. साउथ दिल्ली लोकसभा सीट
इस बार बीजेपी ने साउथ दिल्ली लोकसभा सीट से विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रमेश बिधूड़ी ने यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2024 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया है। वहीं, इंडिया अलायंस ने यह सीट आप को दे दी है। आप ने सहीराम पहलवान को अपना उम्मीदवार बनाया है। यह सीट गुज्जर बहुल सीट मानी जाती है। यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने इस सीट पर गुज्जर उम्मीदवार उतारे हैं।
साउथ दिल्ली लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था, जिसमें भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की थी। यहां अब तक हुए 13 चुनावों में भाजपा ने 7 बार और कांग्रेस ने 4 बार जीत हासिल की है। इसलिए आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भाजपा ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा है। बिजवासन, पालम, महरौली, छतरपुर, देवली, अंबेडकर नगर, संगम विहार, कालकाजी, तुगलकाबाद, बदरपुर विधानसभा क्षेत्र इस सीट के अंतर्गत आते हैं।
6. पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट
2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी ने हर्ष मल्होत्रा को चुनावी रण में उतारा है। वे पूर्वी दिल्ली से नगर निगम पार्षद और 2015-16 में दिल्ली के मेयर भी रह चुके हैं। वहीं, आप ने हर्ष मल्होत्रा के खिलाफ कोंडली से विधायक कुलदीप कुमार को मैदान में उतारा है। इस बार इस सीट पर कांग्रेस-आप गठबंधन का असर देखने को मिलेगा। इससे मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं होगा। साथ ही भारत गठबंधन को कुछ सिख वोट मिलने की भी उम्मीद है, ऐसे में भाजपा के लिए जीत की राह मुश्किल हो सकती है।
7. उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट
उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। भारत गठबंधन के तहत यह टिकट कांग्रेस के खाते में आया है। पार्टी ने पूर्व सांसद उदित राज को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने इस बार योगेंद्र चंदोलिया को टिकट दिया है। अगर 2019 के चुनाव की बात करें तो भाजपा ने सूफी गायक हंसराज हंस को अपना उम्मीदवार बनाया था। वे जीत गए। वहीं, 2014 में भाजपा ने उदित राज को टिकट दिया था। तब उन्होंने आप उम्मीदवार राखी बिड़लान को हराया था। 2019 में टिकट कटने के बाद उदित का भाजपा से मोह टूटा और फिर उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। यही वजह है कि कांग्रेस ने इस चुनाव में उन पर दांव लगाया है।
उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र में 10 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें नरेला, बादली, रिठाला, बवाना, मुंडका, किराड़ी, सुल्तानपुर माजरा, नांगलोई जाट, मंगोलपुरी रोहिणी हैं। इनमें से 9 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। जबकि रोहिणी विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक विजेंद्र गुप्ता हैं। इस संसदीय क्षेत्र में रोहिणी, पीतमपुरा, सरस्वती विहार, आउटर रिंग रोड के पार मॉडल टाउन जैसी पॉश कॉलोनियां हैं। वहीं, बवाना, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी, जैसे इलाकों में औद्योगिक इकाइयां हैं।