Congress Latest News: इस बार के लोकसभा चुनाव (Loksabha election) में किसकी जीत होगी और किसकी हार यह तो कोई नहीं बता सकता लेकिन चुनावी लड़ाई इस बार कठिन है। पूरी की पूरी राजनीति दो चुनावी गठबंधन के बीच आ फंसी है। एक तरफ एनडीए की सेना है तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की सेना। कौन गठबंधन किस पर कितना भारी पडेगा यह भी कोई नहीं जानता लेकिन एक बात साफ़ है कि मौजूदा समय में इंडिया गठबंधन से आगे बढ़ता हुआ एनडीए तो दिख ही रहा है।
लेकिन एनडीए की मुख्य पार्टी बीजेपी को चैन कहाँ है ? उसे तो फुर्सत भी नहीं। बीजेपी जानती है कि थोड़ी सी चूक नय्या को डुबो सकती है। इसलिए बीजेपी कोई चूक नहीं करना चाहती। बीजेपी को लग रहा है कि अगर सरकार इस बार भी बनानी है तो अधिक से अधिक सीटें जितनी है और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है।
बीजेपी इस बार अपने सभी नेताओं को चुनावी मैदान में उतार रही है। जिन नौकरशाहों ने बीजेपी की सेवा की है और राज्य सभा के जरिये मंत्री बने हैं वे भी इस बार चुनावी मैदान में खड़े दिखेंगे। कई राज्य सभा सदस्य रहे नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी है। बीजेपी के नेता को जो आदेश शीर्ष नेताओं द्वार मिल रहे हैं उस आदेश को नेता लोग सहज स्वीकार कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस (Congress party News) के भीतर इस तरह की बात नहीं है। सच तो यह है कि कांग्रेस भी अपने सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतरने की तैयारी में है। राहुल गाँधी ने तो कह भी दिया है कि सभी बड़े नेता अपनी इच्छा के मुताबिक सीट तय करके चुनाव लड़े। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। कांग्रेस के दिग्गज कहलाने वाले नेता अब चुनाव लड़ने से पीछे भागते दिख रहे हैं।
राहुल गाँधी ने जो कहा उस पर अमल नहीं होता है, तो कांग्रेस (Congress party News) की अगली रणनीति क्या होगी यह कोई नहीं जानता। हालांकि कांग्रेस इस बार युवाओं पर ज्यादा जोर लगा रही है। कांग्रेस की समझ है कि युवा भारत में युवा ही देश की तक़दीर को बदल सकते हैं और युवाओं को आगे आने से ही लोकतंत्र मजबूत हो सकता है। उन्होंने युवाओं के लिए इस बार बड़ी घोषणाएं भी की है।
30 लाख सरकारी नौकरी देने की बात कोई मामूली बात नहीं है लेकिन क्या इस दाव का लाभ कांग्रेस को मिलेगा ? इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अगर देश के युवा कांग्रेस का साथ देते भी हैं तो क्या यह माना जा सकता है कि देश के युवा उम्मीदवार चुनाव भी जीत सकते हैं ? कतई नहीं। ऐसा हो नहीं सकता। राजनीति और चुनाव लड़ने की कहानी अलग -अलग होती है और फिर जनता का मिजाज क्या होता है यह कौन जाने !
तो फिर कहानी वही पर आती है कि आखिर कांग्रेस के दिग्गज चुनाव से क्यों कतरा रहे हैं ? कोई भी बड़ा नेता चुनाव लड़ना क्यों नहीं चाहता ? खबर के मुताबिक जब राहुल गाँधी गुजरात में भारत जोड़ो यात्रा को निकाल रहे थे तो एक दिन की छुट्टी लेकर वे दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने इस मसले पर सभी नेताओं से चर्चा भी की। फिर उन्होंने पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति में भी इस बात को उठाया कि दिग्गजों को चुनाव लड़ना चाहिए। फिर उन्होंने अलग -अलग प्रदेशों के बड़े नेताओं के बार में भी बात की। उनके लिए सीटों की चर्चा भी की लेकिन अभी तक कोई बड़ा परिणाम सामने नहीं आया है।
खबर के मुताबिक कांग्रेस के अधिकतर दिग्गजों ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। अब कांग्रेस के भीतर और खासकर राहुल की टीम के भीतर इस बात की चर्चा हो रही है कि बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से मतदाताओं के बीच बेहतर संदेश नहीं जा रहे हैं। खबर मिल रही है कि कांग्रेस के अधिकतर बड़े नेता अपने बेटों को चुनाव लड़ाने के पक्ष में हैं। कांग्रेस की चिन्ता यह है कि बड़े नेता जब चुनाव नहीं लड़ेंगे तो पार्टी कमजोर दिखाई पड़ेगी और फिर बाद में यही नेता राज्य सभा में जाने को तैयार होंगे। और राज्य सभा नहीं भेजा गया तो फिर वे आगे की राजनीति देखने चले जायेंगे। यही वजह है कि राहुल गाँधी चुनाव में सभी बड़े नेताओं को उतारकर उनकी हैशियत को देखना चाहते हैं।
राजस्थान ने अशोक गहलोत पहले चुनाव लड़ने को तैयार थे लेकिन अब उन्होंने मन कर दिया है। उनके बेटे वैभव गहलोत एक नयी सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं। इस बार वे जालौर सीट से चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार वे जोधपुर सीट से हार गए थे। इसी तरह कमलनाथ भी इस बार चुनाव लड़ने से मन कर दिया है। उनके बेटे नकुलनाथ ही चुनाव लड़ेंगे। दिग्विजय सिंह पिछली बार भोपाल से चुनाव लाडे थे लेकिन प्रज्ञा ठाकुर से हार गए थे लेकिन इस बार वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उधर उत्तराखंड में हरीश रावत को पार्टी चुनाव लड़ाना चाहती है लेकिन वे लड़ना नहीं चाहते। इन्होने भी अपने बेटे को आगे कर दिया है। यशपाल आर्य को भी चुनाव लड़ने को कहा गया लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते। पिछली बार वे सोनीपत से चुनाव लाडे थे लेकिन हार गए। उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा भी रोहतक से चुनाव लाडे लेकिन हार गए। हालांकि राहुल गाँधी ने पर्य्य महासचिव वेणुगोपाल को मैदान में उतरकर सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने का मैसेज नदिया था लेकिन पार्टी का कोई भी बड़ा नेता चुनाव लड़ना नहीं चाहता। ऐसे में पार्टी अगर क्या कुछ करती है इसे देखना होगा।