Political News Pramod Krishnam: अब पार्टी के साथ किसी की वफादारी नहीं रहती। नेता पार्टी के नाम पर अपना खेल करते हैं और पार्टी उन्ही नेताओं को आगे बढाकर अपना जनाधार बढ़ाती है। कह सकते हैं कि दोनों के लिए दोनों जरुरी हैं। लेकिन मामला विचारधारा का तो होता है। जिस पार्टी की कोई अपनी विचारधारा नहीं और कोई आइडियोलॉजी नहीं वह पार्टी समाज और देश के क्या कुछ करे सकती है ? यह कहानी ठीक वैसी ही ही जिसे जब कोई विचारहीन आदमी समाज में कोई आदर का पात्र नहीं होता। जिस व्यक्ति में पण विचार नहीं ,सामाजिक समझ नहीं और देश के बारे में अच्छी सोंच नहीं वह भला की कर सकता है ?
ये बातें इसलिए कही जा रही है कि आज कल बहुत से नेट झटसे अपना पाला बदल देते हैं। जहां कभी भी लाभ दिखा ,पला बदलते देर नहीं लगती है। नीतीश कुमार की हालिया घटना को आप अब हर जगह कोट कर सकते हैं। सिर्फ अपनी कुर्सी को बचाये रखने के लिए ही उन्होंने ऐसा किया। चुकी तेजस्वी यादव वादे के मुताबिक कुर्सी की मांग कर रहे थे लेकिन नीतीश वादा निब छह रहे थे। ऐसे में उन्होंने सोचा कि एनडीए के साथ जाकर इस चक्कर से छुटकारा मिल सकता है। उन्होंने ऐसा ही किया।
अब कांग्रेस वाले प्रमोद कृष्णम भी कुछ ऐसा ही करने को सोच रहे हैं। वे काफी दिनों से कांग्र्रेस के बाकी नेताओं पर हमला कर रहे हैं। वे राहुल गाँधी पर भी हमला करते हैं और खड़गे पको भी नहीं छोड़ते। जबसे कांग्रेस वालों ने अयोध्या मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इंकार किया है तब प्रमोद कृष्णम और भी बिफडे हुए हैं।
प्रमोद कृष्णम (Pramod krishnam) प्रियंका गाँधी (Priyanka Gnadhi) के नजदीकी रहे हैं लेकिन इन दिनों वे कांग्रेस (Congress) से बहार निकलने को तैयार है। वे अक्सर राहुल के साथ ही खड़गे पर भी वार करते नजर आते हैं। जिस तरह से वे कांग्रेस के बाकी नेताओं पर वार करते हैं और बीजेपी (BJP)और मोदी (Modi) की सराहना करते है कि उससे साफ़ हो गया है कि प्रमोद कृष्णम कांग्रेस को झटक दे सकते हिन्।
खड़गे (Kharge) और राहुल (Rahul) पर तंज कस्ते हुए आचर्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam)ने कहा है कि बड़े नेताओं को अपनी मर्यादा और भाषा का ध्या रखना चाहिए। कार्यकर्ताओं से ही पार्टी बनती है। कार्यकर्ता ही कर्मठ और वीर होते हैं तो पार्टी आगे बढ़ती है। सभी पार्टियां की कार्यकर्ताओं के खून पसीने की बुनियाद पर ही तैयार होती है। कांग्रेस भी कार्यकर्ताओं की बुनियाद पर ही टिकी हुई है। मुझे लेकर जिस तरह की भाषा का उपयोग पारी के नेता कर रहे हैं वह ठीक नहीं है। उन्हें क्षमा मांगनी चाहिए।
लखनऊ से राजनाथ सिंह खिलाफ पिछली बार चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गाँधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वे राहुल गाँधी से साल भर से मिलने का समय मांग रहे हैं लेकिन समय नहीं मिल रहा है। शायद मेरा संदेश उन तक पहुंच ही नहीं रहा है। कोई सन्देश को नहीं पहुंचा रहा है। जबकि सीएमओ को फोन करने के चार दिन बाद ही मिलने का समय तय हो गया। हमारी मुलाकात भी हो गई।
बी आचार्य क्या करेंगे कोई नहीं जानता लेकिन प्रमोद कृष्णम मोदी को दैवीय शक्ति वाला पुरुष मान रहे हैं। जाहिर है कोई कांग्रेस का नेता मोदी के लिए इतनी बड़ी बात कह रहा हो तो फिर बीजेपी के साथ जाने में क्या बुराई हो सकती है।