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सामान नागरिक संहिता कानून बनाने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

UCC Uniformin Civil Code Uttarakhand: सामान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) बनाने वाला देश का पहला राज्य (State) उत्तराखंड (Uttarakhand) बन गया है और अब राज्य सरकार ने इसे मंगलवार को विधान सभा में इसको लेकर विधेयक भी पेश कर दिया है। मन जा रहा है कि इस विधेयक के पास होते ही यह कानून का रूप ले लेगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में यह यह सब किया गया है। कहा जा रहा है कि इस कानून में कई बातो को शामिल किया गया है जिससे देश की दास और दिशा भी बदल सकती है। हालांकि इस कानून का विरोध भी खूब हो रहा है लेकिन जिस तरह की बातें सामने आ रही उससे तो यही लगता है कि यह कानून देश के लिए लाभकारी हो सकता है और खासकर महिलाओं को इस कानून से बहुत से लाभ मिल सकते हैं।


उत्तराखंड में जो सामान आचार संहिता बनाई गई है उसमें अब सूबे में कोई बच्चा नाजायज नहीं होगा। इस संहिता में वैध और नाजायज बच्चो के अंतर को ख़त्म कर दिया गया है। चाहे बच्चा जिस भी धर्म से सम्बन्ध रखता हो वह नाजायज नहीं हो सकता। जो बच्चे गोद लिए गए हों या फिर सरोगेसी या अन्य प्रजनन तकनीक से जन्मे हों उन्हें अन्य जैविक बच्चो की तरह ही माना जयेगा।


उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने सामान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) विधेयक में बेटे और बेटी के लिए सामान रूप से पैतृक संपत्ति में अधिकार रखा है। अधिकतर परिवार अपनी बेटियों को अपनी संपत्ति नहीं देते इस वजह से यह प्रावधान विस्तृत रूप से तैयार किया गया है।
इसके साथ ही एक बड़ा प्रावधान यह भी शामिल किया गया है कि कोई भी लड़का और लड़की अपंजीकरण कराये लिव इन रिलेशन में नहीं रह सकता। इसके लिए पंजीकरण जरुरी किया जाय। इसके साथ ही 21 वर्ष से पहले कोई भी इस तरह के सम्बन्ध में रहता है तो उसे अपनी माता -पिता से सहमति लेने की जरूरत भी होगी। पंजीकरण में अगर गलत जानकारी दी गई तो तीन महीने की जेल भी हो सकती है। अगर पंजीकरण नहीं किया हो तो उसे छह महीने की जेल और 25 हजार का जुर्माना भी होगा।


उत्तराखंड सरकार ने इस सामान नागरिक संहिता के मसौदे में तलाक की एक ही प्रक्रिया माना है। तलाक के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में अलग अलग कानून हैं। अब इस विधेयक में सबको एक ही कर दिया गया है। इसके साथ ही बहुविवाह को ख़त्म कर दिया गया है। सभी धर्मो की लड़कियों के लिए सामान वैवाहिक उम्र और तलाक के लिए सामान प्रक्रिया को ही रखा गया है। मुस्लिम महिलाओं के लिए हलाला और इद्दत इस्लामी प्रथाओं पर रोक लग जाएगी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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Akhilesh Akhil

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