Conspiracy of Coup in Bangladesh: बांग्लादेश सेना में तख्तापलट की साजिश? कट्टरपंथी गुट के समर्थन में जुटे फैजुर्रहमान, बढ़ी हलचल
Conspiracy of Coup in Bangladesh: बांग्लादेश सेना में तख्तापलट की अटकलें तेज हो गई हैं, जहां इस्लामिस्ट रुख रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान कथित तौर पर सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां को हटाने की साजिश रच रहे हैं। फैजुर रहमान सेना में समर्थन जुटाने में लगे हैं, जबकि जमां को उनकी मध्यमार्गी सोच के लिए जाना जाता है।
Conspiracy of Coup in Bangladesh: बांग्लादेश की सेना में तख्तापलट की अटकलें तेज हो गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कट्टरपंथी विचारधारा के लिए मशहूर लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान मौजूदा सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां को हटाने की साजिश रच रहे हैं। इस साजिश में सेना के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिनमें लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद शाहीनुल हक और मेजर जनरल मोहम्मद मोइन खान शामिल हैं। रहमान कथित तौर पर सेना के अंदर समर्थन जुटाने के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी मुलाकात की है।
क्या है तख्तापलट की साजिश?
बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है, जिससे सेना में भी हलचल देखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना के भीतर अपने प्रभाव को बढ़ाने में लगे हैं। हालांकि, उनके पास फिलहाल सैनिकों की प्रत्यक्ष कमान नहीं है, लेकिन वे बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी DGFI (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फोर्सेस इंटेलिजेंस) का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
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बताया जा रहा है कि रहमान पाकिस्तान की आईएसआई से भी संपर्क में हैं और उन्होंने हाल ही में इसके प्रमुख से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात का मकसद तख्तापलट की योजना को समर्थन और मदद हासिल करना था। रहमान कट्टरपंथी इस्लामी गुटों के करीबी माने जाते हैं और देश में इस्लामी शासन को और मजबूत करने के लिए सेना की कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं।
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मौजूदा सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां पर क्यों बढ़ा खतरा?
मौजूदा सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां को उनकी मध्यमार्गी सोच और संतुलित नीतियों के लिए जाना जाता है। वे सेना को देश की स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था मानते हैं और कट्टरपंथी ताकतों के प्रभाव को रोकने के पक्षधर हैं। इसके अलावा, उनका भारत के प्रति रवैया भी सकारात्मक है, जो कट्टरपंथी गुटों को नागवार गुजर रहा है।
विशेष रूप से, पिछले साल 5 अगस्त को जब कट्टरपंथी भीड़ ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के आवास पर हमला किया था, तब वकार उज जमां ने हसीना को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की थी। यही वजह है कि इस्लामवादी गुट उन्हें पसंद नहीं करते और सेना के भीतर उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
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कौन हैं तख्तापलट की साजिश में शामिल अन्य अधिकारी?
- लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद शाहीनुल हक
शाहीनुल हक का नाम भी इस साजिश में प्रमुख रूप से आ रहा है। 2022 में विजय दिवस परेड की कमान संभालने वाले हक सेना में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं। उन्हें उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया था। हक ने सेना मुख्यालय में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के रूप में भी काम किया है और उन्हें सेना में उच्च पदों के लिए संभावित दावेदार माना जाता है।
- मेजर जनरल मोहम्मद मोइन खान
मेजर जनरल मोइन खान भी इस कथित तख्तापलट योजना का हिस्सा हो सकते हैं। वे सेना में रणनीतिक निर्णयों और संचालन से जुड़े रहे हैं और कट्टरपंथी गुटों के प्रति नरम रुख रखने के लिए जाने जाते हैं।
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सेना का हस्तक्षेप
बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल का लंबा इतिहास रहा है। 1975 में देश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद से ही बांग्लादेश में सेना का राजनीति में दखल रहा है। 2007 में भी बांग्लादेश में एक अस्थायी सैन्य शासन देखा गया था।
हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतों के खिलाफ सख्त रही है और उन्होंने कई इस्लामी संगठनों पर प्रतिबंध भी लगाया है। ऐसे में सेना के भीतर कट्टरपंथी गुटों की बढ़ती सक्रियता सरकार के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है।
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भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें बांग्लादेश पर
अगर बांग्लादेश में तख्तापलट की साजिश सफल होती है, तो इसका असर न केवल बांग्लादेश की स्थिरता पर पड़ेगा, बल्कि भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया के लिए यह चिंता का विषय होगा। भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत रक्षा और व्यापारिक संबंध हैं। अगर कट्टरपंथी ताकतों को सेना में ज्यादा प्रभाव मिलता है, तो इसका असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी पड़ सकता है।
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इसके अलावा, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश भी बांग्लादेश की स्थिरता पर नजर बनाए हुए हैं। बांग्लादेश अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है और वाशिंगटन किसी भी सैन्य हस्तक्षेप को लेकर सतर्क रहेगा।
क्या सेना प्रमुख वकार उज जमां तख्तापलट को रोक पाएंगे?
इस पूरे घटनाक्रम के बीच सवाल यह उठता है कि क्या मौजूदा सेना प्रमुख वकार उज जमां इस साजिश को नाकाम कर पाएंगे? अब तक उनकी तरफ से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन अगर सेना में बगावत के संकेत मिलते हैं, तो सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी होगी।
बांग्लादेश की स्थिति इस वक्त नाजुक दौर से गुजर रही है। अगर तख्तापलट की यह साजिश सफल होती है, तो देश में एक और सैन्य शासन का दौर शुरू हो सकता है, जिससे लोकतंत्र को गहरा झटका लगेगा।