Court Dress Code: देहरादून कोर्ट परिसर में काला कोट सिर्फ वकीलों के लिए, बार एसोसिएशन का सख्त फैसला
देहरादून कोर्ट परिसर में अब सिर्फ अधिवक्ता ही पारंपरिक वकील की ड्रेस पहन सकेंगे, अन्य कोई व्यक्ति नहीं। बार एसोसिएशन ने यह निर्णय कोर्ट में हो रही ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए लिया है। इंटर्न और मुंशी के लिए अलग ड्रेस कोड और पहचान पत्र अनिवार्य कर दिए गए हैं।
Court Dress Code: देहरादून जिला न्यायालय परिसर में अब केवल पंजीकृत अधिवक्ता ही काला कोट, सफेद शर्ट और काली पैंट पहन सकेंगे। आम नागरिक, इंटर्न या मुंशी इस ड्रेस कोड में नजर आए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। देहरादून बार एसोसिएशन ने यह निर्णय हाल के दिनों में कोर्ट परिसर में वकील की पोशाक पहनकर ठगी और धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से लिया है।
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अधिवक्ताओं की पहचान बनी ड्रेस का गलत इस्तेमाल
बार एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी कपिल ने जानकारी दी कि संगठन के पास कई शिकायतें आई थीं कि कुछ लोग, जो वास्तव में वकील नहीं हैं, वे अधिवक्ताओं की पोशाक पहनकर न्यायालय परिसर में घूमते हैं। इससे आमजन भ्रमित होते हैं और कई बार फर्जीवाड़े का शिकार भी बनते हैं।
कपिल के अनुसार, “यह देखा गया है कि कुछ व्यक्ति वकीलों की पारंपरिक पोशाक में न केवल परिसर में घूमते हैं, बल्कि खुद को वकील बताकर कोर्ट से जुड़े कामों में भी हस्तक्षेप करते हैं। इससे लोगों के साथ ठगी की आशंका बढ़ जाती है।”
इंटर्न और मुंशी के लिए अलग ड्रेस कोड
बार एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया है कि लॉ इंटर्न अब केवल अपनी कॉलेज की यूनिफॉर्म में ही कोर्ट परिसर में आ सकेंगे। वहीं, जो लोग किसी अधिवक्ता के अधीन मुंशी के तौर पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें अलग से पहचान पत्र बनवाना होगा। यह पहचान पत्र बार एसोसिएशन से ही मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
इस निर्देश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोर्ट परिसर में मौजूद हर व्यक्ति की पहचान स्पष्ट हो, ताकि आमजन धोखा न खाएं और वकीलों की पहचान को सुरक्षित रखा जा सके।
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बार एसोसिएशन की अपील
देहरादून बार एसोसिएशन ने सभी अधिवक्ताओं से आग्रह किया है कि वे अपने यहां काम करने वाले सहायक या मुंशी का पहचान पत्र अनिवार्य रूप से एसोसिएशन से प्रमाणित करवाएं। इसके अलावा, एसोसिएशन की ओर से यह निर्देश भी जारी किया गया है कि कोई भी इंटर्न, चाहे वह किसी भी कॉलेज से हो, कोर्ट परिसर में प्रवेश करने से पहले किसी अधिवक्ता की निगरानी में कार्यरत होने का प्रमाण लेकर ही आए।
बढ़ती घटनाओं के बाद लिया गया फैसला
हाल के दिनों में देहरादून जिला न्यायालय परिसर में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जहां वकील की पोशाक पहनकर कुछ व्यक्तियों ने खुद को अधिवक्ता बताकर लोगों को धोखा दिया। इन मामलों में पीड़ितों ने जब संबंधित वकील से संपर्क किया, तो पता चला कि वह व्यक्ति अधिवक्ता नहीं था।
इन घटनाओं से सीख लेते हुए बार एसोसिएशन ने कड़ा कदम उठाया है, ताकि न्यायालय परिसर की गरिमा बनी रहे और लोगों का भरोसा न्याय प्रणाली में बना रहे।
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पहचान की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम
अधिवक्ताओं की पोशाक सिर्फ एक ड्रेस कोड नहीं, बल्कि न्यायिक प्रणाली की गरिमा और पहचान का प्रतीक है। इस पोशाक का दुरुपयोग करना न केवल कानूनन गलत है, बल्कि इससे न्याय व्यवस्था की छवि को भी नुकसान पहुंचता है।
बार एसोसिएशन का यह फैसला एक सशक्त संदेश देता है कि अब न्यायालय परिसर में किसी भी प्रकार की अनधिकृत गतिविधियों या पहचान की नकल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
देहरादून बार एसोसिएशन की यह पहल निश्चित रूप से न्यायिक परिसर की शुचिता बनाए रखने और आम नागरिकों को ठगी से बचाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे न्यायालय में कार्यरत अधिवक्ताओं की प्रतिष्ठा को भी संरक्षित किया जा सकेगा और लॉ इंटर्न तथा सहायकों की भूमिका भी प्रशासनिक रूप से स्पष्ट की जा सकेगी।
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