Amit Shah Fake Video Case: दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जुड़े छेड़छाड़ वाले वीडियो मामले में अरुण रेड्डी नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह व्यक्ति “स्पिरिट ऑफ़ कांग्रेस” एक्स अकाउंट को हैंडल करता है।
एक अधिकारी के हवाले से बताया गया कि, अरुण रेड्डी को कथित तौर पर “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक फर्जी वीडियो अपलोड करने और प्रसारित करने” के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कांग्रेस की वेबसाइट और “स्पिरिट ऑफ कांग्रेस” सोशल मीडिया हैंडल के अनुसार अरुण रेड्डी सोशल मीडिया के लिए AICC के राष्ट्रीय समन्वयक हैं।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने “डीपफेक” वीडियो मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी को तलब किया था। मुख्यमंत्री और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के 4 सदस्यों – शिव कुमार अंबाला (Shiv Kumar Ambala), अस्मा तसलीम (Asma Tasleem), सतीश मन्ने (Satish Manne) और नवीन पेटम (Naveen Petham) को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 91 और 160 के तहत समन जारी किया गया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जिस व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 160/91 के तहत नोटिस मिलता है, वह या तो जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो सकता है या अपना कानूनी प्रतिनिधि भेज सकता है।
बुधवार को एक समाचार एजेंसी ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि बुधवार 1 मई को सीएम रेवंत रेड्डी (CM Revanth Reddy) ने दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई के समक्ष पेश होने के लिए और समय मांगा था, जो छेड़छाड़ किए गए वीडियो मामले की जांच कर रही है।
मुख्यमंत्री की वकील सौम्या गुप्ता (Advocate Saumya Gupta) ने संवाददाताओं से कहा था कि जिस हैंडल से वीडियो शेयर किया गया, वह उनका नहीं है। द्वारका में आईएफएसओ कार्यालय (IFSO Office in Dwarka) में दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी से मुलाकात के बाद सौम्या गुप्ता ने कहा, “वह अकाउंट तेलंगाना के सीएम का नहीं है।”
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने रविवार को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी), जो कि गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधीन है, द्वारा अमित शाह के छेड़छाड़ किए गए वीडियो के बारे में शिकायत दर्ज कराने के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
यह आरोप लगाया गया कि, तेलंगाना में धार्मिक आधार पर मुसलमानों के लिए कोटा खत्म करने की प्रतिबद्धता दर्शाने वाले शाह के बयानों को इस तरह से बदला गया कि ऐसा लगे कि वे सभी आरक्षणों को खत्म करने की वकालत कर रहे हैं।