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आखिर मायावती ने क्यों कहा कि धर्म के राजनीतिकरण से देश और जनहित प्रभावित होगा

Political News UP: आज देश में अगर कोई सबसे ज्यादा बिकाऊ चीज है तो यह धर्म। वैसे तो धर्म एक निजी मामला है और किसी भी धर्म को कौन सा आदमी किस रूप में आत्मसात करता है और उस मार्ग पर चलता है इसके लिए भी किसी पर कोई पावंदी नहीं है। लेकिन भारत जैसे देश में धर्म आज सबसे ज्यादा बिकाऊ चीज बना हुआ है। भले ही लोग कर्म से धार्मिक नहीं हों ,धर्म की जानकारी भी उसे नहीं हो ,धर्म की परिभाषा भी वह नहीं जानता हो लेकिन धर्म के प्रचार से भला कौन चुकता है ? अगर धर्म के रास्ते सियासत सध जाए तो यह कौन नहीं चाहेगा। इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी धर्म ही तो है। लेकिन आज धर्म पर सियासत का जो गठजोड़ बना है वह बेजोड़ है।
धर्म और सियासत के इस बढ़ते गठजोड़ पर बसपा प्रमुख मायावती ने बड़ा हमला किया है। मायावती ने कहा है कि राजनीति के अपराधीकरण और अपराध के राजनीतिकरण की तरह ही मौजूदा समय में धर्म का चुनावी स्वार्थ के लिए राजनीतिकरण हो रहा है जिससे देश और जनहित प्रभावित हो रहा है। पार्टी नेताओं की बैठक में मायावती ने कहा है कि बसपा ही एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है जो संविधान के आदर्शों पर चलती है और उसके मूल्यों में यकीन भी रखती है। बसपा ही सभी धर्मो का आदर करती है और सबकी सुरक्षा की गारंटी भी देती है। इसकी दूसरी मिशाल आज देश में नहीं है। बसपा की तरह ही सभी पार्टियों को संविधान का सम्मान करना चाहिए। आज देश के भीतर संविधान के साथ खुलेआम दुरुपयोग होता है।


मायावती ने कहा कि आज धर्म एक राजनीतिक हथकंडा हो गया है। धर्म के सहारे राजनीति को आगे बढ़ाने का खेल चल रहा है जो कही से भी ठीक नहीं है। ऐसे समय में जब धर्म के वातावरण में देश डूबा हुआ है ऐसे समय में बसपा की भूमिका काफी बढ़ जाती है। बसपा की जिम्मेदारी भी बढ़ती है। बसपा के लोगों को आज भाईचारे को आगे बढ़ाने की जरूरत है और संविधान के तहत आगे बढ़ने की जरूरत है।
बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार की मुफ्त खाद्यान योजना पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि भारी महंगाई ,गरीबी और बेरोजगारी से दुखी और पीड़ित देश के लगभग 81 करोड़ लोग जीने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज हैं यह गंभीर सोंचने वाली बात है। सरकार कहती है कि इस सरकार में गरीबी कम हुई है। लेकिन गरीबी कम हुई है तो 81 करोड़ लोग जो मुफ्त राशन पर जी रहे हैं वह कौन हैं ? सच तो यही है कि देश की राजनीति हालत बेहद ख़राब है और सरकार धर्म के नाम पर लोगों को बरगला रही है।


मायावती ने कहा कि सच्चाई को ढकने के लिए देश की सरकार प्रचार तंत्र के जरिये लोगों को भरमा रही है और सच को ढँक भी रही है। बड़े -बड़े पोस्टर अपर विज्ञापन पर देश का बड़ा धन खर्च किया जा रहा है लेकिन लोगो की हालत इस प्रचार से कैसे बदल सकती है। दावे और जमीनी हकीकत में बहुत अंतर हैं।
मायावती ने आज फिर से साफ़ किया कि चुनाव में अब किसी के साथ गठबंधन नहीं करना है और न ही कोई समझौता ही। क्योंकि इससे पार्टी को धोखा खाना पड़ता है। गठ्बंदःन के अनुभव से पार्टी के लोगों का मनोबल भी टूट जाता है और उसका असर पार्टी पर पड़ता है। हमारा फोकस बस यही होना चाहिए कि हम मजबूती के साथ चुनाव मैदान में जाए और मजबूत उम्मीदवार को खड़ा करें ताकि जनता को भी कोई असुविध नहीं हो। जनता के लिए जो काम करेंगे जनता उन्हें जरूर मौक़ा देती है। देश का मिजाज यही है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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