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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की कुंडली दे रही यें बड़े संकेत

Ayodhya Ramlala Pran Pratishta : 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त हर जगह किसी ना किसी कारण से चर्चा का विषय बना हुआ है मगर आज हम आपको ज्योतिष के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि आखिर अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की कुंडली से क्या संकेत मिल रहा है…
अयोध्या में बन रहे दिव्य मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta) प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दोपहर 12:29 को होने वाली है। इसे लेकर पूरे भारत में आनंद और उन्माद सा छा हुआ है। 22 जनवरी को यह पवित्र और दिव्य घटना, जो बनने वाली है उसके ऊपर बहुत सारी चर्चाएं हो रही हैं। कोई मुहूर्त के बारे में भी चर्चा कर रहा है तो कोई अधूरे मंदिर को लेकर भी चर्चा कर रहा है। राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर क्या कहते हैं उस दिन की अयोध्या की कुंडली, जानिए ज्योतिष से…

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इस स्थान पर हुई प्राण प्रतिष्ठा

प्रभु रामचंद्रजी (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta) ने खुद लंका जाने से पहले रामेश्वरम में भोलेनाथ की प्राण प्रतिष्ठा की थी, उस समय वहां कोई मंदिर बना हुआ नहीं था। समंदर के किनारे ही प्रतिष्ठा कर दी थी। खुद शंकराचार्यजी ने बद्रीनाथ की प्राण प्रतिष्ठा की थी उसके बाद मंदिर बना था। मुहूर्त की ही हम बात करें तो प्रभु रामचंद्र के गुरुजी वशिष्ठ मुनी ने रामजी के राज्याभिषेक का अति उत्तम मुहूर्त निकाला था फिर भी इस मुहूर्त में राम को वनवास हुआ। किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त खुद दिव्य चेतना नक्की करती है, इसके लिए खुद ईश्वर नक्की करता है। इस पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त स्वयं श्रीराम नहीं जानते कि कौन से मुहूर्त में मेरी प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है? और वह भी अयोध्या जैसे अपने ही जन्म स्थान में? चर्चाओं का कोई अंत ही नहीं है। सभी अपनी अपनी सोच पर चलते हैं और आज हम इस दिव्य मुहूर्त की कुंडली के बारे में जानते हैं

रामलला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त

22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट को राम मंदिर की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta) का मुहूर्त है। उस समय अयोध्या के आकाश में मेष लग्न का उदय हो रहा है, जो 12.45 मिनट तक चलने वाला है। मेष लग्न में धर्म और दुनिया के सारे मंदीरों के अधिष्ठाता और शुभ मांगलिक प्रसंग के रचयिता, देवों के आचार्य बृहस्पति का उदय हो रहा है मतलब लग्न में ही गुरु बैठा है और वो गुरु उच्च नवांश में एकदम बलवान हैं। गुरु ग्रह खुद नवम स्थान और 12वें स्थान का मालिक हैं, यानि की धर्म स्थान और मोक्ष स्थान के मालिक हैं। ईश्वर की इच्छा के बिना ऐसा मुहूर्त नहीं निकलता है।

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गुरु ग्रह का शुभ योग

मुहूर्त के वक्त नवांश कुंडली (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta) में भी स्थिर वृश्चिक लग्न भी हैं और उसके ऊपर उच्च के गुरु की दृष्टि है। नवांश में भी लग्नेश मंगल ही बना है, जो धर्मस्थान के अधिपति चंद्र के साथ लाभ स्थान से जुड़ा है। मूल कुंडली में गुरु लग्न में तो बैठा ही हैं मगर लग्न के अधिपति मंगल के साथ परिवर्तन भी कर रहे हैं तो लग्न और धर्म स्थान का परिवर्तन एक बहुत ही सौभाग्य योग बन रहा है। नवम स्थान धर्म का और मंदिर का भी है।

गुरु और शनि ग्रह आमने सामने

इस लग्न के (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta) ऊपर और गुरु के ऊपर बहुत ही बलवान शनि की दृष्टि भी पड़ रही है। शनि और गुरु नवांश कुंडली में भी प्रबल होकर आमने-सामने बैठे हैं। इन दोनों का जब भी संबंध होता है तो ब्रह्मांड में आध्यात्मिक चेतना अपनी उच्च सीमा पर रहती है। शनि भी इस कुंडली में कर्म स्थान का और लाभ स्थान का अधिपति भी बन रहा है। शनि की कृपा के बिना इतना बड़ा प्रसंग कभी नहीं बनता क्योंकि शनि मोक्ष स्थान का कारक भी हैं, ईश्वर के साक्षात्कार का ग्रह भी है और न्याय का देवता भी है।

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मंदिर की कुंडली में चतुर्थ स्थान

चंद्र दूसरे स्थान में उच्च राशि में बैठे हैं और खुद चतुर्थ स्थान का अधिपति हैं। मंदिर की कुंडली में चतुर्थ स्थान यात्रा धाम का बन जाता है। चंद्र का नक्षत्र भी मृगशीर्ष है, जिसका अधिपति मंगल नवम स्थान में गुरु ग्रह की दृष्टि में बैठे हैं। चंद्र नक्षत्र के द्वारा नवम स्थान का मतलब धर्म और मंदिर के स्थान का फल भी दे रहा है। मंदिर की कुंडली में सप्तम स्थान का अधिपति भी यात्रियों का और दर्शनार्थियों का ग्रह बनता है। सप्तम स्थान में तुला राशि हैं और उस पर बलवान गुरु की दृष्टि है। सप्तम स्थान का अधिपति शुक्र हैं वह भी अपने ही नवांश में बलवान होकर धर्म स्थान में मंगल के साथ बैठे हैं और उसके ऊपर भी गुरु की दृष्टि है।

चंद्रमा और शुक्र बलवान

उच्च का चंद्र और बलवान शुक्र मंदिर को बहुत ही प्रतिष्ठा (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta)देते रहेंगे और आज जैसे द्वारिका का महत्व है, इतना ही महत्व आगे के वक्त में इस मंदिर का देखने को मिलेगा। 4 धाम की यात्रा में अयोध्या दर्शन भी शामिल किया जाएगा। politics की हम बात ना करें तो भी इस मंदिर के लिए PM मोदी का नाम इतिहास में लिखा जाएगा। इस कुंडली में तीसरे और छठे स्थान का अधिपति बुध मंगल की तरफ आगे बढ़ रहा है और दोनों एक ही राशि में हैं तो इस मंदिर की प्रतिष्ठा से वाद विवाद और कंट्रोवर्सी तो रहेगी ही, जो आज हम देख रहे हैं। तीसरा स्थान सोशल मीडिया (social media) का है और छठा स्थान शत्रुओं का है। चंद्रमा (moon) के साथ बैठे गुरु बना रहे त्रिकोण लग्न का मालिक मंगल अग्नि तत्व की राशि में है और 12वें स्थान के ऊपर तथा वहां बैठे राहु के ऊपर भी उसकी दृष्टि है। 12वां स्थान गुप्त शत्रुओं का है और राहु आतंकियों का ग्रह है तो अयोध्या में आतंकियों का भय भी रहेगा। मगर लग्नेश मंगल की प्रबल दृष्टि होने से वह कुछ भी नहीं कर पाएंगे। सूर्य जो सत्ता का कारक है वह दशम स्थान में गुरु के मीन नवांश में बैठे हैं और चंद्र उसके साथ त्रिकोण बनाकर जा रहे हैं। यह एक अच्छा संयोग है, सत्ता के लिए। इसका अर्थ हम यह भी निकाल सकते हैं कि फिर से PM मोदी ही सत्ता पर आ जाएंगे।

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10 वर्ष के अंदर होगा बड़ा परिवर्तन

लग्न में बैठ हुए गुरु expansion यानी विस्तार का कारक ग्रह है। मतलब इस मंदिर (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta)के निर्माण के बाद भारत का विस्तार होगा और नक्शा बदल सकता है। हो सकता है कि मोदीजी का अगला निर्णय POKको भारत में जोड़ने का हो। प्राण प्रतिष्ठा की लग्न कुंडली 25 डिग्री पर उदय हो रही है और वहां हर्षल जैसा विकास और परिवर्तन का ग्रह 25 डिग्री पर ही बैठा है। इसका संकेत यह भी मिलता है कि आगे जाकर 10 साल में भारत में बहुत बड़ा परिवर्तन आने वाला है और विकास होने वाला है। प्रभु रामजी की प्राण प्रतिष्ठा की कुंडली बहुत (Ayodhya Ramlala Pran Pratishta)ही अच्छी बनी है और इस समय आकाश में उच्च नवांशका गुरु और मकर नवांश का शनि एक दूसरे के साथ संबंध कर रहे हैं तो आध्यात्मिक चेतना अपनी चरम सीमा पर है। पूरे भारत में 22 तारीख के आसपास का वक्त भक्तिमय और श्रद्धासे भरपूर रहेगा, जैसे अयोध्या में प्रभु राम का फिर से जन्म हो रहा हो।

श्रीराम के जन्मके संदर्भ में संत श्री तुलसीदासजीने श्री रामचरितमानस में लिखा ही है कि :

जोग लग्न ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुख मूल।।

Prachi Chaudhary

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