Batla House Demolition: बटला हाउस में बुलडोज़र कार्रवाई पर रोक की मांग, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ओखला के बटला हाउस इलाके में छह संपत्तियों पर तोड़फोड़ के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन संपत्तियों के निवासियों ने मई 2025 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी है।
Batla House Demolition: दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ओखला के बटला हाउस इलाके में छह संपत्तियों पर तोड़फोड़ के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन संपत्तियों के निवासियों ने मई 2025 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी है।
4 सप्ताह के भीतर देना होगा जवाब
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि इन छह संपत्तियों में से कुछ खसरा नंबर 279 से बाहर हैं, जबकि अन्य इस खसरा के अंदर हैं। इन संपत्तियों के निवासियों ने कहा कि उनकी संपत्तियां PM उदय योजना के अंतर्गत आती हैं। सोमवार को पारित आदेश में न्यायमूर्ति तेजस करिया ने अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। इस बीच, हाईकोर्ट ने DDA को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। रोस्टर बेंच के समक्ष 10 जुलाई को याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। बेंच हिना परवीन, जीनत कौसर, रुखसाना बेगम, निहाल फातिमा, सूफियान अहमद और साजिद फखर तथा अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर विचार कर रही थी। हिना परवीन, रुखसाना बेगम और जीनत कौसर की ओर से अधिवक्ता सोनिका घोष, अनुराग सक्सेना और गुरमुख दास कोहली पेश हुए। यह प्रस्तुत किया गया कि डीडीए ने एक सामान्य नोटिस जारी किया है।
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सभी संपत्तियां अवैध नहीं
खसरा संख्या 279 के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों की स्पष्ट सीमा रेखा निर्धारित नहीं की गई है। इस खसरे के अंतर्गत मौजूद सभी संपत्तियों को अवैध नहीं माना जा सकता। दूसरी ओर, DDA के वकील ने इन याचिकाओं का विरोध किया। याचिकाएं 6 जून को दायर की गई थीं, जबकि जवाबी हलफनामा 3 जून को दाखिल किया गया। यह भी कहा गया कि सीमांकन से जुड़ा विवरण पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था और 4 जून का आदेश उसी तथ्य के आधार पर पारित किया गया।”
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अदालत ने क्या कहा
अदालत ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के 7 मई के आदेश में दर्ज है कि रहने वाले कानून के अनुसार उचित कार्यवाही अपनाने के हकदार हैं, उच्च न्यायालय ने 4 जून 2025 को, इशरत जहां मामले में अदालत ने आदेश दिया कि DDA तीन हफ्तों के भीतर कार्रवाई से जुड़ा हलफनामा और सीमांकन से संबंधित रिपोर्ट पेश करे। याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रस्तुत किया कि वे लंबे समय से यहां रह रहे हैं। उन्होंने इसे बिल्डर से खरीदा है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि 2 बीघा और दस बिस्वा पर अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने का आदेश है। खसरा संख्या 279 में 34 बीघा जमीन है। वहां सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं।
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पहले भी मिल चुकी है कोर्ट से राहत
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने जानकारी दी कि उनके मुवक्किल वर्ष 1980 से 1982 के बीच से उस स्थान पर रह रहे हैं। हालांकि मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन इसी बीच संबंधित दस्तावेजों की कार्यवाही की गई। नोटिस सामान्य हैं, उनमें कोई असाधारण बात नहीं है। शुरूआत में ये दस्तावेज उर्दू और फारसी भाषा में थे, जिनका बाद में हिंदी में अनुवाद कराया गया। अधिकांश लोग इस इलाके में पिछले तीन दशकों से रह रहे हैं। इससे पहले भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने बटला हाउस के कुछ निवासियों को अंतरिम सुरक्षा दी थी जिन्होंने DDA के नोटिस के विरुद्ध कोर्ट का रुख किया था।
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