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Dev Uthani Ekadashi 2024: 12 या 13 नवंबर देवउठनी एकादशी कब, इस दिन क्या करें क्या न करें यहां जाने सब कुछ

12 या 13 नवंबर देवउठनी एकादशी कब, इस दिन क्या करें क्या न करें यहां जाने सब कुछ

Dev Uthani Ekadashi 2024: इस साल देवउठनी एकादशी व्रत 12 नवंबर को है। चार महीने की निद्रा के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इसलिए इस दिन पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है। इस दिन आप जो भी काम करते हैं उसके दोगुना फल आपको मिलता है। लेकिन, इस दिन कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें क्या न करें।

अन्य एकादशियों की तुलना में देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का महत्व बहुत अधिक है। दरअसल, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, देव उठनी एकादशी इस बार 12 नवंबर को है। देव के उठने के बाद से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की सच्चे मन से उपासना करता है। उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। वैसे तो वर्ष में प्रत्येक एकादशी का दिन महत्वपूर्ण होता है, लेकिन देवउठनी एकादशी का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यह बाकी एकादशी की तुलना में अधिक फलदायी मानी गई है। इसलिए इस दिन कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन क्या करें और क्या न करें। जानिए देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के नियम।

क्या करें क्या न करें

1) देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन भगवान को जगाने के बाद उन्हें रथ पर बिठाकर यात्रा पर ले जाना चाहिए। कहा जाता है कि राजा बलि ने ऐसा ही किया था और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया था। अगर आपके पास कार नहीं है तो भगवान विष्णु को एक सीट पर बिठाएं और फिर चार लोगों से कहें कि वे चारों तरफ से उनकी सीट को उठाएं। इसके बाद उन्हें भ्रमण कराएं। ऐसा करने से आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी।

2) इसके अलावा देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन हर घर में अष्टदल बनाया जाता है। इस दिन हर किसी के घर जाकर कम से कम अष्टदल के दर्शन अवश्य करने चाहिए। कम से कम पांच घरों में जाकर आप अष्टदल के दर्शन करें। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

3) देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन चावल को कुछ देर के लिए भिगो दें। फिर चावल के दानों को पीस लें। फिर, दानों को रखने के लिए एक बर्तन बना लें। फिर, उसमें विभिन्न प्रकार के अनाज रखें। यदि आप चावल पीसकर अन्न पात्र बनाने में असमर्थ हैं, तो एक अष्टदल बनाएं और उस पर 7 अलग-अलग प्रकार के अनाज रखें। इसके अलावा, इस दिन जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। इससे सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

4) देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का महत्व बाकी एकादशियों की तुलना में सबसे अधिक है। इसलिए इस दिन जो लोग भी व्रत रखते हैं उन्हें व्रत के पारण में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का व्रत रखकर जब आप द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें तो सबसे पहले आंवले और तुलसी के पत्ता का ही सेवन करें। इसी से व्रत का पारण करना चाहिए।

5) तुलसी की अच्छे से साफ सफाई करके दीपक जलाएं। चुनरी ओढ़ाएं और सुहाग सामग्री चढ़ाएं।

6) देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) दिन तुलसी विवाह का भी विधि विधान से विधान है, ऐसे में इस दिन तुलसी की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन तुलसी माता को लाल दुपट्टा पहनाएं और उन्हें सुहाग की सभी सामग्री भेंट करें।

7) देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन विवाहित महिलाओं को अपने कुल के देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस दिन कुल के देवताओं की भी पूजा की जाती है।

देवउठनी एकादशी पर न करें ये काम

1) देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। जो लोग व्रत कर रहे हैं उनके अलावा भी बाकी सभी लोगों को इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जो लोग देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का व्रत कर रहे हैं उन्हें मूली नहीं खाना है बैंगन नहीं खाना है साग नहीं खाना चाहिए।

2) द्वादशी तिथि के दिन देवउठनी एकादशी व्रत खोलने के बाद सोना नहीं चाहिए। अगर आपको नींद आ रही हो तो तकिये के नीचे तुलसी का पत्ता रखने से नींद आने में मदद मिलेगी।

Written By । Prachi Chaudhary । Nationa Desk । Delhi

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