धर्म-कर्मन्यूज़पढ़ाई-लिखाई

America में पैगम्बर मोहम्मद की पेंटिंग पर बवाल ,मुस्लिम छात्रों की बढ़ी नाराजगी 

इस्लाम में पैगम्बर मोहम्मद की तस्वीर दिखाने पर पावंदी है और जब -जब तस्वीर और पेंटिंग सामने आती है बवाल शुरू हो जाता है। इसके कई उदहारण दुनिया के सामने है। ताजा मामला अमेरिका का है। अमेरिका के एक छोटे से शहर सेंट पॉल की हेमलिन यूनिवर्सिटी इन दिनों काफी चर्चा में है।

इस्लाम में पैगम्बर मोहम्मद की तस्वीर दिखाने पर पावंदी है और जब -जब तस्वीर और पेंटिंग सामने आती है बवाल शुरू हो जाता है। इसके कई उदहारण दुनिया के सामने है। ताजा मामला अमेरिका का है। अमेरिका के एक छोटे से शहर सेंट पॉल की हेमलिन यूनिवर्सिटी इन दिनों काफी चर्चा में है। वहां आर्ट हिस्ट्री की एक प्रोफेसर को धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में नौकरी से निकाल दिया गया। प्रोफेसर एरिका लोपेज प्रेटर पर आरोप है कि उन्होंने क्लास में पैगंबर मोहम्मद की 14वीं सदी में बनाई गई एक पेंटिंग दिखाई। जिससे यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र नाराज हो गए। हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर एरिका लोपेज ने तस्वीर दिखाने से पहले कहा था कि अगर किसी को इससे तकलीफ है तो वो पहले ही बाहर जा सकते हैं। फिर भी हैमलिन यूनिवर्सिटी में कई छात्र उनकी क्लास में बैठे रहे। तस्वीर देखी और फिर उनकी शिकायत कर दी। एरिका ने टाइम्स को बताया कि इस पूरी घटना से पहले वो जानती थीं कि पेंटिंग दिखाने से मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं। इसलिए उन्होंने पहले ही क्लास में बताया था कि आर्ट हिस्ट्री के कोर्स में गौतम बुद्ध और प्रोफेट मोहम्मद की कुछ तस्वीरें दिखाई जाएंगी।जब उन्होंने यह बताया तब भी किसी छात्र ने कोई आपत्ति जाहिर नहीं की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रोफेसर की शिकायत करने वालों में केवल एक छात्र ही उनके आर्ट हिस्ट्री कोर्स का था। बाकी सब दूसरे विषयों के थे।

Hamlin University

अमेरिका में एरिका को नौकरी से निकालने का मुद्दा बड़ा हो गया है। एक टाउनहॉल मीटिंग में एक मुस्लिम स्पीकर ने कहा कि पैगंबर की तस्वीर दिखाना हिटलर को अच्छा बताने के बराबर है। वहीं कई लोग प्रोफेसर लोपेज के समर्थन में आगे आ रहे हैं। इन लोगों को मानना है कि एक आर्ट हिस्ट्री की प्रोफेसर होने के नाते वो केवल अपना काम कर रहीं थी।

 पूरे मामले पर हैमलिन यूनिवर्सिटी के ऑफिशियल्स ने सभी छात्रों और उन्हें पढ़ाने वाले टीचर्स को एक मेल भेजा है। जिसमें कहा गया कि प्रोफेसर लोपेज प्रेटर का पैगंबर की तस्वीर दिखाना इस्लामोफोबिया यानी इस्लाम के प्रति नफरत का एक मामला है। यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट ने कहा कि अपनी अकादमिक आजादी से बढ़कर छात्रों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था। हैमलिन एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी है जिसमें करीब 1800 छात्र पढ़ते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मुद्दे को दबाने के लिए यूनिवर्सिटी ने पूरी कोशिश की थी। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया।

  उधर अब प्रोफ़ेसर के समर्थन में कई अकादमिक लेखक भी मैदान में उतर गए हैं। फ्री स्पीच के समर्थक प्रोफेसर लोपेज प्रेटर के समर्थन में एक पिटीशन साइन करवा रहे हैं। जिसमें अब तक उन्हें 2800 लोगों का साथ मिल चुका है। ये लोग पूरे मामले की ठीक से जांच कराने की मांग कर रहे हैं। क्रिस्टिएन ग्रूबर जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में इस्लामिक आर्ट की प्रोफसर हैं, उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक आर्ट दिखाना और उसमें पैगंबर मोहम्मद को दिखाना अब एकेडमिक फील्ड में बहुत सामान्य बात है।’

 पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम से जुड़ी तस्वीरें दिखाने पर दुनियाभर में कई विवाद हो चुके हैं। फ्रांस में अक्टूबर 2020 में हमलावर ने एक हिस्ट्री टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी थी। कॉन्फ्लांस सेन्ट होनोरिन इलाके में एक सेकेंडरी स्कूल में कुछ दिन पहले इस टीचर ने इस्लाम से जुड़ा कोई चित्र दिखाया था। हमलावर इस बात से नाराज था। टीचर जब स्कूल से निकला तो आरोपी ने उसका पीछा किया। बाद में मौका पाकर उसका गला काट दिया।

political news
Neetu Pandey

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button