Dilip Kumar Birthday: दिलीप कुमार की आज 100वीं जयंती, जानें दिग्गज एक्टर के नाम बदलने से लेकर जेल जाने तक के कई अनसुने अनकहें किस्से
दिलीप कुमार (Dilip Kumar Birthday) का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान में हुआ था. उनका नाम यूसुफ खान था. लेकिन बाद उन्हें दिलीप कुमार के नाम से लोगों के बीच शोहरत मिली. दिग्गज नेता को एक बार जेल भी जाना पड़ा था. दिलीप कुमार के जन्म के समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था.
नई दिल्ली: दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार साहब आज हमारे बीच नहीं होते, अगर आज वो हम सबके बीच होते तो बेहद ही धूमधाम से अपना 100वां जन्मदिवस ( Dilip Kumar Birthday) मना रहे होते. ईश्वर को कुछ और ही मंजूर थे, फैंस आज भी उन्हें और उनकी एक्टिंग को आज भी याद करते हैं. बीते वर्ष में एक शानदार अभिनेता दुनिया को अलविदा कह गए.
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दिलीप का असली नाम
दिग्गज अभिनेता और ‘ट्रेजेडी किंग’ (Dilip Kumar Birthday) का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान में हुआ था. उनका नाम यूसुफ खान था. लेकिन बाद में उन्हें दिलीप कुमार के नाम से लोगों के बीच शोहरत मिली. दिग्गज नेता को एक बार जेल भी जाना पड़ा था. दिलीप कुमार के जन्म के समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था. उन दिनों भगत सिंह, गांधी जी और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारी देश को आजादी दिलाने के लिए अपनी जी जान लगा रहे थे.
कैंटीन में करते थे काम
दिलीप साहब (Dilip Kumar Birthday) भी आंदोलन के हिस्सेदार थे. भारत की आजादी से पहले दिलीप कुमार पुणे में रहते थे और एयरफोर्स की कैंटीन में काम करते थे. उन्होंने एक साथी के कहने पर भारत की तारीफ में एक भाषण दिया. उन्होंने भाषण में ये कहा था कि भारत अहिंसक और मेहनती लोगों का देश है, और अंग्रेज सरकार की भी खुब आलोचना की थी.
अग्रेंज सरकार की आलोचना करने के बाद अभिनेता को जेल में डाल दिया गया था. दिलीप कुमार (Dilip Kumar Birthday) में भाषण में कहा था कि अंग्रेजों के साथ लड़ाई तो होना जायज है लेकिन हिंदुस्तान के लिए ब्रिटिशों के लिए सारी मुसीबतें पैदा हो रही हैं. इस भाषण के लिए उनके लिए खुब तालियां तो बजी लेकिन बाद में पुलिस आ गई और उन्हें पकड़ ले गई.
‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से भी थे मशहूर
दिलीप कुमार को लोग ‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से भी जानते है. इन्होंने दर्जन से भी ज्यादा ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उन्हें सबसे ज्यादा पुरस्कार जीतने वाले भारतीय अभिनेता के तौर पर गिना जाता है. आजादी के तीन साल पहले फिल्म ‘ज्वार भाटा’ में वो पहली बार बड़े पर्दे पर दिखें थे, और आखिरी बार साल 1998 में फिल्म ‘किला’ में दिखाई दिए. फिल्मफेयर ने भी उन्हें बेस्ट एक्टर का पुरस्कार दिया, उनके बराबर बरसों बाद शाहरुख खान ही पहुंच सके.
कई फिट फिल्मों से बनाया नाम
उन्होंने शक्ति (1982), राम और श्याम (1967), लीडर (1964), कोहिनूर (1961), मुगल-ए-आजम (1960), मधुमती (1958), नया दौर (1957), आजाद (1955), देवदास (1955), दाग (1952) जैसी कई हिट फिल्में बनाई जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.
मधुबाला के साथ भी था अफेयर
दिलीप कुमार और मधबाला के बीच बहुत ही लंबा अफेयर चला था. बता दें कि दोनों की सगाई भी हो गई थी. लेकिन किसी बात को लेकर मधुबाला और दिलीप के पिता के बीच विवाद हो गया. जिसके कारण दोनों का रिश्ता टूट गया. इसके बाद दिलीप और मधुबाला ने कोई शर्त रखी थी जिसको न मानने के कारण दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए.
सायरा बानो आज बेहद ही ज्यादा इमोशनल है. सायरा बानो दिलीप की बेगम होने के साथ अपने ज़माने की बेहतरीन अदाकारा हुआ करती थी.
सायरा बानों ने दिलीप साहब को याद करके बोली हम लोगों ने सोचा था कि जब वो 100 साल के हो जाएंगे उनका जन्मदिवस बेहद ही धूमधाम से मनाया जाएगा. जैसे हमने उनका 90वां जन्मदिन मनाया था. लेकिन हमारी इच्छा पूरी नहीं हो पाई. फिर उनका 100वां जन्मदिन हम कुछ अलग तरीके से मना रहे है.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे खुशी हो रही है कि देशभर में उनके 100वें जन्मदिन के मौके पर पुरानी फिल्मों का दो दिन का समारोह आयोजित किया जा रहा है. इससे नई पीढ़ी भी उनकी पुरानी पीढ़ी भी देख सकेंगे. मुंबई में इस फिल्म समारोह के लिए फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग आकर उन्हें याद करेंगे.