Displacement started from Joshimath : जोशीमठ से विस्थापन शुरू ,पीपलकोठी समेत कई जगहों पर बसेंगे जोशीमठ के वाशिंदे
जोशीमठ को खाली करना है। अब वहाँ किसी का रहना उचित नहीं। आठ सौ से ज्यादा परिवार शिविर में रह रहे हैं जबकि कई परिवार अपने परिजनों यहां चले गए हैं। दिल्ली में बैठे लोग मानते हैं कि जोशीमठ में सबकुछ सामान्य चल रहा है लेकिन जोशीमठ की कहानी विचित्र है और दुखदायी भी।
उत्तराखंड (Uttarakhand) ने कई विस्थापन को झेला है। टेहरी बाँध से विस्थापित लोग आज भी असहज है ,उनका पुनर्वास आज भी सही से नहीं हो पाया है। उसका दर्द तो टेहरी वासी झेल ही रहे हैं लेकिन अब जोशीमठ (Joshimath) का नया दर्द उत्तराखंड को काफी परेशान किये हुए है। जोशीमठ को खाली करना है। अब वहाँ किसी का रहना उचित नहीं। आठ सौ से ज्यादा परिवार शिविर में रह रहे हैं जबकि कई परिवार अपने परिजनों यहां चले गए हैं। दिल्ली में बैठे लोग मानते हैं कि जोशीमठ में सबकुछ सामान्य चल रहा है लेकिन जोशीमठ की कहानी विचित्र है और दुखदायी भी।
जानकारी के मुताबिक़ नया जोशीमठ (new joshimath) पीपलकोठी (Pipalkothi) में बसाने की बात हो रही है। यह इलाका जोशीमठ से ऊपर है ,लेकिन जानकारी के मुताबिक यहाँ 130 से ज्यादा परिवार को स्थापित नहीं किया जा सकता। पीपलकोठी में सरकार ने जमीन भी तैयार कर ली है। उसकी पैमाइस भी कर दी गई है और वैज्ञानिक (Scientist) स्तर पर जमीन की जांच भी कर ली गई। लेकिन समस्या है कि पीपलकोठी में 130 लोगों को ही स्थाई रूप से विस्थापित किया जा सकता है। जीएसआई में भूमि सर्वेक्षण (Land Survey) जांच के बाद स्थाई विस्थापन के लिए मात्र दो हेक्टेयर भूमि को हरी झंडी दी है। कहा जा रहा है कि सरकार यहां घर बनाकर सबको विस्थापित करेगी। समुद्र तल से पीपलकोठी की ऊंचाई 1260 मीटर है और मौजूदा जोशीमठ से पीपलकोठी की दुरी करीब 36 किलोमीटर है।
पीपलकोठी के अलावा तीन अन्य जगहों को भी चिन्हित किया गया है जहाँ विस्थापित हुए लोगों को बसने की बात हो रही है। जिन तीन जगहों की चिन्हित किया गया है उनमे एचआरडीआई की भूमि ,ढाक गांव और कोटि फार्म प्रमुख हैं। कोटि फार्म में घर बनाने की बात स्वीकृत हो गई है और कहा जा रहा है कि बहुत जल्द ही यहां निर्माण काम शुरू किये जाएंगे ताकि शिवरों में रह रहे लोगों को स्थाई रूप से विस्थापित किया जाए। बता दें कि जोशीमठ को पूरी तरह से खाली करने का अभियान चल रहा है। और देश की आठ एजेंसियां लगातार यहाँ शोध कर रही है कि कैसे जोशीमठ में आये संकट को ताला जा सके। सभी वैज्ञानिक जांच एजेंसियां अपने अपने तरीके से काम कर रही है और उम्मीद की जा रही है कि बहुत जल्द ही इनकी रिपोर्ट भी सामने आएगी और पता चलेगा कि जोशीमठ के संकट का सच क्या है।