New Delhi: पश्चिमी मेक्सिको (Western Mexico) में एक ऐसा मंजर देखने को मिला जो काफी खतरनाक था. इस इत्तेफाक से लोगों के मन में कुछ पल के लिए डर का मौहाल पैदा हो गया है. हालांकि जब स्थिति सामान्य हुई तो लोगों ने कुछ राहत की सांस ली.
बता दें कि सोमवार यानी 19 सितंबर 2022 को दो विनाशकारी भूकंपों (Earthquake In Mexico) की बरसी पर यहां काफी तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए जिससे इमारतें हिल गईं, वहां की बिजली गुल हो गई. अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक, स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब 1.05 बजे भूकंप आया. इससे इमारतें हिल गईं. बिजली गुल हो गई.
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भूकंप का केंद्र अक्विला से 37 किलोमीटर (23 मील) दक्षिण-पूर्व में कोलिमा और मिचोआकन राज्यों की सीमा के पास 15.1 किलोमीटर (9.4 मील) की गहराई में था. फिलहाल यूएस पैसिफिक सुनामी वार्निंग सेंटर ने मेक्सिको के तट के कुछ हिस्सों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी करते हुए कहा कि लहरें ज्वार के स्तर से 1 से 3 मीटर( 3 से 9 फीट) ऊपर तक पहुंच सकती है.
सुनामी की चेतावनी जारी
बता दें कि पश्चिमी मेक्सिको में भूकंप (Earthquake In Mexico) के कारण यूएस पैसिफिक सुनामी वॉर्निंग सेंटर ने मेक्सिको के तट के कुछ हिस्सों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की है और कहा है कहा कि लहरें ज्वार के स्तर से 1 से 3 मीटर (3 से 9 फीट) ऊपर तक पहुंच सकती है. रिपोर्ट के अनुसार दोपहर करीब 1 बजे मिचोआकन और कोलिमा राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र में तट के पास भूकंप (Earthquake In Mexico) महसूस किया गया. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने बताया कि भूकंप लगभग 15 किमी (9 मील) की गहराई पर 7.6 तीव्रता के साथ आया था.
भूकंप को लेकर लोगों में डर
गौरतलब है कि इसी दिन इस देश में दो विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं. पहला भूकंप 1985 में आया था और दूसरा भूकंप (Earthquake In Mexico) 2017 में आया था. 19 सितंबर, 1985 को आए भूकंप में हजारों लोग मारे गए थे और 19 सितंबर 2017 को आए भूकंप (Earthquake In Mexico) में 350 से अधिक लोग मारे गए थे. 19 सितंबर को ही भूकंप (Earthquake) आने से लोगों में इस तारीख को लेकर डर पैदा होने लगा है.
क्यों आता है भूकंप?
धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट, क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं। जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है।
कैसे मापा जाता जाता है भूकंप की तीव्रता?
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है।
क्या होता है रिक्टर स्केल?
भूकंप के समय भूमि में हुई कंपन को रिक्टर स्केल या मैग्नीट्यूड कहा जाता है। रिक्टर स्केल का पूरा नाम रिक्टर परिणाम परीक्षण ( रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल ) है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर जितनी ज्यादा होती है, भूमि में उतना ही अधिक कंपन होता है। जैसे-जैसे भूकंप की तीव्रता बढ़ती है नुकसान भी ज्यादा होता है। जैसे रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप ज्यादा नुकसान करेगा। वहीं 3 या 4 की तीव्रता वाला भूकंप हल्का होगा।
भूकंप आने पर क्या करें?
1. भूकंप आने के बाद अगर आप घर में हैं तो कोशिश करें कि फर्श पर बैठ जाएं। या फिर अगर आपके घर में टेबल या फर्नीचर है तो उसके नीचे बैठकर हाथ से सिर को ढक लेना चाहिए।
2. भूकंप आने के दौरान घर के अंदर ही रहें और जब झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें।
3. भूकंप के दौरान घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें।