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Farmer Protest: अन्नदाता की लड़ाई, सड़कों पर आई…जानिए क्या है किसानों की मांग?

Farmers ready, government worried and soldiers deployed at the border

Farmer Protest: आज किसान जब दिल्ली कूच करेंगे तो उनका मकसद सिर्फ सरकार को झुकाना नहीं होगा, बल्कि अपनी मांगों को पूरा करवाना भी होगा। किसान तैयार हैं, सरकार परेशान है और जवान बॉर्डर पर तैनात हैं। ये पहली दफा देखा जा रहा है कि जवान किसानों पर लाठियां चला रहे हैं। वो किसान जिसे अन्नदाता कहा जाता है, आज वही किसान दिल्ली की ठंड में अपने हक की लड़ाई सरकार से लड़ रहा है।

किसान दिल्ली कूच करने को तैयार बैठे हैं और जिसकी वजह से सुरक्षा की इतनी तैयारियां की जा रही हैं।सूत्रों की मानें तो किसानों का कहना है कि पिछली बार किसानों के दिल्ली धरने के दौरान किसानों ने कुछ मांगें मान ली थी। लेकिन उनमें से कुछ पर आजतक अमल नहीं किया.। तो कुछ दूसरी मांगे भी हैं। जिन्हें मनवाने के लिए किसान दिल्ली नापने को तैयार हैं।

इन मांगों में मुख्य तौर पर MSP यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाकर गारंटी दी जाए, किसानों की दूसरी मांग ये है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए यानी लागत से डेढ़ गुना ज्यादा फसल की कीमत दी जाए। तीसरी मांग किसानों की ये है कि  किसानों और मजदूरों पर लदे कर्ज माफ किये जाएं।

तैयार किसान, सरकार परेशान और बॉर्डर पर तैनात जवान

साथ ही  2020 के किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस वापस किए जाएं।  आंदोलन के दौरान मारे गए किसान परिवारों को मुआवजा और नौकरी मिल 1 साल में 200 दिन के रोजगार की मनरेगा के तहत गारंटी मिले। किसानों की ये भी मांग है कि  मजदूरों और किसानों को पेंशन दी जाए। इनके अलावा भी कुछ मांगें हैं..जिनके साथ किसान एक बार फिर अड़ने को तैयार हैं।

किसान आंदोलन आंदोलन को करीब से देखने वाले मानते हैं कि किसान आंदोलन यूं ही खत्म नहीं हुआ था। तब किये गए कुछ वादे पूरे नहीं हुए थे और इसीलिए किसान चुनावों से ठीक पहले उन वादों को पूरा करने के लिए सरकार के सामने दबाव बनाना चाहते हैं। ये तरह से ये किसानों का रणनीति कदम है। सूत्रों के मुताबिक किसान नेता संशय में हैं कि अगर अभी सरकार पर दबाव नहीं बनाया और नई सरकार आ गई तो फिर वो पहले किये गए वादों से मुकर जाएगी। ऐसे में मांगें मनवाने का यही सबसे सही समय है।इन सबके बीच पिछली बार की तरह किसान आंदोलन में सियासी ऑक्सीजन ढूंढने के लिए एक बार फिर कांग्रेस कूदी है।कांग्रेस ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। किसानों का कहना है कि हम साथ हैं।

ज़ाहिर है सरकार को भी किसानों की अहमियत पता है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों ने किसानों को देश की चौथी जाति बता चुके हैं। ऐसे में सरकार देश के अन्नदाता की खुशी की अनदेखी तो नहीं करने वाली। लेकिन ये खुशी कैसे खिलेगी। इसको समझने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा।

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