इस विधि से खेती कर करोड़ों कमा रहे हैं किसान, सरकार देगी सब्सिडी
नई दिल्ली: रासायनिक खाद के प्रयोग से खेत की मिट्टी में अम्ल की मात्रा बढ़ने के साथ जिंक और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने लगी। इसके दुष्प्रभाव से मिट्टी की उपज पर प्रभाव होता है। रासायनिक खाद के अन्न खाने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ा। ऑर्गेनिक खेती करके लाखों रुपये का फायदा तो होगा ही, इससे पैदा होने वाले अनाज स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होते हैं।
कृषि प्रधान देश भारत में प्राचीन काल में ऑर्गेनिक खेती होती थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों में रासायनिक खाद आने के बाद अधिकतम उपज के लालच में किसान रासायनिक खादों का ही प्रयोग करने लगे। इसका परिणाम ये हुआ कि रासायनिक खाद से खेत की मिट्टी में अम्ल की मात्रा बढ़ने लगी। जमीन में जिंक और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने लगी। इसका दुष्प्रभाव मिट्टी पर पड़ने लगा और इसकी उपज का अन्न खाने से मनुष्य के स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा। जिंक की कमी से मनुष्य के शरीर का विकास थम जाता है और बाल झड़ने जैसी समस्याएं आने लगती हैं।
भारत में इन दिनों ऑर्गेनिक खेती के प्रति आर्कषण बढ़ रहा है। किसान ऑर्गेनिक खेती करके लाखों रूपए अतिरिक्त कमा रहे हैं। ये खेती पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से की जाती है। इसमें लागत कम आती है और इसके उत्पाद महंगे बिकते हैं। ऑर्गेनिक खेती से पर्यावरण को भी कोई क्षति नहीं होती।
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ऑर्गेनिक खेती के क्या क्या फायदे हैं?
ऑर्गेनिक खेती कभी घाटे का सौदा नहीं रहा हैं। इसकी खेती से लोगों को लाभ कई तरह के लाभ मिलते हैं, जैसे जैविक खादों से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता । कृषि फसल चक्र बेहतर हो सकेगा। फसलों में रोग और कीट लगने का खतरा कम होगा । नए रोजगार के अवसर मुहैया हो सकेंगे।
ऑर्गेनिक खाद्यानों से स्वास्थ्य बेहतर
जैविक खेती में खादों के रूप में पेड़, पौधों, फूल-पत्तियों, फ़सलों के अवशिष्ट, केचुओं के द्वारा बनाया जाने वाला खाद और पशुओं के गोबर का प्रयोग करते हैं। इस तरह से जो फ़सल पैदा होती है, उसमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इस तरह से पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थ खाने से हमारा स्वस्थ बेहतर रहता है।
ऑर्गेनिक खेती करने की विधि
जैविक खेती के लिए सबसे जरूरी है गोबर। गोबर के अलावा फ़सलों के अवशेषों को भी जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। जब जैविक खेती के लिए खेत तैयार करते है, तो इसमें सबसे ज्यादा गोबर की आवश्यकता होती है। फसल बोने के बाद उसे खरपतवार और कीट-पतंगों से बचाना पड़ता है। कीट पतंगों से बचाव के लिए गाय के गोबर का घोल और प्राकृतिक रूप से तैयार खाद को पानी के जरिए पौधों में डालते हैं।
जैविक खेती में आने वाली लागत
जैविक खेती करने के लिए आपके पास कम से कम पांच एकड़ ज़मीन होना चाहिए। जैविक खेती के लिए सरकार ऋण उपलब्ध कराती है। कोई भी किसान पास के राष्ट्रीयकृत बैंक से कम से कम तीन साल के लिए ऋण मिल सकता है। बैंक से पांच एकड़ भूमि के लिए आसानी से एक लाख रुपये का ऋण मिल जाता है। इस ऋण पर किसान को अधिकतम 20 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
भारत में जैविक खेती के लिए सरकारी योजनाएं
भारत में जैविक खेती के लिए अनेक सरकारी योजनाएं चल रही हैं, जिनमें परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER), तिलहन और पाम तेल पर राष्ट्रीय मिशन (NMOOP), मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के तहत पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन(NFSM) प्रमुख हैं। इन योजनाओं में किसी का भी लाभ उठाकर जागरूक किसान जैविक खेती करके अपनी आमदनी बढा लाखों का फायदा ले सकते हैं।