नई दिल्ली: सपा मुखिया अखिलेश यादव के अपने सगे चाचा शिवपाल यादव से संबंध मधुर होने के बजाय कटु होते जा रहे हैं। शिवपाल पिछले कुछ माह से अखिलेश द्वारा लगातार की जा रही उपेक्षा से ख़ासे आहत हैं। भले ही दोनों राजनीतिक स्वार्थों के चलते उ.प्र. विधान सभा चुनावों के कारण एक साथ आ गये थे, लेकिन अखिलेश चाचा शिवपाल यादव को वह सम्मान नहीं दे सके, जिसका वे हक़दार थे। अखिलेश तो शिवपाल यादव को सपा विधायक भी नहीं मानते, जबकि वे साईकिल चुनाव चिन्ह पर चुनावे लड़े और जीते हैं।
उत्तर प्रदेश में कभी राजनीतिक रूप से सबसे ताकतवर रहा मुलायम सिंह परिवार इन दिनों बिखराव की कगार पर है। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने कुनवे को एकजुट करने और फिर से पुराना वाला रूतबा दिलाने में अभी तक तो नाक़ाम ही रहे हैं। अखिलेश की अपने चाचा शिवपाल से दूरियां कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। राजनीतिक रूप में मुलायम सिंह यादव का कुनवा फिर से बिखरने की कगार पर है।
राजनीतिक पाला बदलने को तैयार बैठे हैं शिवपाल
उ.प्र. विधान सभा चुनावों के कारण राजनीतिक स्वार्थों के कारण चाचा-भतीजे सपा मंच पर साथ आ गये थे। अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव को जसवंतनगर से सपा के सिंबल पर चुनाव में उतारा और वे साईकिल चुनाव चिन्ह पर जीते भी, लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि अखिलेश ने उन्हें अब अपनी पार्टी का विधायक ही नहीं मानते। विस चुनाव से पूर्व मुलायम परिवार की छोटी बहू अर्चना यादव भाजपा में शामिल हो गयी थीं और अब मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल राजनीतिक पाला बदलने को तैयार बैठे हैं।
ठगा हुआ महसूस करते हैं शिवपाल
शिवपाल पिछले कुछ माह से अखिलेश द्वारा की जा रही उपेक्षा से ख़ासे आहत हैं। अखिलेश अपने चाचा शिवपाल यादव को पार्टी में वह सम्मान नहीं दे सके, जिसका उन्होंने वादा किया था। शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी में रखना चाहते हैं, इसलिए वे अपने दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय तक करने को तैयार थे, लेकिन अखिलेश ने शिवपाल के प्रस्ताव को कभी कोई महत्व नहीं दिया। शिवपाल को उम्मीद थी कि अखिलेश उनके नजदीकी दर्जन भर नेताओं को भी टिकट देंगे, लेकिन अखिलेश ने एक मात्र शिवपाल को ही टिकट दिया था। तब उन्होने खुद को ठगा हुआ महसूस किया था, मगर समय की नजाकत को भांपते हुए चुपचाप अपमान का घूंट पीकर रह गये थे।
और पढ़िए- इस विधि से खेती कर करोड़ों कमा रहे हैं किसान, सरकार देगी सब्सिडी
चाचा शिवपाल को भरोसे में नहीं ले पाये अखिलेश
शिवपाल यादव सपा के टिकट पर विधायक तो बन गये, लेकिन अखिलेश ने चाचा शिवपाल को जोर का झटका धीरे से तब दिया, जब सपा विधायकों की बैठक में शिवपाल को नहीं बुलाया गया। अखिलेश ने उन्हें सपा का विधायक न मानकर गठबंधन सहयोगी दल को नेता माना। शिवपाल को सपा के गठबंधन दलों के विधायकों की बैठक में बुलाया गया, जिसमें वे जानबूझकर शामिल नहीं पहुंचे थे।
उपेक्षा और अपमान झेलना बर्दाश्त से बाहर हुआ
शिवपाल यादव अब समझ गये हैं कि भतीजे अखिलेश यादव उनको साथ लेकर चलना नहीं चाहते। इस कारण उन्हें लगातार उपेक्षा और अपमान झेलना पड़ रहा है, लेकिन अब ये सब बर्दाश्त से बाहर हो गया है। शिवपाल को अपने राजनीतिक करियर की इतनी चिंता नहीं हैं, जितनी बेटे आदित्य यादव की है। इसलिए शिवपाल यादव को नई राजनीतिक जमीन चुनना मजबूरी है। पिछले दिनों शिवपाल ने मुख्यमंत्री योगी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। तब उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगने लगे थे, लेकिन कई दिन बीतने के बावजूद अभी शिवपाल ने अपनी मंशा सार्वजनिक नहीं की है। वे भाजपा का दामन थाम लें, ऐसा उनके नजदीकी भी सुझाव दे चुके हैं।