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Latest bijnor news up live: पिता की कैंसर से हो गई मौत, बेटी ई-रिक्शा चलाकर पाल रही घर

Father dies of cancer, daughter drives e-rickshaw to support family

Latest bijnor news up live: वह अपने पिता की लाडली थी, वह अपने पिता की उंगलियां पकड़ कर आसमान की सैर करना चाहती थी, वह अपने पिता की छत्रछाया में खुद को महफूज महसूस करती थी, बिना कुछ बोले उसके पिता उसकी हर इच्छा पूरी कर देते थे, वो अपने पिता को दुनिया की हर खुशी देना चाहती थी, वो एक संघर्षशील, हिम्मतवाले पिता की नाजुक सी बच्ची थी। पर आज ये नाज़ुक सी बच्ची सड़कों पर है। ये नाज़ुक सी बच्ची न मौसम देखती है न परिस्थिति। ये बच्ची सिर्फ देख पाती है तो अपने परिवार की जिम्मेदारियां। इस बच्ची को दिखता है तो अपने छोटे मासूम भाई-बहन का भूख से तड़पता चेहरा। इस नाजुक बच्ची को दिखता है तो सिर्फ अपनी मां की मजबूरी।

यूपी के बिजनौर जिले के धामपुर की सड़कों पर सुबह-सुबह आपको सैकड़ों ई-रिक्शे वाले मिलेंगे जो सवारियों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाते हुए आपको नज़र आ जाएंगे। एक रिक्शा चालक से मन में कैसी तस्वीर बनती है। जाहिर सी बात है रिक्शावाला यानी किसी पुरूष की छवि, जो शरीर से मजबूत है, जो 10-10 सवारियों को खींचकर ले जाता है, जो अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मई की इस चिलचिलाती धूप में सवारियों के इंतज़ार में खड़ा रहता है।

धामपुर में आपको इन ई-रिक्शा वालों के बीच एक और ई-रिक्शा देखेगा, जिसे देख आप भी थोड़ा रूककर देखने लग जाएंगे और सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। और मन में एक ही सवाल आएगा कि ऐसी क्या मजबूरी थी और वो इसलिए क्योंकि ये रिक्शा चालक कोई पुरूष नहीं एक महिला है। समाज ने अनादि काल से महिला पुरूषों के शरीर की क्षमता के हिसाब से काम बांट रखे हैं। इसलिए दोनों के काम अलग है।

बेटी की उम्र कुछ 20-21 साल। इस बेटी को ऐसे हालात में देखकर पहले तो आपको हैरानी होगी जैसे यहां के लोगों को भी हुई, लेकिन जब इस बेटी की हिम्मत की कहानी लोगों ने सुनी तो बेटी की प्रशंसा करने से लोक थके नहीं। ये निकिता है। निकिता आज धामपुर के सड़कों पर ई-रिक्शा चलाकार अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। निकिता की उम्र लगभग 20-21 साल है। निकिता के परिवार में मां और दो छोटे-भाई बहन हैं। पिता की मौत 7 महीने पहले कैंसर से हो गई। पिता ई-रिक्शा चलाकर परिवार चलाते थे और आज इसी ई-रिक्शा को चलाकर निकिता भी परिवार का भरण-पोषण करती है। निकिता ने BSC की है। यही नहीं उसने सरकारी नौकरी के लिए SSC की तैयारी भी की है। निकिता के पास NCC का भी सर्टिफिकेट है। लेकिन इतनी प्रतिभावान होने के बावजूद भी जब निकिता को कहिं नौकरी नहीं मिली तो निकिता ने अपने पिता की पुरानी ई-रिक्शा पकड़ी और निकल पड़ी एक बड़ी बेटी की ज़िम्मेदारियों को पूरा करने।

ई-रिक्शा भी ऐसी कि रिक्शा का छत टूटा हुआ है जिसके छत को रस्सी से बांधा गया है। निकिता कहती हैं कि जो भी पिता ने दिन रात मेहनत कर पैसे जमा किए थे सब उनकी ईलाज में चले गए। बस अब जो है वो यही ई-रिक्शा है जिससे वह अपने परिवार को खिला-पिला पा रही हैं। निकिता कहती हैं कि वो एक दिन में 400-500 कमा लेती है जिससे भाई-बहनों की पढ़ाई-लिखाई और घर खर्च निकल जाता है। वह कहती हैं कि वह रोज सुबह अपने गांव से 8-9 KM दूर पहले तो रिक्शा चलाकर धामपुर आती हैं फिर पूरा दिन शहर में रिक्शा चलाती है। निकिता की कहानी हर शख्स के लिए एक मिसाल है जो अपने जीवन में आये परेशानियों से डर कर हिम्मत हार जाते हैं और जीवन से लड़ नहीं पाते। निकिता की मात्र एक ही ख्वाहिस है कि उसे कोई अच्छी सी नौकरी मिल जाए, जिससे वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को और अच्छे से संभाल सके। सलाम है ऐसी हिम्मतवाली बेटी को।

Chanchal Gole

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