शिवसेना में हुए विभाजन के बाद पहली बार अलग-अलग स्थापना दिवस मनाएंगे उध्दव-शिंदे गुट
Shiv Sena Foundation Day: महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली पार्टी शिवसेना आज अपना 57 वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है। पार्टी का स्थापना दिवस 19 जून को मनाया जाता है, लेकिन इस बार का स्थापना दिवस शिवसेना में दो भाग होने की वजह से अलग-अलग स्थापना दिवस भी मनाया जाएगा। ये पहली बार होगा जब एकनाथ शिंदे और उध्दव ठाकरे गुट अलग अलग कार्यक्रम आयोजित करेंगे। शिंदे गुट गोरेगांव स्थित NESCO ग्राउंड के कार्यक्रम आयोजित करेगा तो वहीं, शिवसेना (यूबीटी) मध्य मूंबई सियोन में शनमुखानंद हॉल में स्थापना दिवस मनाएगा।
सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे और शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस कार्यक्रम में राज्य भर से पार्टी कार्यकर्ता जुटेंगे । वहीं, शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने कहा है कि उध्दव ठाकरे के नेतृत्व वाला ग्रुप ही असली शिवसेना है।
2022 में शिवसेना के हुए थे दो गुट
आपको बता दें कि कार्टूनिस्ट से नेता बने बाला साहेब ठाकरे ने 19 जून, 1966 को शिवसेना की स्थापना की थी। उन्होंने मराठी मानूस के गौरव को अपनी राजनीति का मुख्य मुद्दा बनाया था। हालांकि, 2022 में शिवसेना में फूट के बाद दोनों गुट अगले साल होने वाले लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के साथ साथ मुंबई में निकाय चुनावों से पहले पार्टी के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी का दावा करने की कोशिश कर रहे हैं।
उध्दव के कार्यकाल की दिखाई जाएंगी योजनाएं
शिवसेना यूबीटी के मुख्यपत्र सामना में कहा है कि रविवार को उध्दव ठाकरे दक्षिण-मध्य मुंबई के वर्ली में पार्टी के एक सम्मेलन को संबोधित करेंगे। वर्ली से उध्दव ठाकरे के बेटे और पूर्व मंत्री अदित्य ठाकरे विधायक हैं। आदित्य और वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई सम्मेलन का उध्दाटन करेंगे। सामना की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएम के रुप में उध्दव ठाकरे के किए गए कार्यों पर एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएगी। सामना का कहना है कि महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास को संबोधित करेंगे।
दोनो गुटो के सामने चुनौती
शिंदे और पार्टी के 39 अन्य विधायकों ने जून 2022 में महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम उध्दव के खिलाफ बगावत कर दी थी जिससे शिवसेना,NCPऔर कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार गिर गई थी और शिवसेना दो भागों बंट गई थी। बाद में शिंदे BJP के समर्थन से सीएम बने चुनाव आयोग ने उनके गुट को सही उत्तराधिकारी माना और पार्टी का मूल नाम और चुनाव चिन्ह देने का फैसला लिया था। वहीं उध्दव ठाकरे गुट को नया नाम शिवसेना उध्दव बालासाहेब ठाकरे मिला था।