ट्रेंडिंगदिल्लीन्यूज़बड़ी खबर

G-20 शिखर सम्मलेन होने जा रहा है बेहद खास, भारत मंडपम पर होंगी सबकी निगाहें

G-20 Summit: दिल्ली में ये (G-20 Summit) ऐतिहासिक पल होगा, जब वैश्विक संगठन G-20 की अध्यक्षता कर भारत कई वैश्विक मुद्दों को सुलझाने में सहायता करने जा रहा है. भारत की अध्यक्षता में G-20 के नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में हो रहा है. दिल्ली 48 घंटे के लिए विश्व का सबसे बड़ा हॉट सेंटर होगा. भारत मंडपम (G-20 Summit) पर सबकी निगाहें होंगी.

G-20 summit is going to be very special

Read: क्या है जी20 इंडिया ऐप? जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे डाउनलोड करने की सलाह | News Watch India

आपको बता दें भारत मंडपम देश का सबसे बड़ा इंडोर हॉल है. G-20 से जुड़े सारे कार्यक्रम यहीं होने जा रहे हैं. भारत मंडपम को देखते ही उसकी भव्यता अंदाजा लगाया जा सकता है. इसे शानदार तरीके से सजाया गया है, क्योंकि ये पूरी दुनिया में भारत का गौरव गान करेगा. ये नया कॉम्प्लेक्स विश्व के शीर्ष 10 कन्वेंशन सेंटर्स में शामिल है, जो जर्मनी के हनोवर और चीन के शंघाई जैसे (G-20 Summit) विख्यात कन्वेंशन सेंटर को टक्कर देता है.

भारत मंडपम 123 एकड़ में 750 करोड़ की लागत से बना हुआ है

भारत मंडपम 123 एकड़ में बना हुआ है. इसके निर्माण में 750 करोड़ रुपये लगे है. देश के सबसे बड़े कन्वेंंशन सेंटर में 10,000 लोगों के एक साथ बैठने की क्षमता है. इसमें कई VIP लॉन्ज और कई आधुनिक टेक्नॉलॉजी वाले कॉन्फ्रेंस रूम भी हैं.
भारत मंडपम में एक हॉल ऐसा भी है, जिसमें एक साथ 7000 लोग आराम से बैठ सकते हैं. भारत मंडपम का महज एरिया फुटबॉल स्टेडियम से लगभग 26 गुना विशाल है. ये संसार के सबसे बड़े हॉल में से एक है और सिडनी (ऑस्ट्रेमलिया) के ओपेरा हाउस से बेहद बड़ा है.

AI एंकर करेगी मेहमानों का स्वागत

G-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत मंडपम में 26 पैनल की डिजिटल दीवार लगाई है. कहा जा रहा है कि कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों का स्वागत AI एंकर के द्वारा किया जाएगा. कॉरिडोर की थीम के बारे में भी AI एंकर पूरी जानकारी देगी, इसके अलावा इस पैनल पर भारतीय लोकतंत्र की कहानी को दिखाया जाएगा.

G-20 Summit में शामिल होने विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष का नई दिल्ली आना शुरू हो गए हैं। 9 और 10 सितंबर को होने वाली यह 2 दिवसीय बैठक इस बार सबसे अधिक चर्चा में इस कारण से है क्योंकि 2 प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग- इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे। पुतिन का न आना तो फिर भी अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता। यूक्रेन युद्ध के कारण से इस समूह के ज्यादातर सदस्य देशों के निशाने पर हैं और इसलिए उनकी मौजूदगी दोनों पक्षों के लिए असुविधाजनक हो सकती थी। लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का न आना ज्यादा अर्थपूर्ण है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस पर निराशा जताई है। कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अपनी गैर-मौजूदगी के जरिए चीनी राष्ट्रपति यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि वह इस मंच को उतनी तवज्जों नहीं देते, जितनी ब्रिक्स और SCO (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) जैसे उन मंचों को, जहां अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश नहीं हैं। निश्चित रूप से इन दोनों राष्ट्रध्यक्षों की गैर-मौजूदगी G20 की इस शिखर (G-20 Summit) बैठक की अहमियत को कुछ प्रभावित कर सकती है।

लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि दोनों में से किसी देश ने इस सम्मेलन का बहिष्कार नहीं किया है। उनकी नुमाइंदगी दूसरे नेता करेंगे। इसलिए सम्मेलन के अंत में संयुक्त वक्तव्य की संभावना अभी समाप्त नहीं हुई है।

दूसरी बात यह कि संयुक्त वक्तव्य से अलग भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसे भारत के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान G20 की उपलब्धि (G-20 Summit) के रूप में रेखांकित किया जा सकता है। इनमें से एक है ग्लोबल साउथ को मिलने वाली अहमियत। भारत पहले से यह मुद्दा उठाता रहा है कि दुनिया के महज आर्थिक उत्पादन का 80 %, कुल आबादी का 60 % और कुल वैश्विक व्यापार का 75 % कवर करने के बावजूद यह मंच विकसित और गरीब देशों के मुद्दों को सही ढंग से संबोधित करने में नाकाम रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में पहली बार G20 के किसी अध्यक्ष देश ने ग्लोबल साउथ के 125 देशों की बैठक बुलाकर उनके मुद्दों को स्वर दिया। इसके अलावा, भारत ने अपनी अध्यक्षता में इस मंच के लिए मानवता के कल्याण और शांति का भी पैगाम दिया है। सरकार के विरोधियों की ओर से यह सवाल उठाया जाता रहा है कि G-20 Summit की अध्यक्षता रोटेशन के हिसाब से मिलती है और इसका पिछले साल भारत के पास आना बड़ी बात नहीं है। असल बात यह है कि सरकार इस मौके का इस्तेमाल कैसे कर रही है। अगर देखा जाए तो विकासशील, ग्लोबल साउथ और अफ्रीकी देशों की आवाज बनने के प्रयास के साथ भारत इस मौके का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अपनी साख मजबूत करने के लिए भी कर रहा है । मतलब भारत के लिए ये लम्हा ऐतिहासिक होने वाला है.

कौन-कौन रहेंगे मौजूद

जापान के प्रधानमंत्री फिमियो किशिदो, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुन-येओ, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज, UAE के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, South Africa के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज समेत सभी राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहेंगे.

Prachi Chaudhary

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button