LokSabha Elections In Ayodhya UP: रामनगरी में भगवान,भगवा और भाजपा की मची है धूम !
LokSabha Elections In Ayodhya UP: एक तरफ लोकसभा चुनाव की दुदुम्भी बज रही है तो दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की तैयारी पूरी हो रही है। कल ही तो तीसरे चरण का चुनाव है। इस तीसरे चरण के मतदान में यूपी की दस सीटों पर मतदान होने हैं। कई सीटें बीजेपी के लिए भी काफी अहम है तो सपा की प्रतिष्ठा भी तीसरे चरण में दाव पर लगी हुई है। मैनपुरी से अखिलेश यादव की पत्नी और सपा नेता डिम्पल यादव मैदान में है। लेकिन यूपी की जनता का हाल तो यही है कि सभी पार्टियों की महफ़िल में जनता जाती रही है। नारे भी लगाती रही है लेकिन वह वोट किसको देगी इस पर कुछ बोल नहीं पा रही है।
इस बीच अयोध्या की शान अपने पुरे परवान पर चढ़ा हुआ है। प्रभु राम की धरती तो पहले से ही दुनिया में प्रसिद्ध रही है लेकिन जबसे मंदिर का उद्घाटन हुआ है तब से अयोध्या को देखने पूरी दुनिया के राम भक्त हर रोज हजारो की संख्या में पधार रहे हैं। अयोध्या मानो बोल रहा है। अयोध्या के कण -कण से प्रभु राम की याद को लिए लोग अपने घर को लौट रहे हैं।
पिछले दिनों पाकिस्तान से भी ढाई सौ से ज्यादा लोग अयोध्या पहुंचे थे। हिन्दुओ का यह जत्था अयोध्या में पहुंचकर प्रभु राम के दर्शन से अभिभूत हो गए। उन्होंने अयोध्या की परिक्रमा तो की ही ,हनुमागधी के भी दर्शन किये। जयकारे लगाते पाकिस्तान से आये लोगों ने कहा था यही हमारे आराध्य है और इनके बल पर ही हम सनातनी अभी तक आगे बढ़ रह रहे हैं।
लेकिन अयोध्या का यही सच नहीं नहीं। सच तो यही है कि चुनाव के इस बेला में अयोध्या में भगवा धारियों का भी मेला लगा हुआ है। देश के कोने -कोने से भगवाधारी भी अयोध्या पहुँच रहे हैं। प्रभु राम की सेवा में खुद को लगाकर जाप भी कर रहे हैं। कही साधुओं की मण्डली बैठी है तो कही सरयू के किनारे नागाओं और संतो की मंडली बैठी कथा वाचन करती दिख रही है।
कोई राम नाम जप रहा है तो कोई प्रभु राम के सेवक हनुमान को ही अपना सब कुछ मानकर जीवन उनके हवाले करते दिख रहा है। साधुओं और संतो की इस जमघट से अयोध्या की शोभा अपरम्पार हो गई है। शाम ढलते ही घडी घंटाल और नगारे की आवाज से मानो पूरा अयोध्या ही जाग गया हो। सरयू के किनारे और भी बहुत कुछ दिख रहा है। कही महिलाये नहाती नजर आती है तो कही बच्चे खिलखिलाते नजर आ रहे हैं।
लेकिन अयोध्या का एक दृश्य अभी और भी बाकी है। अयोध्या में इन दिनों राजनीतिक सरगर्मिया भी बढ़ी हुई है। बीजेपी यह से पिछले समय से ही चुनाव जीतती रही है। दो टर्म से बीजेपी यहां से चुनाव जित रही है। इस बार भी बीजेपी ने पिछले उम्मीदवार को ही मैदान में उतार रखा है। लेकिन सपा और बसपा के लोग भी बड़ी ताकत के साथ इस बार अयोध्या की जीत के लिए लालायित है। बीजेपी के सभी बड़े नेता अयोध्या का दौरा कर रहे हैं। वजह भी है।
अयोध्या के दौरे के साथ ही इस इलाके के करीब दर्जन भर सीटों को प्रभावित करने की योजना है। दिल्ली से तो नेता लोग सादे कपडे में पायोध्या के लिए चलते हैं लेकिन जैसे ही अयोध्या के अंक पास में आते हैं वैसे ही उनका वास्ता भगवा हो जाता है। मजे की बात तो यह है कि बीजेपी हो या कोई और पार्टी के नेता। सबके माथे पर चन्दन की लकीरे लगी हुई है। सब राम का नाम लेते हैं और अपने लोगों को वोट के लिए जगा रहे हैं।
कल पीएम मोदी भी अयोध्या गए गए थे ,उनका अयोध्या से नाता गहरा जो है। अयोध्या के सहारे बीजेपी को लग रहा था कि इस बार पुरे देश में महुअल बन सकता है लेकिन बीजेपी को इसका लाभ अभी तक नहीं मिला है। हो सकता है कि अगले सभी चरणों के चुनाव में अयोध्या का असर लोगों पर पड़े और बीजेपी को इसका लाभ भी मिले लेकिन जनता को कौन समझाए। जनता तो अपना मन बना चुकी है। जो बीजेपी को वोट डाळेंहगे वे भी प्रभु राम के नाम पर ही डाळेंहगे और जो बीजेपी को वोट नहीं डालेंगे वे भी प्रभु राम के नाम पर ही दूसरी की पार्टी को डाल आएंगे।
अयोध्या से बाहर रहकर सब एक दूसरे के खिलाफ होते हैं लेकिन अयोध्या आकर सब प्रभु राम के सामने नतमस्तक ही हो जाते हैं। यही प्रभु राम की कृपा है। लेकिन राजनीति का खेल तो कुछ अलग ही है। यही अलग खेल देश को मजबूत बनाये हुए हैं। इस बार बीजेपी को लगता है कि यूपी की सभी सीटें उसे ही मिल जायेगी। ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी। यह सब इसलिए कि प्रभु राम तो सबके हैं। वे आचारी के भी हैं और व्यविचारी के भी हैं। वे बीजेपी के भी हैं और बाकी दलों के के भी है। तभी तो यह कहा जाता है कि प्रभु राम सबके हैं। यही सबका होने की कहानी ही तो प्रभु राम को सबके लिए एक सामान मना जाता है।
अयोध्या में अभी भगवा का ज्यादा जोर है। जहाँ देखो वही भगवा ही भगवा। नेताओं के वेश भी भगवा मई है और साधुओं के भेष भी भगवा मई है। यहाँ के रहने वाले भी भगवा मई ही है और जो लोग आते हैं वे भी भगवामय होकर रह जाते हैं। इस भगवा में ही सनातन बसा है लेकिन सनातन की असली पहचान वसुधैव कुटुंबकम में ही बसा है।