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हमास -इजरायल जंग :आखिर क्यों मोदी सरकार है इजरायल के साथ तो विपक्षी खेमा फिलिस्तीन का समर्थक?

Isreal-Hamas War 2023: राजनीति के अपने अंदाज हैं और अपनी नजाकत भी ।कब किस देश की राजनीति कहां जाकर फिट बैठती है यह भी कोई नही जानता ।कल तक भारत फिलिस्तीन का समर्थक था लेकिन आज फिलिस्तीन को लेकर सरकार चुप है ।मोदी सरकार इजरायल के समर्थन में खड़ी है । अचानक इजरायल के साथ भारत की दोस्ती कब से मजबूत हो गई यह भी एक मंथन का विषय है जिस फिलिस्तीन को भारत ने सहयोग दिया अपना हितैषी बताया आज वही फिलिस्तीन भारत की नजरों से ओझल हो गया है ।फिलिस्तीन के सामने इजरायल को महता भारत सरकार में बढ़ गई है ।आखिर यह सब क्यों है यह कूटनीति का विषय हो सकता है लेकिन ऊपरी तौर पर देखें तो साफ हो जाता है कि चुकी हमास फिलिस्तीन का ही आतंकी संगठन है इसलिए भारत सरकार यह कह रही है कि वह इजरायल के साथ है क्योंकि हमास जैसे आतंकी संगठन ने इजरायल पर हमला किया है ।

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साफ है कि भारत ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है ।भारत सरकार ने यह भी का है कि भारत किसी भी सूरत में आतंक का समर्थन नहीं करता ।आतंकवाद को खत्म करने को जरूरत है । जबतक आतंकवाद का खत्म नहीं होता तबतक दुनिया में शांति नही आ सकती । जाहिर है कि हमास ने पहले इजरायल पर हमला किया है तो दुनिया को कई ताकते अब उसे दोषी ठहरा रही है ।लेकिन हमास और इजरायल के भीतर की लड़ाई कोई आज को तो है नही ।यह वर्षो पुरानी लड़ाई है । फिलिस्तीन ने इजरायली को पनाह दी थी और फिर वही हुआ जो अक्सर ताकतवर देश करते चले जाते हैं ।धीरे धीरे इजरायल फिलिस्तीन को निगलते चल गया ।फिलिस्तीन के अधिकतर हिस्सा इजरायल के कब्जे में जाता रहा और फिलिस्तीन फिर दुनिया के सामने रुदाली करता रहा । आज हमास जो भी कर रहा है ,जिस तरह का आतंक फैला रहा है उसकी इजाजत तो फिलिस्तीन भी नही देता ।लेकिन यह बड़ा सच है कि इजरायल के साथ हर लड़ाई में फिलिस्तीन अपनी जमीन का एक टुकड़ा खोता हो रहा है ।

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मौजूदा समय में जो लड़ाई चल रही है इसमें कितने हजार या लाखों लोगों की जान तो जायेगी ही लेकिन इस लड़ाई का बड़ा सच यही फिलिस्तीन को बहुत कुछ फिर से खोना होगा ।बहुत संभव है कि अब गाजापट्टी के जिस हिस्से पर फिलिस्तीन का कब्जा था ,वह शायद अब उसके हाथ से निकल जाए ।और ऐसा हर बार की लड़ाई में होता ही रहा है ।
ऐसे में भारत सरकार से यह भी पूछा जाना चाहिए कि इजरायल अगर फिलिस्तीन के कुछ हिस्सों पर फिर से कब्जा करता है तो भारत सरकार का क्या स्टैंड होगा ?क्या भारत सरकार इस पर ऐतराज जताएगा ।

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जो हालत है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि भारत समेत दुनिया के वह सभी देश जो इजरायल के साथ खड़े हैं इनकी विदेश नीति किस बात को गवाही देता है यह कहना मुश्किल ही ।दुनिया भर के देश यह जरूर कहते हैं कि विश्व में शांति को जरूरत है लिकन सच यही है कि जब तक दुनिया अशांत नही होती तब तक व्यापार और बिजनेस नही बढ़ सकते ।क्या दुनिया तमाम विकसित देश दुसरे देशों को हथियार बेचे बगैर रह सकते हैं ? और नही रह सकते तो दुनिया के कई इलाकों में लड़ाइयां जरूरी है ।युद्ध जरूरी है ।इंसानों का खून बहना जरूरी है ।और जब यह सब जरूरी है तो जमीन पर कब्जा करना भी जरूरी है ।और आज जो भी ताकतवर देश है वह कमजोर के साथ यही सब कर रहा है ।

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भारत अभी इजरायल के साथ कब तक है और क्यों है इसका अलग से विश्लेषण किया जा सकता है लेकिन बड़ा सच यही है कि इंदिरा गांधी ,राजीव गांधी, चंद्रशेखर से लेकर अटल बिहारी वाजपेई भी फिलिस्तीन के साथ खड़े रहे हैं । अटल जी ने तो यहां तक कहा था कि फिलिस्तीन अरबों का है और इजरायल को कब्जा छोड़ना पड़ेगा । अटल जी के ये शब्द गूंजते तो जरूर है लेकिन मौजूदा सरकार शायद दुनिया के बदलते हालत को देखते हुए अटल जी के शंडों को सुनने से परहेज कर रही है ।हो सकता है कि सरकार की अपनी बेबसी हो । लेकिन विपक्ष की बेबसी कैसी ?
भारत की अधिकतर विपक्षी पार्टियां फिलिस्तीन के समर्थन में खड़ी है ।इंडिया गठबंधन भी फिलिस्तीन के साथ है और इस समर्थन के पीछे विपक्ष कोई सरकार विरोधी नीति नही है ।यह भारत का अपना स्टैंड है ।यह भारत की कूटनीति है और यह भारत का विश्व बंधुत्व है ।यही वह ऐसी नीति है जिसकी आधार हमारे पूर्व प्रधानमंत्रियों ने तैयार की थी ।
आज विपक्षी दल सरकार के निशाने पर हैं ।सरकार के लोग और बीजेपी के लोग विपक्ष पर आतंकी हमास पर मेहरबान होने का आरोप लगा रहे हैं ।बीजेपी विपक्ष पर यह भी आरोप लगाती है कि ये सभी आतंक को बढ़ावा देते हैं ।बीजेपी का प्रचारतंत्र बहुत कुछ कह रहा है लेकिन बीजेपी के लोग यही नही जानते कि फिलिस्तीन न तो हमास है और न ही हमास के साथ फिलिस्तीन खड़ा है ।हमास जो भी कर रहा है उसकी भर्त्सना को जानी चाहिए ।उसे दंडित की जानी चाहिए लेकिन हमास के आतंक का बदला फिलिस्तीन और वहां के निर्दोष लोगों से भला कैसे लिया जा सकता है ।आज यूएन भी इजरायल के खूनी खेल को देखकर स्तब्ध है ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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