Shriram Group founder: अभी तक आपने कई ऐसी कंपनियों में काम किया होगा और देखा-सुना होगा जहां अपनी सैलरी के लिए इंतजार करना पड़ता है। लेकिन आज हम यहां ऐसी कंपनी के मालिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपनी पूरी संपत्ति अपने कर्मचारियों को बांट दी और फिर खुद इतनी बड़ी कंपनी के मालिक होने के बाद बिना किसी परवाह के घर पर सुकून से आराम फरमा रहे है।
ये वो शख्स है जो लाखों की दौलत शौहरत होने के बाद भी सादगी और सिंपल जिंदगी जीना पंसद करते हैं। खास बात ये है कि उनके पास एक मोबाइल फोन तक नहीं है वो फोन रखना या चलाना पसंद नही करते हैं। जो अपनी सिंपल लाइफ के लिए भी जाने जाते हैं। कोरोड़ों की संपत्ति के मालिक सादा जीवन उच्च विचार रखते हैं। आज के समय की वो ऐसी शख्सियत हैं जो अपनी खून पसीने की मेहनत से जो दौलत बनाई है उसे वो बिना सोचे एक बार में किसी भी गरीब, असहाय या जरूरतमंद को दान देते हैं। ये ऐसे लोगों को न जाने अब तक कि कितना रुपया उधार दे चुके है जिन्हें बैंक से वापस कर दिया जाता है। आप भी सोच में पड़ गए होंगे कि भला ऐसा कौन कर सकता है। लेकिन यहां पर ऐसा ही हुआ है जी हां हम आपको बता रहें है श्री राम ग्रुप के फाउंडर आर. त्यागराजन की। उन्होंने ने इतना बड़ा फैसला कैसे लिया और क्यों…
44 कर्मचारियों में बांट दिए 6200 करोड़ रुपये
श्री राम ग्रुप के आर. त्यागराजन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपनी पूरी संपत्ति को कंपनी के कर्मचारियों में बांट दी। जिसमें से कुल 44 कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने अपनी 6200 करोड़ की नेटवर्थ को 44 कर्मचारियों में बराबर बांट दी जिससे की हर एक कर्मचारी के खातें में 141 करोड़ रुपये आए। और अपने पास सिर्फ एक घर, गाड़ी सिर्फ 5 हजार डॉलर रखें। बाकी की जिनती भी संपत्ति थी उसे अपने कर्मचारियों में बांट दी।
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इतने लाख लोग करते हैं काम
आर. त्यागराजन ने श्री राम ग्रुप के जरिए करीब 108,000 लोगों को रोजगार दिया है। उन्होंने ट्रक, ट्रैक्टर और अन्य वाहन को खरीदने वालों के लिए इस ग्रुप की स्थापना की थी। जो इंश्योरेंस से लेकर स्टॉकब्रोकिंग तक के सेक्टर्स से जुड़े लोगों को रोजगार देते है। ताजा कंपनी के शेयर की बात करें तो 0.79 फीसदी की गिरावट के साथ 1,848 रुपये तक रहा है। जबकि इस कंपनी का मार्केट कुल 71,255.34 करोड़ रूपए है।
बता दें कि त्यागराजन ने अपने करियर की शुरुआत न्यू इंडिया नाम की insurance कंपनी से की। कई सालों तक हुंडई हैचबैक चलाई, ब्लूमबर्ग के मुताबिक उनके पास एक मोबाइन फोन तक नहीं जिसकी वजह कि वो फोन को ध्यान भटकाने का उपकरण मानते हैं। एक बड़े बिजनेस के रूप में इन्होंने अपनी सारे शेयर होल्डिंग कर्मचारियों के एक ग्रुप को दे दिए। फिर उसके बाद 2006 में श्री राम ओनरशिप ट्रस्ट में ट्रांसफर किया। जिसमें से 44 ग्रुप अधिकारी बेनिफिशरी बने हैं।