मथुरा: सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह की अदालत में मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्म भूमि मामले से संबंधित दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस मामले में एक जुलाई को सुनवाई होना निर्धारित था, लेकिन उस दिन एक अधिवक्ता के निधन के कारण अदालतों में न्यायिक कार्य न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी।
सिविल जज सीनियर डिवीजन अदालत में आज श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की शाही ईदगाह मस्जिद के कब्जे वाली 13.37 एकड़ जमीन से कब्जा हटाकर उसे हिन्दुओं को सौंपे जाने की मांग की है। इसमें सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष के वकीलों ने कहा कि तकनीकी पेंचों की आड़ में विपक्षी सच्चाई छिपाने की कोशिश की जा रही है, जबकि शाही ईदगाह पक्ष के वकीलों का कहना था कि इस मामले में पहले याचिका का पोषीयता पर सुनवाई होनी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी।
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इसके अलावा आज नारायणी सेवा के अध्यक्ष मनीष यादव की याचिका पर भी सुनवाई हुई, जिसमें उन्होने दावा किया है कि मस्जिद की 2.65 एकड़ जमीन भगवान श्रीकृष्ण की है, इसलिए उसे खाली कराया जाए और मस्जिद में मंदिर होने के सबूतों को मिटाया जा रहा है, इसलिए अदालत इस पर निगरानी रखने के लिए जिला प्रशासन को आदेशित करे। इस याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष के वकीलों ने कहा कि ईदगाह की जमीन की खुदाई की जाए, तो वहां मंदिर होने के प्रमाण अवश्य मिलेंगे। अदालत ने इस याचिका पर आगामी सुनवाई के लिए 16 जुलाई की तारीख निर्धारित की है।
बता दें कि श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद से संबंधित लगभग दर्जन भर याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गयीं हैं, इनमें से भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, रंजना अग्निहोत्री, दिनेश शर्मा आदि की सात याचिकाओं पर आगामी 15 जुलाई को सुनवाई होना प्रस्तावित है।