रेहाना फातिमा पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज को हाई कोर्ट ने किया खारिज
Rehana Fathima News: महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। लेकिन महिला पर लगे इल्जाम को केरल हाई कोर्ट ने 5 जून यानी सोमवार को खारिज कर दिया है. अदालत ने अपनी बात में कहा कि शरीर पर (autonomy) स्वायत्तता के अधिकार को अक्सर नग्नता और अश्लीलता से जोड़ा गया है
और इसे अनैतिक(unethical) करार दिया जाता है, जोकि गलत है.
(kerela high court) के मुताबिक न्यूड को सेक्स के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. नग्नता और अश्र्लीलता में अंतर है हमेशा ये दोनों शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची (synonymous)नहीं होते हैं. दरअसल महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली रेहाना फातिमा का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे देखा जा सकता है कि उन्होंने नाबालिग को अपने अर्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करने की अनुमति दी थी।
दरअसल रेहाना के इस वीडियो को (Prosecutors)अभियोजन पक्ष ने अश्लील करार दिया था. लेकिन अदालत ने कहा कि यह तय करना संभव नहीं है कि इस केस में बच्चे का यूज यौन संतुष्टि के लिए किया गया है। अपने शरीर को कैनवास की तरह यूज करने देना यौन संतुष्टि नहीं कहा जा सकता है.
महिलाओं को अपने शरीर के बारे में फैसले लेने का पूरा अधिकार है.(artistic expression) कलात्कम अभिव्यक्ति को यौन क्रिया से जोड़ा क्रूरता है. जस्टिस कौसर एधाप्पागथ(Justice Kausar Edappagath) ने बताया कि 33 साल की महिला कार्यकर्ता पर लगे अपराध निराधार हैं,
उसने अपने शरीर का यूज यौन सुख के लिए किया है यह तय नहीं किया जा सकता है
अदालत ने कहा कि महिला ने अपने बॉडी को सिर्फ कैनवास की तरह यूज करने की अनुमति दी थी. महिलाओं को (equality and privacy)समानता और निजता का अधिकार है.
महिलाओ को अपने शरीर को लेकर फैसला लेने का पूरा अधिकार है
आपको बता दें रेहाना ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने बॉडी पेटिंग का यूज एक पॉलिटिकल स्टेटमेंट(political statement )देने के लिए किया था, उनका आगे कहा कि वह समाज में इस सोच के खिलाफ हैं कि महिला के शरीर का ऊपरी हिस्सा हर परिपेक्ष्य(Perspective) में यौन संबंध के साथ जोड़ा जाए। पुरुषों की शरीर के ऊपरी हिस्से को इससे नहीं जोड़ा जाता है।