नई दिल्ली: भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ यानी ‘रेत की समाधि’ नामक उपन्यास को वर्ष 2022 का बुकर पुरस्कार मिलना निश्चय ही भारतीय हिन्दी लेखन के लिए सम्मान की बात है। गीतांजलि श्री ने उपन्यास ‘रेत की समाधि’ को हिन्दी में लिखा था, जिसका अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल ने टॉम्ब आफ सैंड किया था।
विश्व साहित्य मंच पर हिन्दी से अंग्रेजी में अनुदित यह उपन्यास इतना पंसद आया कि इसको बुलर जैसे पुरस्कार के लिए चुना गया। इस उन्यास को बुकर पुरस्कार मिलना लेखिका गीतांजलि श्री के साथ-साथ समस्त भारतीयों और हिन्दी साहित्कारों के लिए गर्व की बात है। अतंरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की दौड़ में उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के साथ ही अन्य देशों के लेखकों की 12 पुस्तकों और शामिल थी, लेकिन बुकर पुरस्कार भारत के हिस्से में आया।
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लंदन में जब यह पुरुस्कार दिया गया तो लेखिका गीतांजलि ने कहा कि वह बहुत खुश थी, उन्हें इस पुरस्कार के मिलने की उम्मीद नहीं थी। उस समय उनके साथ उपन्यास के अंग्रेजी अनुवादक डेजी रॉकवेल भी मौजूद थे।
लेखिका गीतांजलि श्री उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की हैं, लेकिन वे एक लंबे समय से दिल्ली में रह रही हैं।
वे इससे पूर्व तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह लिख चुकी हैं, जिनकी अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन में अनुवाद हो चुका है। उनके रेत की समाधि की अनुवादक अमेरिका में रहने वाली 64 वर्षीय डेजी रॉकवेल है, जो एक पेंटर एवं लेखिका है। वे रहती हैं। डेजी ने हिंदी और उर्दू की कई रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।