नई दिल्ली: आज के इतिहास में बात करेगें महाराष्ट्र के लातूर (History Of Latur) में आए ऐसे भूकंप की जिसने पूरे लातूर को एक झटके में तबाह कर दिया। 30 सितंबर 1993 का वो भयावह इतिहास शायद ही कोई ऐसा हो जिसे ना पता हो। वो मंजर जिसने भी देखा उसके लिए उस जीते जागते सपने निकल पाना शायद आज के समय में भी आसान ना हो। महाराष्ट्र में आए उस भूकंप को भले 29 साल हो चुके हैं लेकिन उस भयानक रात की यादें आज भी ताज़ा है।
30 सितंबर 1993 में उस भयानक भूकंप (History Of Latur) में करीब 20000 लोगो की जान गई थी और 30000 लोग की घायल हुए थे। सिर्फ लातूर में ही नही बल्कि उससे जुड़े आसपास के 12 जिलों में करीब 2 लाख 11 हजार मकान भी इस भूकंप में तबाह हो गए थे। उस वक्त आस-पास के हर इलाके में सिर्फ शवों का अंबार लगा हुआ था।
भूकंप से उजड़े 52 गांव
उस समय 6.4 तीव्रता के इस भूकंप ने महाराष्ट्र के लातूर (History Of Latur) जिले में भयानक तबाही मचा दी थी। इस भूकंप में 52 गांव पूरी तरह से तबाह हो गए थे। भूकंप का सर्वाधिक असर लातूर के औसा ब्लॉक और उस्मानाबाद जिले में ही हुआ था। इस भूकंप का केंद्र किलारी नामक स्थान में जमीन से 12 किलोमीटर नीचे था। ऐसा कहा जाता है कि जहां भूकंप का केंद्र था, उस जगह कभी एक बड़ा सा क्रेटर (ज्वालामुखी मुहाना) हुआ करता था। जिस वक्त वहां ये भूकंप आया था, उस समय अधिकतर लोग गहरी नींद में सो रहे थे। इसा कारण ज़्यादा तादाद में लोगों की जान को नुकसान पहुंचा था।
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सभी देशों ने दिया भारत का साथ
भारत की इस भयावह स्थिती में पूरे विश्व ने भारत का साथ दिया था। विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और कई देशी-विदेशी दान-दाताऔं ने राहत व बचाव कार्य के लिए भारत में दान दिया। त्रासदी में राहत की बात ये थी कि हज़ारो लोगों को राहत व बचाव कार्य के दौरान सेना व बचाव दल ने मलबे से जीवित निकाल लिया गया था। इस प्राकृतिक आपदा में विकलांग हुए लोगों को सरकार की ओर से 46.55 लाख की सहायता राशि दी गई थी। सरकार ने विश्व बैंक व अन्य दानदाताओं की मदद से पीडि़तों के लिए एक बड़ा रिहेबलिटेशन कार्यक्रम भी चलाया था।
इसको माना गया भूकंप का कारण
बहुत समय तक वैज्ञानिकों ने पता लगाने की कोशिश की थी कि इतनी बड़ी त्रासदी के पीछे क्या कारण था। बताया गया कि दक्षिण भारत के करीब वाले हिस्से में पृथ्वी की बस एक ही प्लेट है। ऐसे में भूकंप का कारण समझ पाना मुश्किल था। अक्सर यही कहा जाता है कि भूकंप ज्वालामुखी या प्लेटों के टकराने या रगड़ खाने से आते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, करोड़ों साल पहले भारत अफ्रीका से टूटा और फिर हजारों साल तक समुद्र में तैरते रहने के बाद ये एशियाई प्लेट से टकराया था। टक्कर इतनी जोरदार हुई कि उससे फिर हिमालय बना था। बताया जाता है कि भारतीय प्लेट आज भी एशियाई प्लेट को दबाती जा रही है। इसी वजह से हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है। इन्हीं सब कारणों के वजह से वैज्ञानिकों ने माना कि लातूर का भूकंप इसी भूगर्भीय हलचल की वजह से आया।