Hola Mohala festival Update Today Hindi: इस साल 25 मार्च यानि सोमवार सें होला मोहल्ला (Hola Mohalla ) के पर्व की शुरूआत होने जा रही हैं। जो 27 मार्च यानि बुधवार तक चलेगा। इस पर्व की शुरुआत सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंहजी ने की थी। होलो महोल्ला पर्व पर ‘जो बोले सो निहाल और झूल दे निशान कौम दे’ के जयकारे गूंजते रहते हैं। आइए जानते हैं कैसे इस पर्व की शुरुआत कैसे हुई और क्या क्या होता है इस दिन कार्यक्रम…
होली का त्योहार अपने रंगों और उत्साह के लिए जाना जाता है और साल 2024 में होला मोहल्ला 25 मार्च से 27 मार्च तक मनाया जाएगा। इस त्योहार को नए तरीके से मनाने की परंपरा सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने शुरू की थी जी, जो आज इस बात का प्रतीक बन गया है कि जीवन से जुड़े सभी रंग और सच्ची खुशियाँ ईश्वर के बिना अधूरी हैं। होली को होला मोहल्ला (Hola Mohalla) के रूप में मनाने की शुरुआत स्वयं गुरु गोबिंद सिंहजी ने 1680 में किला आनंदगढ़ साहिब में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य सिख समुदाय को शरीर और मन से मजबूत बनाकर उनमें जीत और बहादुरी की भावना को मजबूत करना था।
होला मोहल्ला पर्व का इतिहास
तथ्यों के अनुसार आपको बता दें कि होला मोहल्ला त्योहार की शुरुआत से पहले होली के दिन एक दूसरे पर फूल और फूलों से बने रंग डालने की प्रथा थी, लेकिन गुरु गोविंद सिंह जी ने इसे वीरता से जोड़ा और सिख समुदाय को इसके लिए प्रोत्साहित किया। सैनिक प्रशिक्षण करने का आदेश दिया। समुदाय को दो दलों में बांटकर एक-दूसरे के साथ युद्ध करने की सीख दी। इसमें विशेष रूप से उनकी प्रिय सेना, निहंग शामिल थे, जो पैदल और घोड़े पर हथियार चलाने का अभ्यास करते थे। इस तरह तब से लेकर आज तक होला मोहल्ला (Hola Mohalla ) के पावन पर्व पर अबीर और गुलाल के बीच आपको इसी शूरता और वीरता का रंग देखने को मिलता है। इसमें पूरे वक्त आपके कानों में “जो बोले सो निहाल” और “झूल दे निशान” (Hola Mohalla ) जैसे दिलों में जोश भरने वाले जयकारे गूंजते रहते हैं।
इस तरह मनाया जाता है होला मोहल्ला त्योहार
यह 6 दिवसीय पवित्र त्योहार होला मोहल्ला 3 दिन गुरुद्वारा कीरतपुर साहिब और 3 दिन तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब में पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग होला मोहल्ला पावन पर्व में शामिल होने के लिए आनंदपुर साहिब पहुंचते हैं। इस दिन आपको यहां पर तमाम तरह के प्राचीन और आधुनिक शस्त्रों से लैस निहंग हाथियों और घोड़ों पर सवार होकर एक-दूसरे पर रंग फेंकते हुए दिख जाएंगे। आनंदपुर साहिब के होला मोहल्ला (Hola Mohalla ) में आपको न सिर्फ शौर्य का रंग को देखने को मिलेगा, बल्कि यहां पर लगने वाले तमाम छोटे-बड़े लंगर में प्रसाद भी खाने को मिलेगा। दिल्ली से भी जनता बाइक या कार से जाती है। कई सिख समूह रास्ते में आवास और लंगर सेवा की व्यवस्था करते हैं।
गुरु की प्रिय सेना पैदल और घोड़े पर सवार होकर शस्त्र चलाने का अभ्यास करती है। अबीर और गुलाल के बीच आपको इस शौर्य और वीरता के रंग देखने को मिलते हैं।
आनंदपुर साहिब पंजाब के रूपनगर में स्थित है। सड़क मार्ग से आप चंडीगढ़ होते हुए आनंदपुर साहिब पहुंच सकते हैं। वहीं, निकटतम रेलवे स्टेशन नांगल है।