Bollywood Stars Holi Festival News Update Live: गिले-शिकवे, निराशा, जातिगत भेदभाव और अमीर-गरीब का भेद मिटाकर प्रेम और आशा के रंगों से सराबोर करने का त्योहार होली जब फिल्मों में नजर आता है तो सिनेमा प्रेमी मस्ती में डूब जाते हैं। जीवन में रंग भरने और खुशियों के स्वागत का यह त्योहार फिल्मी कहानियों को सार्थकता देता है। आजादी से पहले बने सिनेमा से लेकर आधुनिक दौर की कई बॉलीवुड फिल्मों में होली के रंग देखने को मिले।
फागुन का मौसम आ गया है, बांसुरी बजाओ…साल 1940 में बने एस फिल्म का शीर्षक और कथानक खूबसूरती से आपस में जुड़े हुए थे। होली नफरत और भेदभाव को भूलकर प्यार के रंग में डूबने का संदेश देती है।
इसी थीम पर बनी यह फिल्म अमीर-गरीब का फर्क मिटाते हुए दो जोड़ों की प्रेम कहानी थी। ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा के उस दौर के गीतों में फागुन और होली की चर्चा होती थी, लेकिन रंगीन होली पहली बार पर्दे पर दिलीप कुमार और निम्मी की फिल्म आन (1952) के गाने ‘खेलो रंग हमारे संग में…’ में दिखी। जिसे लता मंगेशकर ने गाया था और शमशाद बेगम ने आवाज दी थी।
सामाजिक फिल्में बनाने के लिए मशहूर फिल्म निर्माता वी शांताराम ने जब होली को पर्दे पर दिखाने का फैसला किया तो इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी थी। फिल्म दो आंखें बारह हाथ (1957) के निर्माण के दौरान वह घायल हो गये थे। सांडों की लड़ाई का सीन फिल्माते समय उनकी आंखें घायल हो गईं। आंखों पर पट्टी बांधकर अंधेरे से जूझते हुए वी शांताराम को लगा कि एक ऐसी फिल्म बनाई जानी चाहिए जिसमें भावनाओं के रंग बिखरे हों और उसका फिल्मांकन भी रंगीन हो।
उन्होंने फिल्म का नाम नवरंग भी रखा, जो वी शांताराम की पहली रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म में भरत व्यास द्वारा लिखित और आशा भोंसले और मन्ना डे द्वारा गाए गीतों रंग दे रे, जीवन की चुनरिया… में जीवन के प्रति खुशी झलकती है। वहीं फिल्म के गाने अरे जा रे हट नटखट… में नायिका संध्या अपने काम के प्रति साहस और समर्पण दिखाती हैं।
इस गाने में नायिका संध्या ने कृष्ण और राधा दोनों का किरदार निभाया है। यहां तक कि हाथी और घोड़ा भी अपने डांस मूव्स के साथ तालमेल बिठाते दिख रहे हैं।
खुशी और गम के रंग
निर्देशक शक्ति सामंत ने फिल्म कटी पतंग (1971) में जीवन को होली के रंगों से भरने की भावनाओं को खूबसूरती से चित्रित किया। सफेद साड़ी वाली हीरोइन आशा पारेख की जिंदगी में सूनापन नजर आ रहा है। अबीर-गुलाल उड़ाते समूह के बीच हीरो राजेश खन्ना आज न छोड़ेंगे तुझे हमजोली, खेलेंगे हम होली… गाना गाकर उन्हें होली खेलने के लिए न्यौता देते हैं।
अबीर-गुलाल के स्पर्श से नायिका की नीरस जिंदगी भी रंगीन हो जाती है। होली के त्यौहार को फिल्म शोले (1975) में भी प्रमुखता से दिखाया गया है। गब्बर सिंह के डायलॉग होली कब है, कब है होली… के ठीक बाद होली के दिन दिल खिल जाते हैं… गाने में गांव वालों के साथ डांस करते धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के चेहरे पर खुशी के रंग नजर आ रहे हैं।
बसंती के किरदार में दिल जीतने वाली हेमा मालिनी का कहना है कि वैसे तो होली एक मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन जब होली के गाने फिल्माए जाते हैं तो यह एक कठिन प्रक्रिया होती है। खुद को रंगों में डुबाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। मैंने कई होली गीत किए हैं, जिनमें आप बीती फिल्म का गाना नीला पीला हरा गुलाबी… भी शामिल है, लेकिन शोले का होली गीत आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है।
रंगों की उमंग को दिल से महसूस करना जरूरी है, तभी उन भावनाओं को गीतों में व्यक्त किया जा सकता है। जन्म से दृष्टिबाधित गीतकार एवं संगीतकार रवीन्द्र जैन के लिखे एवं संगीतबद्ध गीतों को सुनकर एक क्षण के लिए भी नहीं लगता कि वे स्वयं भी रंगों से वंचित रहे होंगे। फिल्म नदिया के पार (1982) में देसी परिवेश में दिखाया गया गाना जोगी जी धीरे-धीरे… लोगों की जुबान पर आज भी राज कर रहा है।
राजश्री प्रोडक्शन की यह फिल्म दो गांवों में रहने वाले नायक और नायिका की कहानी है। जब इसे फिल्माने की बात आई तो पूर्वांचल में स्थित गांवों से बेहतर लोकेशन क्या हो सकती थी। इसकी शूटिंग उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के विजयपुर और राजेपुर गांवों में की गई थी। यह स्थानीय परिवेश और पुरुषों द्वारा महिलाओं की पोशाक में नृत्य करने की परंपरा को भी दर्शाता है। इस गाने में दिख रहे लोग वहां के ग्रामीण थे।
गाने में अवधी की छाप है, जबकि गायक जसपाल सिंह पंजाबी हैं, नायक सचिन मराठी हैं और गुंजा की भूमिका को जीवंत करने वाली नायिका साधना सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर की थीं, लेकिन गाने में यह विविधता एक समान हो गई और इसने दिलों को छू लिया। यह गाना आज भी होली गानों में टॉप पर है।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से निवर्तमान सांसद और लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी खुद कृष्ण भक्त हैं। गुलजार की फिल्म मीरा में उन्होंने कृष्ण की दीवानी नायिका मीरा का किरदार निभाया था, जबकि उन्होंने खुद कृष्ण भजनों को आवाज दी है।