Ahoi Ashtami 2024 : पहली बार कर रही अहोई अष्टमी व्रत ,जान लें नियम कहीं अधूरा न रह जाए व्रत
If you are observing Ahoi Ashtami fast for the first time, know the rules so that the fast does not remain incomplete
Ahoi Ashtami 2024 : माताएं अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं, हालांकि कुछ माताएं अपनी संतान की खुशहाली की कामना से भी व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की रक्षा होती है और संतान दीर्घायु होती है। ऐसे में लेकिन, इस दिन व्रत के कुछ नियमों का पालन जरुर करना चाहिए। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत के नियम और महत्व।
अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी बच्चों की रक्षा उनकी सुख समृद्धि की कामना के लिए रखती है। इस दिन माता निर्जला रहकर माता स्याही से अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। साथ ही इस बार अहोई अष्टमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, साध्य योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है। अहोई अष्टमी में व्रत में नियमों का पालन जरुर करनी ताहिए। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत पूजा के नियम और महच्व।
अहोई अष्टमी व्रत का नियम
अहोई अष्टमी व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। इस व्रत में फल या अनाज नहीं खाया जाता है, साथ ही इस दिन दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
सूर्योदय के साथ ही अहोई अष्टमी व्रत की शुरुआत हो जाती है। रात में जब तारे निकल आते हैं, तभी व्रत समाप्त होता है। तारों को देखने के बाद अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। तारों को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का समापन होता है।
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। इसके लिए अहोई माता की तस्वीर की स्थापना की जाती है।
इसके बाद अहोई माता को दूध, चावल, आठ पूड़ी और आठ मालपुए का भोग लगाया जाता है। पूजा के दौरान माता के सामने कुछ गेहूं के दाने भी रखने चाहिए। इसके अलावा, इस दिन आप अपने बच्चों के लिए सौभाग्य और खुशहाली की कामना करके अच्छे काम कर सकते हैं। साथ ही, आपको किसी के प्रति द्वेष रखने से भी बचना चाहिए।
शाम को अहोई अष्टमी माता की पूजा करने के बाद अपनी सास को कुछ वस्त्र दें और उनका आशीर्वाद लें।
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को संतान का जीवन खुशहाल होता है। वह जीवन में तरक्की होती है। साथ ही संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अहोई माता की पूजा करने और अहोई अष्टमी पर व्रत रखने से शीघ्र ही संतान की प्राप्ति होती है।