Bihar Politics: भले ही नीतीश कुमार ने बीजेपी का दामन छोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया हो लेकिन बीजेपी ने भी तीन पार्टियों का जुगाड कर लिया है।आने वाले समय में ये तीनों पार्टियां जब बीजेपी के साथ मिलेगी तो बिहार एनडीए का कुनबा तो बढ़ेगा ही नीतीश कुमार की परेशानी भी बढ़ेगी। नीतीश कुमार जहां अब अपनी पूरी राजनीति अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को हटाने पर केंद्रित किए हुए हैं वही बिहार में बीजेपी के साथ मिलने वाली पार्टियों की बढ़ती संख्या नीतीश के अभियान को झटका दे सकता है।
बदलती राजनीति में अब इस बात की संभावना ज्यादा बढ़ गई है कि बीजेपी के साथ कुशवाहा को नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल ,चिराग पासवान की पार्टी लोजपा और मुकेश सहनी को पार्टी वीआईपी मिलकर अगला लोकसभा और विधान सभा चुनाव लडेगी ।ऐसा होता है तो बीजेपी को करीब 12 फीसदी वोट बैंक का लाभ हो सकता है ।और ऐसा हुआ तो बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान तो नही होगा लेकिन महागठबंधन के मोदी विरोधी अभियान को झटका जरूर लग सकता है ।
बिहार में दुसाध जाति की संख्या करीब चार फीसदी से ज्यादा है और यह एक दबंग जाति भी है ।जब तक रामविलास पासवान थे तबतक इस जाति के वोट पर इनका दबदबा था ।लेकिन उनके निधन के बाद पासवान को पार्टी लोजपा का बागडोर उनके बेटे चिराग के हाथ में तो आई लेकिन चिराग के चाचा पशुपति पारस ने पार्टी को अपने कब्जे में लेने की कोशिश भी को ।पार्टी बंट गई और चार सांसद भी पारस के साथ चले गए। पारस को बीजेपी ने केंद्र में मंत्री भी बनाया ।लेकिन अब नीतीश के जाने के बाद बीजेपी को चिराग की जरूरत ज्यादा जरूरी हो रही है। बीजेपी को लग रहा है कि पारस को जगह चिराग ज्यादा असरदार हो सकते है क्योंकि लोजपा के अधिकतर वोटर आज भी चिराग के पास है ।अब बीजेपी चाचा भतीजा को पहले एक साथ करने की तैयारी में है। वैसे भी चिराग कभी भी बीजेपी के खिलाफ नही रहे और विषम परिस्थिति में भी वी मोदी का हनुमान खुद को कहते रहे।लोजपा का वोट बैंक करीब 11 फीसदी के पास है ऐसे में अगर चिराग के पास केवल इनकी दुसाध जाति के वोट को ही माना जाए तो करीब चार फीसदी वोट का लाभ बीजेपी ले सकती है।
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इधर उपेंद्र कुशवाहा के पास भी कोइरी वोट करीब चार फीसदी से ज्यादा है। बिहार के कुछ सीटों पर इस समाज का काफी प्रभाव भी है । बिहार में कुर्मी और कोइरी जिसे कुश और लव समीकरण से भी जानते है का कुल वोट करीब 11 फीसदी है जो यादव समाज के बाद दूसरा सबसे बड़ा समाज है। कुशवाहा समाज केवल खेत खलिहान में ही आगे नहीं है शिक्षा के क्षेत्र में भी यह समाज काफी आगे है। मेडिकल और इंजीनियरिंग के अलावा सरकारी बड़े पदो पर भी इस समाज का बड़ा दबदबा है ।ऐसे में अब बीजेपी को उपेंद्र कुशवाहा से उम्मीद जगी है। उपेंद्र भी अब बीजेपी को भाषा बोलने लगे है ।कहा जा रहा है कि बीजेपी अब कुशवाहा को आगे बढ़ाएगी ताकि नीतीश के खेल को कमजोर किया जा सके ।
उधर मलाह समाज की राजनीति कर रहे वीआईपी नेता मुकेश सहनी भी बीजेपी के करीब होते जा रहे हैं। बिहार में मल्लाह की आबादी करीब तीन से चार फीसदी है। करें चार जिलों की राजनीति को मल्लाह समाज प्रभावित करता है और अभी मुकेश की पैठ इस समाज में काफी है।
देखा जाए तो करीब 11 से 12 फीसदी वोट वाले तीन दल बीजेपी के करीब जाते दिख रहे है ।ये तीनों दल अगर एनडीए के साथ जाते है तो बिहार में बीजेपी को काफी लाभ मिल सकता है। कुशवाहा और मुकेश का उपयोग बीजेपी यूपी में भी कर सकती है ।ये समीकरण बीजेपी को जहां मजबूत कर सकते है वही नीतीश को परेशान भी।