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सावन में आप भी शिव जी को अर्पित करते हैं बेपत्र तो इन नियमों का रखें ध्यान

Singnificance Of Bel Patar: सावन का पवित्र महीना शुरु हो गया है। श्रावण मास को भगवान शिव की पूजा उपासना के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव जी की उपासना करने से जीवन में सुख समृध्दि आती है और कई प्रकार के दोषों मे मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में बताया गया है कि भोलेनाथ की पूजा उपासना में बेलपत्र होना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र अधिक प्रिय है।

ऐसा माना जाता है कि जो साधक सावन मास में जलाभिषेक के उपरांत भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करते हैं, उनसे उनसे भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन वैदिक शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को बेल पत्र अर्पित करते समय कुछ विशोष बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं वो कौन सी बाते हैं।

सावन में करें इन नियमों का पालन

भगवान भोले नाथ को बेलपत्र अर्पित करने से पहले ये जांच कर लें कि पत्ता कहीं से फटा या कटा हुआ न हो। ऐसा मना जाता है कि अगर बेल पत्ता कटा फटा होता है तो पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। इसके साथ ही  सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें तीन से कम पत्तियां ना हो। अगर आप ऐसा करते हैं तो भगवान शिव क्रोधित हो सकते हैं। तीन पत्तियों वाला बेलपत्र शुभ माना जाता है।किसी भी व्यक्ति को यदि 5 पत्तियों वाला बेलपत्र मिलता है, तो उसके लिए यह बहुत ही शुभ माना जाता है। क्योंकि ऐसी पत्ता मिलना सौभाग्य की प्राप्ति को दर्शाता है।

भगवान शिव को केवल बेलपत्र न अर्पित करें। इसके साथ शिवलिंग पर जल की धारा भी जरुर चढ़ाते रहें, ऐसा करते समय  ‘ॐ नमः शिवाय‘ इस मंत्र का जाप करें।

कुछ ऐसी भी तिथियां हैं,जिनपर भगवान शिव को बेलपत्र नहीं चढ़ाया जाता। वो तिथियां हैं-चतुर्थी, अमावस्या, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और संक्रांति।

अगर किसी कारण से बेलपत्र समाप्त हो जाता है तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को फिर से साफ जल से पूजा में इस्तेमाल किया जा सकता है। बेलपत्र कभी भी अशुध्द नहीं होता।

Aman Pandey

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