कोलकाता: पश्चमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल को प्रदत्त शक्तियों को कम करने की दिशा में कदम उठाया है। गुरुवार को शिक्षा मंत्री सत्य बसु द्वारा लाये गये उस प्रस्ताव को कैबिनेट में पास कर दिया है, जिसमें विश्वविद्यालयों का चांसलर अब राज्यपाल न होकर मुख्यमंत्री होगा।
यह कहा जा रहा है कि ममता सरकार ये प्रस्ताव जानबूझकर लायी है ताकि राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के मामले के दूर रखा जा सके। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ में पिछले काफी समय से विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों का नियुक्ति को लेकर मनमुटाव चल रहा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बात से नाराज थीं कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विश्वविद्यालयों के कई उपकुलपतियों की नियुक्ति मनमाने ढंग से की। किसी भी उपकुलपति की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल ने राज्य सरकार से कोई राय मशवरा नहीं लिया और न ही इस संबंध में कोई अधिकृत तौर पर सूचना दी।
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इसी बात से नाराज होकर ममता बनर्जी ने राज्यपाल उनका चांसलर का पद छीन लिया है। इस प्रस्ताव के विधिवत होने होने की प्रक्रिया पूरी होने पर मुख्यमंत्री ही राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर होने पर वे अपनी मर्जी से अपने राजनीतिक नफे-नुकसान के हिसाब से उपकुलपतियों का नियुक्ति कर सकेंगे। कुल मिलाकर यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री और राज्यपाल के अधिकारों को लेकर वर्चस्व की लड़ाई के तौर पर माना जा रहा है।