Indian Parliament News! संसद आज भी दोपहर दो बजे तक ठप हो गया। संसद की कार्यवाही जैसे ही 11 बजे शुरू हुई दोनों सदनों में नारेबाजी शुरू हो गई। सत्ता पक्ष राहुल पर पिले थे और उनसे माफ़ी मांगने के नारे लगा रहे थे और विपक्ष अडानी मसले पर जीपीसी की मांग को लेकर तेवर दिखा रहा था। नारेबाजी करता रहा। कोई किसी को नहीं सुन रहा था लेकिन सबकी आवाजे संसद की दीवारे सुन रही थी। संसद मौन थी और जनता के प्रतिनिधि उग्र।
बड़ा ही रोचक पहलु है। सरकार कहती है कि राहुल गाँधी ने लंदन में भारत की बेइज्जती की। लोकतंत्र का उपहास उड़ाया और मोदी सरकार की निंदा की। लेकिन सरकार के लोग और नाही बीजेपी वाले कोई प्रमाण पेश कर रहे हैं। जो प्रमाण है वह तो रिकार्डेड है। उस प्रमाण को कोई कैसे झुठला सकता है। उधर राहुल गाँधी और कांग्रेस वाले कह रहे हैं कि उन्होंने विदेशी धरती पर ऐसी कोई बात नहीं कही है जो भारत की इज्जत के खिलाफ हो और लोकतंत्र के मसले पर किसी भी विदेशी के इंटरवेन करने की कोई बात नहीं कही थी। फिर माफ़ी कैसी !
लेकिन राहुल की बात को सुनता कौन है ! राहुल के खिलाफ केंद्र के चार मंत्रियों ने पिछले दिनों उसी संसद में बहुत कुछ कहा था और उससे माफ़ी मांगने की बात कही थी। मंत्रियों ने चुकी संसद के भीतर बात रखी थी तो राहुल आखिर संसद के सवाल पर संसद में ही जवाब देने पहुंचे थे। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से संसद में अपनी बात रखने की इजाजत भी मांगी ताकि अपनी बात को कह सके। लेकिन स्पीकर बिड़ला ने नियमो का हवाला देकर राहुल को इजाजत नहीं दी।
लेकिन देश के भीतर बीजेपी यह दिखा रही है कि राहुल को पहले माफ़ी मांगनी चाहिए। ऐसा पहली बार हुआ है जब सत्ता सरकार संसद नहीं चलने दे रही। संसद चलाने की बारी सरकार की होती है। विपक्ष की नहीं। लेकिन सरकार ही जब संसद से भागे तो इसकी सुनवाई कहा होगी !
विपक्ष को अडानी मसले की जांच चाहिए। हालांकि इस मसले की कुछ जांच सुप्रीम कोर्ट की अगुवाई में हो रही है और सेबी भी इसमें शामिल होकर जांच को आगे बढ़ा रही है लेकिन विपक्ष को लगता है कि जबतक इस पुरे मामले की जांच जेपीसी से नहीं होगी तब तक पूरा खुलासा नहीं होगा। विपक्ष की नजरो में अडानी का खेल इस देश का सबसे बड़ा घोटाला है जिस पर मोदी सरकार पर्दा डाल रही है।
इस पुरे खेल में लोकतंत्र खामोश है। जनता मौन है और सरकार की अपनी कार्रवाई भी जारी है। हर दिन विपक्षी नेता जांच के निशाने पर हैं और राहुल गाँधी भी जांच के घेरे में हैं लेकिन सरकार को जाँच के घेरे में कौन लाये ! विचित्र नजारा है। यह कहानी ठीक वैसी ही है जिसमे सरकार कहती है कि वह जो कहती है वही सही है। उसके लोग सही हैं और सरकार सही है उसकी सोंच समझ ही देश है उसकी पार्टी ही राष्ट्र है और उसके नेता ही राष्ट्रवादी है। बाकी सब चोर और ठग। नए जमाने में लोकतंत्र का यह परिभाषा बहुत कुछ कहता है।
और अगर जनता अपना हिसाब लेना शुरू कर दे तो क्या होगा ? हर रोज करोडो रुपये जो संसद चलाने के नाम पर खरच हो रहे हैं जिसमे जनता की सुख -सुविधा की कोई बात नहीं हो रही है तब सवाल तो जनता पूछ सकती है। यह तो इस देश की जनता है जो अपने नेताओं पर यकीन करती रही है। लेकिन लोकतंत्र का जो चेहरा उभरता दिख रहा है उससे लोकतंत्र शर्मसार है।