कैंसर से जूझते मासूमों को मिलेगी मदद
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Lucknow News– उत्तर प्रदेश में अब कैंसर से जूझ रहे बच्चों को इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। बच्चों में कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने से लेकर अस्पतालों में जांच, दवाओं और इलाज के लिए कैनकिड्स संस्था मदद करेगी।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की मौजूदगी में मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय और कैनकिड्स संस्था की चेयरमेन डॉ. पूनम बगाई ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। कैनकिड्स संस्था के सहयोग से बच्चों में कैंसर की पहचान, टेस्ट और ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी। मुख्य सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर साल 19 साल से कम उम्र के लगभग 14 हजार 800 बच्चे कैंसर से पीड़ित होते हैं, ये पूरे देश के कैंसर पीड़ित बच्चों का 20 प्रतिशत और पूरे विश्व के कैंसर ग्रसित बच्चों का लगभग 4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों में होने वाले कैंसर जैसे असाध्य रोग का प्रारम्भिक अवस्था में ही निदान हो जाये और पीड़ित बच्चों और उन बच्चों के परिवार वालों को देखभाल की अच्छी सुविधा मिल सके। लाभार्थियों को यह जानकारी हो कि बच्चों के कैंसर के उपचार के लिए उन्हें कहां जाना है।
श्री मिश्रा ने उम्मीद जताई कि कैनकिड्स सभी संबंधित हितधारकों, जिसमें सरकारी विभाग, अस्पताल प्रबंधन, स्वास्थ्य पेशेवर, दूसरे गैर-लाभकारी संस्थाओं और माता-पिता के साथ समन्वय स्थापित कर प्रदेश में कैंसर पीड़ित बच्चों के उपचार में उपयोगी साबित होगी। मुख्य सचिव ने संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि भविष्य में कैंसर से जीत जाने वाले बच्चों को कैंसर विनर के रूप में संबोधित कर उनका हौसला बढ़ाया जाएगा।
प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि कैनकिड्स संस्था प्रदेश में कैंसर की जांच और उपचार की सुविधा वाले सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की जिला अस्पतालों से मैपिंग करेगी, ताकि जिला अस्पताल से कैंसर के लक्षणों वाले बच्चे को सही सेंटर पर रेफर किया जा सके। इस एमओयू में साफ किया गया है कि इस काम के लिए लगने वाला खर्च पूरी तरह से केनकिड्स उठाएगी इससे एनएचएम या राज्य सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर की पहचान के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कार्यरत मोबाइल हेल्थ टीम और दूसरे फील्ड स्टाफ से लेकर हर लेवल पर डॉक्टरों की कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पतालों आदि में बच्चों की स्क्रीनिंग कर मेडिकल कॉलेज और टर्सरी केयर सेंटर पर डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी। इससे कैंसर पीड़ित बच्चों के परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ कम होगा।
कैनकिड्स की संस्थापक पूनम बगाई ने बताया कि हमारा उद्देश्य बच्चों में कैंसर (पीडियाट्रिक कैंसर) की जल्दी पहचान और उपचार की सुविधाएं आसानी से मुहैया कराना है। इसके लिए कैंसर पीडित बच्चे के लिए हर स्तर पर इलाज में संस्था मदद करेगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ. मनोज कुमार शुक्ल ने उम्मीद जताई कि कैनकिड्स संस्था से हुए एमओयू के सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे और कैंसर पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों की मदद हो सकेगी। इस मौके पर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह, महानिदेशक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. रेनू वर्मा, निदेशक एसजीपीजीआई डॉ. आरके धीमान, निदेशक आरएमएल आईएमएस डॉ. सोनिया नित्यानंद भी मौजूद थे।