Israel Iran War: ईरान पर खतरा मंडराया, मिडिल ईस्ट में अमेरिका के 19 सैन्य अड्डे सक्रिय
इराक और इजरायल के बीच जारी संघर्ष अब नए मोड़ पर है। इजरायल-गाजा युद्ध के कारण मध्य पूर्व में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अमेरिका, जो अब तक संयम बरतता रहा, जल्द ही इस युद्ध में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब उनका "संयम समाप्त हो रहा है"।
Israel Iran War: मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति कोई नई बात नहीं है। पिछले 65 वर्षों से अमेरिका इस क्षेत्र में सक्रिय है। जुलाई 1958 में लेबनान संकट के दौरान अमेरिका ने पहली बार 15,000 सैनिकों के साथ मध्य पूर्व में प्रवेश किया था। आज की स्थिति में अमेरिका के पास खाड़ी क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी मिलाकर कुल 19 सैन्य ठिकाने हैं।
अमेरिकी सेना के एयरबेस सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, जॉर्डन, बहरीन, मिस्र और ओमान जैसे देशों में फैले हुए हैं। इनमें से कुवैत, कतर, बहरीन, इराक और यूएई जैसे देशों में अमेरिका के स्थायी सैन्य अड्डे हैं। इन ठिकानों पर कुल मिलाकर 40,000 से 50,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
इराक और इजरायल संघर्ष की पृष्ठभूमि
इजरायल और इराक के बीच जारी संघर्ष अब नए मोड़ पर है। इजरायल-गाजा युद्ध के कारण मध्य पूर्व में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अमेरिका, जो अब तक संयम बरतता रहा, जल्द ही इस युद्ध में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब उनका “संयम समाप्त हो रहा है”।
इराक में अमेरिका का बड़ा सैन्य अड्डा बगदाद में है, जिस पर पहले आत्मघाती हमले भी हो चुके हैं। इस अड्डे से ईरान पर त्वरित हमला किया जा सकता है, क्योंकि ईरान और इराक की सीमा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।
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ईरान पर संभावित हमले की तैयारी
अगर डोनाल्ड ट्रंप ईरान पर हमले का आदेश देते हैं, तो अमेरिका के लड़ाकू विमान कुछ ही मिनटों में तेहरान के आसमान में पहुंच सकते हैं। अमेरिका के दो युद्धपोत पहले से ही खाड़ी क्षेत्र में तैनात हैं। भले ही कोई इस्लामिक देश अमेरिका को हवाई रास्ता न दे, लेकिन अमेरिका समुद्र से भी ईरान पर हमला करने में सक्षम है।
मध्य पूर्व में अमेरिका के एयरबेस की मौजूदगी उसे इस क्षेत्र में किसी भी देश पर त्वरित और घातक हमला करने की रणनीतिक बढ़त देती है।
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ईरान की चेतावनी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ईरान ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर उसके ड्रोन और मिसाइलों को अमेरिकी, ब्रिटिश या फ्रांसीसी सैन्य ठिकानों से रोका गया, तो वह इन ठिकानों को भी निशाना बनाएगा। यह चेतावनी मध्य पूर्व को युद्ध के मुहाने पर ले आई है।
ब्रिटेन ने भी हालात की गंभीरता को देखते हुए अपने लड़ाकू विमानों को खाड़ी देशों में भेज दिया है। ब्रिटिश सेना के कतर, यूएई, बहरीन, ओमान और साइप्रस (RAF Akrotiri) में सैन्य अड्डे हैं। फ्रांस ने भी यूएई के अल-दाफरा में स्थायी एयरबेस और जॉर्डन में एक ऑपरेशनल बेस बनाया है।
आगे क्या?
मध्य पूर्व में अमेरिका और उसके सहयोगियों की भारी सैन्य मौजूदगी इसे एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर रही है। अमेरिका की रणनीतिक तैयारी, ईरान की प्रतिरोधक क्षमता और इजरायल-गाजा संघर्ष मिलकर इस क्षेत्र को विस्फोटक बना रहे हैं। आने वाले दिनों में यह टकराव और बढ़ सकता है, जिसका असर वैश्विक राजनीति और ऊर्जा आपूर्ति पर गहरा पड़ सकता है।
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