SC Judge Oath: न्यायमूर्ति मनमोहन ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में ली शपथ
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति मनमोहन को पद की शपथ दिलाई।
SC Judge Oath: दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति मनमोहन को पद की शपथ दिलाई।
न्यायमूर्ति मनमोहन की नियुक्ति के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या अब 34 से बढ़कर 32 हो गई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 28 नवंबर को न्यायमूर्ति मनमोहन को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीआर गवई, सूर्यकांत, ऋषिकेश रॉय और अभय एस ओका की मौजूदगी वाले कॉलेजियम ने बैठक में यह फैसला लिया। कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया कि, “उनके (न्यायमूर्ति मनमोहन के) नाम की सिफारिश करते समय कॉलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा है कि वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय के केवल एक न्यायाधीश का प्रतिनिधित्व सर्वोच्च न्यायालय की पीठ में है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम सर्वसम्मति से सिफारिश करता है कि न्यायमूर्ति मनमोहन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।”
न्यायमूर्ति मनमोहन का जन्म 17 दिसंबर, 1962 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड से की और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में बीए (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से पढ़ाई की और 1987 में एलएलबी की डिग्री हासिल की और उसी साल दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर दाखिला लिया। उन्होंने मुख्य रूप से भारत के सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, कराधान, मध्यस्थता, ट्रेडमार्क और सेवा मुकदमेबाजी में प्रैक्टिस की।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने दिल्ली उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार के वरिष्ठ पैनल अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। जनवरी 2003 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। तत्पश्चात, उन्हें 13 मार्च 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया तथा 17 दिसम्बर 2009 को उन्हें स्थायी कर दिया गया।