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कर्नाटक के चुनावी परिणाम में छुपे हैं भविष्य की राजनीति के खेल!

Karnataka Election-2023 News! आज जब सुबह सात बजे से कर्नाटक में मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई तब की जगह पर जनता के मूड को टटोलने की कोशिश की गई लेकिन जनता मौन ही रही। प्रतिक्रिया में जो बाटे सामने आई वह चौंकाने वाली थी। कुछ लोगों ने कहा कि ”धार्मिक राजनीति से देश को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। जबतक लोगों को रोजगार नहीं मिलता, लोगों की कमाई नहीं बढ़ती तब तक समाज और देश का कल्याण नहीं होगा। मतदन गुप्त होता है। हम अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए स्वतंत्र हैं। ” ये बयान बंगलुरु के एक बूथ पर खड़े कुछ युवाओं के हैं। जाहिर है कि इस बयान मायने हो सकते हैं। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि देश के भीतर चल रही धार्मिक राजनीति को भी तो दरकिनार नहीं किया जा सकता। जाति और धर्म की रजनीति मौजूदा समय में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पहचान बनी है। इस पहचान का परिणाम क्या होगा यह भला कौन बता सकता है। लेकिन एक बात साफ है कि देश के युवा अब धर्म की रजनीति से ऊब से गए हैं। उनके सामने धर्म अब कोई मायने नहीं रख रहा। लोग कहते हैं कि धर्म तो इंसान को शांति देने तक सिमित है। यह जीवन को आगे नहीं ले जा सकता।

कर्नाटक में आज चुनाव हो रहा है। लम्बे समय से इसकी प्रतीक्षा की जा रही थी। 224 सदस्यीय कर्नाटक विधान सभा चुनाव के परिणाम 13 तारीख को आएंगे। लेकिन आज शाम एग्जिट पोल भी आएंगे। सबकी निगाह एग्जिट पोल पर टिकी है। चुनाव से पहले जितने भी सर्वे आये उसकी अपनी कहानी हो सकती है। बीजेपी समर्थक सर्वे एजेंसियां बीजेपी के पक्ष में सर्वे रिपोर्ट जारी करती रही है। ठीक इसके विपरीत कांग्रेस के लिए कम करने वली एजेंसिया कांग्रेस की जीत का दवा करती रही। लेकिन अब किसी भी एजेंसी के दावे का कोई महत्व नहीं। जनता जनार्दन किसको चाहेगी इसक फैसला तो आज होगा।

यह चुनाव बीजेपी के लिए उतना ही अहम है जितना कांग्रेस के लिए। जेडीएस के लिए भी यह चुनाव काफी अहम है। इसके साथ ही आप ,एनसीपी ,जार्डन रेड्डी की पार्टी ,बसपा और कई और छोटी पार्टियों के लिए यह चुनाव बहुत कुछ तय करेगा। यह चुनाव भविष्य की राजनीति को भी तय करेगा। यह विपक्षी एकता वाले अभियान को परिभाषित करेगा और यह चुनाव आगामी राज्यों में होने वाले चुनाव के साथ ही अगले साल लोकसभा चुनाव की कहानी को बताएगा। बीजेपी की मुश्किल यह है कि वह अभी धर्म की राजनीति के सहारे आगे बढ़ती रही है। इस रजनीति से बीजेपी को लाभ भी मिला है। अगर इस चुनाव में भी बीजेपी जीतने में सफल हो जाएगी तो बप की धर्मिक राजनीति और भी तीब्र गति से आगे बढ़ेगी। इसके साथ ही कर्नाटक का यह चुनाव योगी और अमित शाह की राजनीति को भी परिभाषित करेगा। की और पहलुओं के लिए यह चुनाव काफी अहम् है।

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कर्नाटक चुनाव के मुख्य चेहरा पीएम मोदी ही रहे हैं। हर होगी तो मोदी को ही जिम्मेदार ठहरया जाएग और जीत हुई तो मोदी का इक़बाल बुलंद होगा। कर्नाटक के इस चुनाव में पीएम मोदी ने 22 से ज्यादा रैलियां की है। खुद पीएम मोदी ने धार्मिक मसलों को चुनाव में खूब उठाया है। उन्होंने यहां तक खा कि वोट का बटन दब समय बजरंगबली का नारा लगाए। यह कोई मामूली बात नहीं है। इस चुनाव में बीजेपी की तरफ से कोई रष्ट्रीय मुद्दा नहीं उठाया गया। देश के भीतर महंगाई ,बेरोजगारी ,अदनी प्रकरण ,जंतर मंतर पर पहलवनो का धरना ,मणिपुर में हिंसा जैसे मसले चुनव में उठने चाहिए थे लेकिन बीजेपी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। खेल आकर बजरंग दल बंम बजरंगबली पर आ टिका और बीजेपी इसी को लेकर आगे बढ़ती रही।

उधर कांग्रेस ने की मसलों को उठाया। उसने बेरोजगारी की भी बात की और महंगाई की भी चर्चा की। पहलवानो के धरने से लेकर अडानी और फिर मणिपुर हिंसा पर भी कांग्रेस ने बहुत कुछ बोला। प्रियंका गाँधी ने स्थानीय मुद्दों को उठाया। उधर जेडीएस ने बीजेपी और कांग्रेस की राजनीति पर हमला किया। खेल बड़ा मनोरंजक चला। अब खेल तो जनता को करना है।

कर्नाटक का यह चुनाव अगर बीजेपी जीत जाती है तो आगामी चुनाव भी वह इसी तर्ज पर लड़ेगी। फिर जीत के बाद बीजेपी तेलंगाना और आंध्रा की राजनीति को आगे बढ़ाएगी। वह केरल की राजनीति में भी दखल देगी। वह इसलिए जरुरी है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अगर फिर से सत्ता पर काबिज होना है तो यह सब उसे करना होगा। धार्मिक राजनीति को उसे आगे बढ़ाना ही होगा। यह चुनाव यह भी सिद्ध करेगा कि देश को धार्मिक राजनीति में कितनी रूचि है।

उधर जेडीएस के लिए यह चुनाव मरने और जीने जैसा है। जेडीएस की चाहत तो सर्कार बनाने की ही लेकिन की यह संभव है ? लेकिन जनता के मिजाज को आखिर कौन जाने ! वह किंग मेकर बनती है यह किंग यह भी कोई नहीं बता सकता। लेकिन एक बात जो दिख रही है वह यह है कि जेडीएस के वोट में तबदीली आयी तो कर्नाटक के परिणाम कुछ और भी हो सकते हैं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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