Kedarnath by-election: केदारनाथ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। 20 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। शुक्रवार, 15 नवंबर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत और बीजेपी के सांसद अनिल बलूनी ने अलग-अलग सभाओं में अपनी-अपनी पार्टियों के लिए जोरदार प्रचार किया। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए।
हरक सिंह रावत ने बीजेपी पर साधा निशाना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को अगस्त्यमुनि में कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत के पक्ष में प्रचार करते हुए बीजेपी पर जमकर हमला बोला। हरक सिंह ने इस उपचुनाव को “बाबा केदार की अस्मिता का चुनाव” करार दिया और कहा कि केदारनाथ की जनता इस बार बीजेपी को सबक सिखाने के लिए तैयार है।
हरक ने बीजेपी पर दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के परिवार के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,“बीजेपी ने दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या को टिकट न देकर जनता और परिवार का अपमान किया है। यह दिखाता है कि बीजेपी को न तो दिवंगत नेताओं की भावनाओं की कद्र है और न ही जनता की।”
अंकिता भंडारी हत्याकांड का मुद्दा उठाया
हरक सिंह ने राज्य सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार अंकिता भंडारी हत्याकांड के असली गुनहगारों और कथित “वीआईपी” का नाम उजागर करने में विफल रही है।
उन्होंने कहा, “यह सरकार न केवल असंवेदनशील है बल्कि उत्तराखंड की बेटियों की सुरक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है। जनता अब इस सरकार के झूठे वादों को पहचान चुकी है और 23 नवंबर को आने वाला चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा।”
बीजेपी सांसद अनिल बलूनी का पलटवार
दूसरी ओर, गढ़वाल लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद अनिल बलूनी ने ऊखीमठ में बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल के पक्ष में प्रचार किया। बलूनी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार केदारनाथ धाम को बेहतर बनाने और क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, धामी सरकार ने केदारनाथ धाम यात्रा के लिए ठोस कार्ययोजनाएं बनाई हैं। इनसे न केवल क्षेत्र में विकास होगा बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। मुझे विश्वास है कि जनता अपने मत का सही उपयोग करेगी और विकास के लिए बीजेपी को वोट देगी।”
दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
केदारनाथ उपचुनाव राज्य की राजनीति में बेहद अहम माना जा रहा है। यह उपचुनाव दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद हो रहा है। बीजेपी ने इस सीट पर आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने मनोज रावत को मैदान में उतारा है।
इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। बीजेपी जहां अपनी सीट बचाने के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे अपने लिए सत्ता में वापसी का एक बड़ा मौका मान रही है।
क्या कहते हैं मतदाता?
केदारनाथ क्षेत्र के मतदाताओं का कहना है कि चुनाव में स्थानीय मुद्दे, रोजगार, विकास, और महिलाओं की सुरक्षा प्रमुख विषय हैं। दोनों पार्टियां अपने-अपने दावों के साथ जनता को रिझाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन जनता के मूड का अंदाजा लगाना फिलहाल मुश्किल है।
नतीजे का इंतजार
चुनाव प्रचार 18 नवंबर की शाम को समाप्त हो जाएगा। 20 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव का परिणाम न केवल केदारनाथ क्षेत्र की राजनीति पर असर डालेगा, बल्कि राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी दिशा तय करेगा।